OPJS University Fake Degree Case: वॉलीबॉल प्लेयर से फर्जी डिग्री की 'क्वीन' बनी संगीता कड़वासरा, फिल्मी स्टाइल में ATS ने दिल्ली से दबोचा

Rajasthan Fake Degree Scam: सात दिन की रेकी, बिजली काटकर पकड़ी गई संगीता कड़वासरा. पढ़ें ATS के ऑपरेशन की पूरी कहानी.

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25 हजार की इनामी संगीता कड़वासरा दिल्ली में गिरफ्तार

Rajasthan News: राजस्थान में फर्जीवाड़े के खिलाफ चल रहे अभियान में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. राज्य की एंटी-टेररिज्म स्क्वाड (ATS) ने ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के फर्जी डिग्री केस (OPJS University Fake Degree Case) में लंबे समय से फरार चल रही और 25 हजार रुपये की इनामी संगीता कड़वासरा (Sangeeta Kadwasara) को दिल्ली से धर दबोचा है. यह गिरफ्तारी कोई आसान नहीं थी, बल्कि एटीएस की टीम को एक शातिर अपराधी को पकड़ने के लिए जासूसी और सूझबूझ का सहारा लेना पड़ा.

कौन है संगीता कड़वासरा?

संगीता कड़वासरा का नाम जब फर्जीवाड़े से जुड़ा तो कई लोग हैरान रह गए. कभी एक अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी (International Volleyball Player) के तौर पर पहचान बनाने वाली संगीता खेल कोटे से रेलवे में नौकरी करने लगी थी. लेकिन साल 2014 में पति से तलाक के बाद उन्होंने रेलवे की नौकरी छोड़ दी और अपने पिता के घर दिल्ली में रहने लगी. बेरोजगारी ने उन्हें गलत रास्ते पर धकेल दिया. शुरुआत में उन्होंने अपनी बहन के जरिए एक न्यूज चैनल में काम किया. इसके बाद वह राजस्थान के चूरू में स्थित ओपीजेएस यूनिवर्सिटी में ऑब्जर्वर के पद पर काम करने लगी.

फर्जी डिग्री का बड़ा गोरखधंधा

यहीं से संगीता ने अपराध की दुनिया में कदम रखा. एटीएस आईजी विकास कुमार ने बताया कि संगीता कड़वासरा, यूनिवर्सिटी के मालिक जोगेंद्र सिंह के साथ मिलकर फर्जीवाड़े का धंधा चला रही थी. ये लोग मिलकर विभिन्न कोर्सों की हजारों फर्जी डिग्रियां (Fake Degree) बनाते थे. ये डिग्रियां खास तौर पर पुरानी तारीखों में प्रिंट की जाती थीं ताकि पकड़े जाने पर कोई संदेह न हो. इसके बाद दलालों के माध्यम से मोटी रकम लेकर ये फर्जी डिग्रियां लोगों को बेची जाती थीं. यह पूरा रैकेट इतना बड़ा था कि इसमें शामिल लोगों पर पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया. इस मामले में संगीता कड़वासरा लंबे समय से फरार चल रही थी. उस पर 25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित था.

ATS का फिल्मी स्टाइल ऑपरेशन

संगीता को पकड़ना किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था. एटीएस की टीम को जानकारी मिली कि संगीता दिल्ली के कंझावला इलाके में छिपी हुई है. एडीजी एटीएस एवं एसओजी वी.के. सिंह के निर्देश पर एटीएस की एक विशेष टीम दिल्ली भेजी गई. लगभग 7 दिनों तक टीम ने बिना किसी को भनक लगे इलाके की रेकी की. जांच में सामने आया कि शातिर संगीता किसी से भी मिलने के लिए घर से बाहर नहीं निकलती थी. वह सुबह-सुबह पड़ोस के एक शिव मंदिर में अपने कुछ खास लोगों से मिलती थी. मुखबिर की सूचना पर टीम ने मंदिर का पता लगाया. इसके बाद, टीम को पता चला कि संगीता अपने भतीजे के किराए के फ्लैट में रह रही है. सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि संगीता कमरे के अंदर रहती थी और बाहर से ताला लगा होता था ताकि किसी को शक न हो. सिर्फ उसका भतीजा ही बाहर आता-जाता था.

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'बिजली काटने' की अनोखी ट्रिक

एटीएस ने अपनी रणनीति को और पुख्ता किया. टीम ने भतीजे के बाहर जाने का इंतजार किया. जैसे ही वह बाहर निकला, टीम ने फ्लैट के केयर टेकर को फोन किया और उनसे बिजली कटवाने के लिए कहा. जब बिजली कटी तो भतीजे ने तुरंत केयर टेकर को फोन किया और बिजली ठीक करने के लिए कहा. एटीएस की टीम केयर टेकर के साथ फ्लैट पर पहुंची. जब उन्होंने बाहर से लगा ताला खोला तो अंदर संगीता कड़वासरा बैठी थी. एटीएस ने तुरंत उसे हिरासत में ले लिया. इस तरह, एक अनोखी और सूझबूझ भरी रणनीति के बाद एक इनामी अपराधी को पकड़ने में सफलता मिली. अब एटीएस उससे पूछताछ कर इस फर्जी डिग्री रैकेट के और भी कई राज खोल सकती है.

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