कैसे होती है पान की खेती, खाद के रूप में यूज होता है दूध-दही और घी, पढ़ें NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट

Rajasthan Agriculture News: पान को ओलावृष्टि और मौसम की मार से बचाने के लिए दूध, दही और घी का खाद के रूप में उपयोग किया जाता है.

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पान के खेती की तस्वीर

Paan ki Kheti Cultivation Tips: भरतपुर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के साथ भरतपुर पान की खेती के लिए भी मशहूर है. यहां राजा महाराजाओं के समय से तमोली जाति के लोगों के द्वारा पान की खेती की जाती है. इस जाति के लोगों को पान की खेती करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. क्योंकि पान को स्वादिष्ट और मौसम की मार से बचाने के लिए दूध, दही और घी के साथ गेहूं बाजरे का आटे को खाद के रूप में दिया जाता है. मौसम की मार के चलते किसान अब कम ही पान की खेती कर रहे है. लेकिन फिर भी कुछ ऐसे किसान हैं जो इससे लाखों रुपये कमाते है. 

बच्चों की तरह होती है परवरिश

किसानों के द्वारा इस फसल को सर्दी, बारिश और गर्मी से बचाने के लिए भूमि को चारों तरफ से पत्थर की दीवार लगाने के साथ घास फूस का झप्पर डाला जाता है. गर्मी का मौसम है तापमान 45 डिग्री से ऊपर होने के चलते दिन में 5 से 6 बार पानी दिया जा रहा है. यह फसल 4  महीने में तैयार हो जाती है. लेकिन इस फसल की बच्चों जैसी परवरिश करनी होती है. इस पान की मांग स्थानीय क्षेत्र के साथ देश के विभिन्न राज्यों में है.

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4 महीने में तैयार होते हैं पान के पत्ते

वैर उपखंड के गांव उमरैड निवासी किसान हरी मोहन ने बताया कि पान की खेती बयाना और वैर के आधा दर्जन गांवों में होती है. यह खेती राजा महाराजाओं के समय से तमोली जाति के लोगों द्वारा की जाती है. इस खेती को करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश से 50 हजार रुपये की कीमत में पान का बीज मंगाकर खेती शुरू की. यह खेती करीब 4 महीने में तैयार हो जाएगी. 

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इस खेती को करने के लिए सबसे पहले किसान को भूमि के चारों ओर पत्थर की दीवार बनानी पड़ती है. इसके बाद बीच में एंगल और सरकंडे लगाकर घास फूस का छप्पर डाला जाता है. जिससे पान की खेती को ओलावृष्टि, सर्दी और गर्मी के मौसम से बचाया जा सके.

4 महीने की कड़ी तपस्या करते किसान

किसान की पत्नी द्रोप्ति ने बताया कि यह खेती करीब 4 महीने में तैयार होती है और 4 महीने के लिए हम रिश्तेदारियों में आना-जाना छोड़ देते हैं. गर्मी का मौसम है, तापमान 45 डिग्री से अधिक है. गर्मी के मौसम से इस फसल को बचाने के लिए दिन में 5 से 6 बार पानी दिया जाता है. इस खेती की देख-रेख के लिए सुबह से सुबह 5 बजे से दोपहर 12 बजे और उसके बाद दोपहर तीन बजे से रात के 8 बजे तक रहना पड़ता है.

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पान की खेती में घी, दूध और दही की खाद

उन्होंने कहा कि पान को स्वादिष्ट और गर्मी से बचाने के लिए घी, दूध और दही के साथ गेहूं और बाजरे का आटा खाद के रूप में उपयोग में लिया जाता है. बीज की खरीद के साथ अन्य संसाधन जुटाने में करीब डेढ़ लाख रुपये का खर्चा आता है.

भरतपुर के पान की UP में भारी डिमांड

उन्होंने कहा कि यह फसल अगर मौसम की मार से बच जाती है तो 200 पान के पत्तों की गड्डी 300 रुपये की कीमत में बिकती है. इसी के चलते इस खेती से 5 से 6 लाख रुपये का मुनाफा हो जाता है. इस देशी पान की मांग स्थानीय क्षेत्र के साथ आगरा, मथुरा, सहारनपुर, मेरठ के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी है.

नुकसान के चलते बंद पान की खेती

पान की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि सर्दी, गर्मी और ओलावृष्टि के चलते कई किसानों को नुकसान हुआ था और सरकार के द्वारा उन्हें आर्थिक मदद नहीं दी गई. जिसके चलते कई किसानों ने पान की खेती करना बंद कर दिया है और बाहर जाकर मेहनत मजदूरी कर रहे हैं.

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