Baijnath Maharaj: शिक्षक से लेकर संत तक... सीकर के बैजनाथ महाराज का पूरा परिचय, जो पद्म श्री से सम्मानित

Padma Shri Awardee Baijnath Maharaj: संत बैजनाथ महाराज लक्ष्मणगढ़ स्थित श्रद्धानाथ महाराज के आश्रम के पीठाधीश्वर के रूप में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर रहे हैं. वैदिक शिक्षा की अलख जगाने के उद्देश्य से इन्होंने श्रद्धा संस्कृत विद्यापीठ की स्थापना की.

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बैजनाथ महाराज पद्म श्री से सम्मानित

Who is Baijnath Maharaj: गणतंत्र दिवस से पहले शनिवार को केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों की घोषणा की है. इस बार कुल 139 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा. इनमें 7 लोगों को पद्म विभूषण, 19 को पद्म भूषण और 113 हस्तियों को पद्म श्री दिया जाएगा. पद्म श्री से सम्मानित होने वालों की लिस्ट में राजस्थान से तीन हस्तियां- बैजनाथ महाराज, बेगम बतूल और शीन काफ निजाम हैं. सरकार की तरफ से पद्म पुरस्कार कला, समाजसेवा, सार्वजनिक जीवन, विज्ञान, उद्योग, चिकित्सा, साहित्य, शिक्षा, खेल और नागरिक सेवा जैसे कई क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान के लिए दिए जाता है.

6 साल की उम्र में श्रद्धानाथ महाराज बने शिष्य

पद्म श्री से सम्मानित होने जाने वालों की लिस्ट में राजस्थान के सीकर के बैजनाथ महाराज (Baijnath Maharaj) भी हैं. लक्ष्मणगढ़ स्थित श्रद्धनाथजी आश्रम के पीठाधीश्वर संत बैजनाथ महाराज का जन्म 1935 में समीपवर्ती गांव पनलावा में हुआ था. 6 साल की उम्र में ही नाथ संप्रदाय के विलक्षण अवधूत संत श्रद्धानाथ महाराज ने इन्हें अपना शिष्य बनाकर बैजनाथ नाम दिया.

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ग्रामीण अंचल में जगाई शिक्षा की अलख

उन्होंने भारत भ्रमण के दौरान इन्हें विभिन्न तीर्थ स्थानों का भ्रमण करवाया. 1960 से लेकर 1985 तक संत बैजनाथ महाराज ग्राम भारती विद्यापीठ कोठ्यारी में प्राचार्य के पद पर रहकर ग्रामीण अंचल में शिक्षा की अलख जगाई. 1985 में सेवानिवृत्त होने पर परम संत श्रद्धानाथ महाराज ने अधिकृत रूप से बैजनाथ महाराज को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. तब से लेकर आजतक संत बैजनाथ महाराज लक्ष्मणगढ़ स्थित श्रद्धानाथ महाराज के आश्रम के पीठाधीश्वर के रूप में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर रहे हैं.

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वैदिक शिक्षा की अलख जगाने के उद्देश्य से इन्होंने श्रद्धा संस्कृत विद्यापीठ की स्थापना की, जिसके माध्यम से हजारों बच्चों को योग वैदिक शिक्षा दीक्षा देने का कार्य कर रहे हैं. योग शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए इन्होंने श्रद्धा योग व शिक्षण संस्थान की स्थापना की. आज भी सैकड़ों बच्चों को योग के माध्यम से शिक्षित करने का कार्य कर रहे हैं. गरीब व असहाय लोगों की मदद हमेशा करते रहते हैं.

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