Pak Intelligence Agency ISI Spy Vishal Yadav: पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार विशाल यादव से पूछताछ जारी है. दिल्ली में तैनात नौसेना भवन में कार्यरत UDC विशाल यादव कई ख़ुलासे हो रहे हैं. इंटेलिजेंस के एक्शन के बाद आरोपी को कोर्ट ने रिमांड पर भेजा था. वह साल 2020 में दिल्ली में नौसेना भवन में नौकरी पर लगा था और अगस्त महीने से नेवी सेक्शन में काम कर रहा था. आरोपी यूडीसी को सीनियर ऑफ़िसर्स द्वारा सेना से जुड़े कई मेल भी आते थे और इन्हीं मेल की फ़ोटो खींच लेता था. विशाल को सेना के ऑफ़िसर द्वारा मेल आता था, उसकी हार्ड कॉपी निकालकर फाइल में अटैच कर तैयार कर लेता था. चूंकि वहां मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं थी, इसलिए दस्तावेज के प्रिंटआउट निकालकर पार्किंग में जाकर उन डॉक्यूमेंट की फ़ोटो खींचता था. इसके बाद सोशल मीडिया के माध्यम से ही पाक महिला हैंडलर को भेजता था.
एफएसएल रिपोर्ट में रिकवर हुई चैट
पूछताछ में सामने आया कि पाकिस्तान की महिला हैंडलर प्रिया शर्मा से वह फ़ेसबुक के माध्यम से संपर्क में आया. फिर दोनों में दोस्ती हुई, संभवतः इसे हनीट्रैप का मामला भी माना जा रहा है. उसके बाद प्रिया शर्मा ने विशाल यादव को मोबाइल नंबर दिए और उसके बाद विशाल यादव को टेलीग्राम डाउनलोड करवाया गया. टेलीग्राम पर ही दोनों की ज़्यादा बातचीत हुआ करती थी. यहीं पर विशाल यादव ने अतिसंवेदनशील डॉक्यूमेंट महिला हैंडलर को भेजी. सूत्रों की मानें तो एफएसएल रिपोर्ट में अब ये चैट भी रीकवर हो गई है.
3 साल पहले भी पकड़ा गया था जासूस, फिर विशाल आया रडार पर
इससे पहले साल 2022 में राजस्थान इंटेलिजेंस ने दिल्ली में सेना भवन में काम करने वाले रवि प्रकाश को गिरफ़्तार किया था. वह MTS के पद पर कार्यरत था. इसी मामले में तफ़्तीश करते हुए एजेंसी विशाल यादव तक पहुंची. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना और सीनियर ऑफ़िसर्स के कई मेल की कॉपी भी विशाल ने लीक की थी. जानकारी के मुताबिक, विशाल को इन तमाम कामों के बदले लाखों रुपए मिले हैं.
कल खत्म हो जाएगी रिमांड
विशाल ने कुछ पैसे अपने खाते में लिए और अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी के रूप में लिए. हालांकि उस महिला हैंडर की कोई फोटो या उससे जुड़ी जानकारी अभी तक जांच एजेंसी को नहीं मिली है. कल (30 जून) विशाल की रिमांड का आखिरी दिन है. इसके बाद फिर उसे कोर्टे में पेश किया जाएगा. रिमांड खत्म होने से पहले एजेंसी के सामने चुनौती इस पूरे नेटवर्क तक पहुंचने की है.
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