PM मोदी ने नटवर सिंह के परिवार को लिखी चिट्ठी में कही बड़ी बात, पसंद आयी उनकी यह एक नीति

पीएम नरेंद्र मोदी ने दिवंगत नेता और पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के निधन पर पत्र लिखकर संवेदना शोक संवेदना व्यक्त की है.

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पीएम ने नटवर सिंह के निधन पर पत्र लिखकर संवेदना जताई

Rajasthan News: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिवंगत नेता और पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के निधन पर पत्र लिखकर संवेदना शोक संवेदना व्यक्त की है. उन्होंने लिखा है कि उनके जाने से देश को क्षति हुई है. 11 अगस्त को पद्म भूषण से सम्मानित पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह का 95 साल की उम्र में लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया था. दाह संस्कार 12 अगस्त को लोधी रोड दिल्ली पर किया गया. 14 अगस्त को देश के पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा दिंवगत नेता पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के निधन पर उनके पुत्र नदबई विधायक कुंवर जगत सिंह को लेकर शोक संवेदना व्यक्त की है.

'उनकी विदेश नीति अद्भुत'

पीएम ने पत्र में लिखा है कि कुंवर नटवर सिंह एक कुशल राजनेता थे और जिन्होंने देश की ब्यूरोक्रेट में रहकर व राजनेता के रूप में सेवा दी थी. देश को नई दिशा देने के लिए उनकी विदेश नीति अद्भुत थी. साथ ही वह बहुत अच्छे लेखक और विचारक थे, उनके जाने से देश को क्षति हुई है. इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदना आपके परिवार के साथ है.

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भारतीय विदेश सेवा में हुए शामिल

कुंवर नटवर सिंह भरतपुर जिले के गांव जघीना के रहने वाले थे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर के मेयो कॉलेज से हुई और इसके बाद उन्होंने ग्वालियर के सिंधिया कॉलेज से पढ़ाई की थी. इनकी उच्च शिक्षा सेंट स्टीफंस कॉलेज से हुई बाद में उन्होंने इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पढ़ाई की.

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नटवर सिंह 1953 में भारतीय विदेश सेवा (IFS) में शामिल हो गए. राजनयिक के तौर पर नटवर सिंह का करियर 31 साल लंबा रहा. वे पाकिस्तान, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत रहे.

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भरतपुर से कांग्रेस के टिकट पर बनें सांसद

नटवर सिंह ने पाकिस्तान में राजदूत के रूप में भी काम किया और 1966 से 1971 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े रहें. 1984 में नटवर सिंह कांग्रेस में शामिल हुए. उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और राजस्थान के भरतपुर से सांसद चुने गए. 2004 में उन्हें UPA-I सरकार में भारत का विदेश मंत्री नियुक्त किया गया.

हालांकि 2005 में 'ऑयल फॉर फूड' घोटाले में उनका नाम आने के बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा. 1984 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. उनके द्वारा 'वन लाइफ इज़ नॉट इनफ' आत्मकथा लिखी गई.

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