बीकानेर के नाल में पीएम मोदी जवानों से करेंगे मुलाकात, पाकिस्तान के निशाने पर रहता है सरहद का ये एयरबेस

Rajasthan News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार राजस्थान के दौरे पर आ रहे हैं. इस दौरान वे बीकानेर के नाल एयरबेस पर जवानों से मिलेंगे.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

Bikaner Nal Airbase: ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पीएम नरेंद्र मोदी लगातार देश के सीमावर्ती इलाकों का दौरा कर जवानों का मनोबल बढ़ा रहे हैं. पिछले मंगलवार (13 मई) को उन्होंने पंजाब के आदमपुर एयरफोर्स स्टेशन पहुंचकर जवानों के साहस को सलाम किया. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री अब 22 मई को राजस्थान के बीकानेर आ रहे हैं, जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद उनका पहला दौरा है. यहां वे जिले में बने नाल एयरबेस जाएंगे, और वहां मौजूद जवानों को ऑपरेशन सिंदूर में मिली बड़ी सफलता के लिए बधाई देंगे.

 बीकानेर के नाल आएंगे पीएम मोदी

22 मई को प्रधानमंत्री सुबह करीब 11 बजे एक विशेष विमान से बीकानेर के नाल एयरपोर्ट आएंगे. वहां से वह नाल एयरबेस जाएंगे, जहां वह विभिन्न रैंकों के सैनिकों से बातचीत करेंगे और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सशस्त्र बल के अच्छे काम के लिए उन्हें बधाई देंगे.

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पाकिस्तान की क्यों थी नाल एयरबेस पर नजर

इस एयरबेस पर भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों की तैनाती रहती है. वर्तमान में, देश में बने   HAL Tejas MK.1A लड़ाकू विमान का पहला स्क्वाड्रन (No. 3 Squadron IAF, जिसे 'कोबरा' भी कहा जाता है) यहां तैनात है.

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इससे पहले, यह एयरबेस MiG-21 बाइसन का भी घर रहा है जिसे बाड़मेर से विदाई दी गई थी. इसके अलावा, नाल एयरबेस में वायुसेना के पायलटों और अन्य कर्मियों को ट्रेनिंग भी दी जाती है.

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यहां विभिन्न प्रकार के मिलिट्री ऑपरेशन और ट्रैनिंग कैंम्प भी आयोजित किए जाते हैं, जो एयरफोर्स को देश की सीमा पर होने वाले युद्धों की तैयारी में मदद करती है. 

कब बनाया गया था नाल एयरबेस

साल 1942 के अंत में, नाल में  पहले एक कच्चा रनवे बनाया गया था, जिसे अंग्रेजों ने अपने कब्जे में ले लिया था. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, उन्होंने इस हवाई क्षेत्र को खाली कर दिया  था, जिसे बाद में पीडब्ल्यूडी ने अपने कब्जे में ले लिया था.

उसके बाद सितंबर 1942 से सितंबर 1950 तक, बीकानेर के शाही परिवार ने इस बेस पर एक फ्लाइंग क्लब संचालित किया, जिसके बाद महाराजा गंगा सिंह, सादुल सिंह और करणी सिंह ने हवाई क्षेत्र के निर्माण और विकास में गहरी रुचि दिखाई.

इसके बाद सितंबर 1950 में, इस हवाई क्षेत्र को पूरी तरह से भारतीय वायु सेना को सौंप दिया. फिर 1963 में एक नया रनवे बनाया गया. उस समय इसका नाम नंबर 9 केयर एंड मेंटेनेंस यूनिट्स (C & MU) रखा गया था.

इसके बाद जुलाई 1972 में, इसका नाम बदलकर नंबर 3 फॉरवर्ड बेस सपोर्ट यूनिट्स (FBSU) कर दिया गया. 17साल बाद,  17 अप्रैल 1989 को हवाई क्षेत्र का नाम 46 विंग रखा गया. जो आज भी यही से ऑपरेट करती है.

पाकिस्तान की सीमा से है बेहद नजदीक

ऑपरेशन सिंदूर के लॉन्च होने के बाद 8 और 9 मई की तरफ से पाकिस्तान की तरफ से भारी हमले किए थे, जिसमें देश के 15 सैन्य ठिकानों को पाकिस्तान की ओर से निशाना बनाने की कोशिश की बात सामने आई थी. इसमें राजस्थान के 3 सैन्य ठिकाने  फलोदी, बीकानेर (Bikaner) का नाल एयरबेस शामिल था.

पाकिस्तान ने इस नाल एयरबेस, राजस्थान के बीकानेर के पास स्थित है और यह पाकिस्तान की सीमा के नजदीक है. इस कारण से, यह भारत की पश्चिमी सीमा की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान है. यह क्षेत्र पर निगरानी रखने और किसी भी संभावित खतरे का जवाब देने के लिए भारतीय वायुसेना की क्षमता को बढ़ाता है.

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