ड्रेनेज सिस्टम पर राजस्थान में सियासत, जनता हो रही हलकान

जयपुर में ड्रेनेज सिस्टम को लेकर एक के बाद एक सवाल खड़े हो रहे हैं. 14 अगस्त को हुई बारिश से जयपुर में पूरी व्यवस्था ठप हो गई.

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Rajasthan Drainage System: राजस्थान में पीने की पानी की समस्या आम है. भले ही यहां शासन करने वाली सरकार जनता को हमेशा भरोसा पानी की पूर्ति का भरोसा दिलाती रही है. हालांकि इसमें कितनी सफलता मिली है इसका पता नहीं. क्योंकि दशकों से यहां पीने की पानी को लेकर लोग हर साल आंदोलन करने उतरते हैं. राजस्थान में इस बार मानसून की बारिश समस्या बन गई है. सालों बाद राजस्थान में झमाझम बारिश हुई है और यहां की सूखी धरती पानी से तर है और नदियां उफान मार रही हैं. लेकिन अब ज्यादा पानी भी लोगों के लिए परेशानी बन रही है. राजधानी जयपुर में बारिश का पानी मुसीबत बना हुआ है. क्योंकि इस बार की बारिश ने यहां की ड्रेनेज सिस्टम  की पोल खोल दी है. वहीं व्यवस्थाओं को सुधारने वाली सरकार ड्रेनेज सिस्टम पर पुरानी सरकार को कटघरे में खड़े कर रही है.

राजस्थान में ड्रेनेज सिस्टम ने एक नई सियासत को जन्म दिया है. डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने राजस्थान के बिगड़े ड्रेनेज सिस्टम को लेकर पुरानी गहलोत सरकार को घेरा है और कहा है कि 5 साल में ड्रेनेज सिस्टम के लिए कुछ नहीं किया. इसका परिणाम यह है कि राजस्थान में पूरा ड्रेनेज सिस्टम बिगड़ गया है.

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सियासत में हो रही जनता हलकान

जयपुर में ड्रेनेज सिस्टम को लेकर एक के बाद एक सवाल खड़े हो रहे हैं. 14 अगस्त को हुई बारिश से जयपुर में पूरी व्यवस्था ठप हो गई. वहीं एक दिन पहले सीएम भजनलाल शर्मा ने जयपुर शहर का दौरा किया था. जिसमें उन्होंने अधिकारियों की क्लास लगाई और नाराजगी व्यक्त की. वहीं दूसरी ओर जयपुर की अव्यवस्था पर प्रताप सिंह खाचरियावास ने वर्तमान सरकार पर आरोप लगाने से नहीं चुके. उन्होंने कहा राजधानी जयपुर में राज्य सरकार के सारे दावे फेल हो गए हैं. चारों तरफ पानी ही पानी भरा हुआ है. अब तक कई लोगों की नाले और बांध में डूबने से मौत हो चुकी है. चारों तरफ पानी भरने से लोगों में डर का माहौल है. हालांकि, जयपुर की हालत के लिए उनकी सरकार भी जिम्मेदार रही है.

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जयपुर में क्यों हुआ इतना जल जमाव

जयपुर में जल जमाव के कई तत्कालीन कारण है. जिसमें एक है सफाई कर्मचारियों की हड़ताल जो करीब 10 दिनों तक चली. सफाई कर्मचारियों की हड़ताल ने जयपुर की हालत बिगाड़ दी थी. जगह-जगह कूड़े फैल गए और नाले कचरों से भर गए. इन बातों पर जिम्मेदार लोगों ने भी ध्यान नहीं दिया और हालात ऐसे हुए कि मानसून की बारिश से सड़क पर सैलाब उमड़ आया. इसके लिए न केवल सफाई कर्मचारियों की हड़ताल जिम्मेदार है बल्कि सफाई कर्मचारियों की हड़ताल पर जल्द न फैसला लेने वाले सरकार और इसके बाद अधिकारियों द्वारा सही फैसला न लेना भी जिम्मेदार है. इसके अलावा अधिकारियों के पास ड्रेनेज सिस्टम से निपटने के लिए कोई सफल प्लान न होना भी इसका एक बड़ा कारण है.

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बहरहाल ड्रेनेज सिस्टम जयपुर ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान में बिगड़ा हुआ है. ड्रेनेज सिस्टम बिगड़ने पर जिम्मेदार भले कोई भी हो लेकिन इससे हलकान आखिरकार जनता ही हुई है. देखना यह भी जरूरी है कि नई सरकार के पास कितना बेहतर प्लान है और अगली मानसून में यह कितनी सफल होगी.

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