राजस्थान में वंदे मातरम की सियासत... विरासत की लड़ाई, 150वीं वर्षगांठ पर राजस्थान में बना विश्व रिकॉर्ड

राजस्थान में राष्ट्र गीत के आयोजन को लेकर सियासी घमासान भी छिड़ा है. जहां एक ओर अशोक गहलोत ने कांग्रेस की विरासत को खत्म करने का आरोप लगाया. वहीं बीजेपी ने राजनीति करने का आरोप लगाया है.

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Vande Mataram World Record: राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर बीजेपी सरकार द्वारा देशभर में आयोजन किया गया और इस दिन को उत्सव के रूप में मनाया गया. वहीं राजस्थान में शिक्षा विभाग ने पूरे प्रदेश में स्कूलों और कार्यालय में सामूहिक रूप से अनिवार्यता के तहत राष्ट्रीय गीत वंदे मातरण का गायन कराया गया, जिसमें विश्व रिकॉर्ड बनाया गया. हालांकि राजस्थान में राष्ट्र गीत के आयोजन को लेकर सियासी घमासान भी छिड़ा है. जहां एक ओर अशोक गहलोत ने कांग्रेस की विरासत को खत्म करने का आरोप लगाया. तो वहीं बीजेपी नेता घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि कांग्रेस ने वंदे मातरम गीत का विरोध किया था तो कांग्रेस की विरासत कैसे

दरअसल, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के निर्देश पर विभाग ने यह कार्यक्रम तय किया था कि प्रदेश भर में सभी स्कूल तथा शिक्षा विभाग के कार्मिक 7 नवंबर को राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की 150वीं जयंती के अवसर पर प्रात 10:15 पर एक साथ सामूहिक रूप से वंदे मातरम गीत का गायन करेंगे और मां भारती को प्रणाम करेंगे. इसी क्रम में आयोजित समारोह में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अभी तक शिक्षा विभाग के पास एक करोड़ 25 लाख लोगों के एक साथ प्रदेश में सामूहिक रूप से वंदे मातरम गीत का गायन करने का आंकड़ा प्राप्त हुआ है. जबकि गणना अभी जारी है.

गहलोत ने लगाया बीजेपी पर आरोप

वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर हुए आयोजन पर अशोक गहलोत ने कहा कि यह अच्छी बात है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए. लेकिन  उन्होंने सवाल उठाया कि इस निर्णय में कोई ठोस योगदान दिखाई नहीं देता.  उन्होंने कहा कि इतने बड़े आयोजन के लिए आम तौर पर बड़ी समितियां बनाई जाती हैं, जिसमें पत्रकार, बुद्धिजीवी और अन्य समाज प्रतिनिधि शामिल होते हैं.  कांग्रेस के इतिहास में जबसे यह गीत गाया जा रहा है, तब से हर आयोजन में इसे गाया जाता रहा है.

गहलोत ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार स्वतंत्रता आंदोलन की भावना और कांग्रेस की विरासत को समाप्त करना चाहती है. उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन की विरासत ही कांग्रेस की विरासत है, जिसे समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के पैसों का उपयोग कर ऐसा संदेश दिया जा रहा है जैसे यह भाजपा का कार्यक्रम हो. गहलोत ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा से वंदे मातरम गाया है जबकि इनकी शाखाओं में यह गीत गाया ही नहीं जाता था. उन्होंने कहा कि इनके दिल में महात्मा गांधी, सरदार पटेल और वंदे मातरम के लिए सम्मान नहीं है. यह कांग्रेस की विरासत है जिसे यह लोग छीनना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि 1937 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में इस गीत को गाने की शुरुआत हुई थी और उसी वर्ष पंडित नेहरू, सरदार पटेल, सुभाषचंद्र बोस और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के नेतृत्व में वंदे मातरम को राष्ट्रगीत के रूप में औपचारिक मान्यता दी गई थी. जन गण मन और वंदे मातरम दोनों पर कांग्रेस को गर्व है.

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बीजेपी ने गहलोत के आरोप का दिया जवाब

वहीं सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वंदे मातरम् पर दिए गए बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गहलोत जी इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं और राष्ट्रगीत को भी राजनीति के दायरे में घसीट रहे हैं. तिवाड़ी ने कहा कि ‘वंदे मातरम्' गीत देश के स्वतंत्रता सेनानियों में आज़ादी की चेतना जगा रहा था. यह गीत तभी से भारत के क्रांतिकारियों के लिए एक मंत्र और प्रेरणा का स्रोत बन गया. कांग्रेस के अधिवेशन में मौलाना अली, शौकत अली जैसे नेताओं ने इसका विरोध किया था. इसके बाद में वंदे मातरम् को धर्म से जोड़ने की कोशिश की गई, जो कि पूरी तरह गलत और दुर्भाग्यपूर्ण था. 

तिवाड़ी ने कहा कि 1875 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने वंदे मातरम् गीत की रचना की. 1882 में आनंदमठ में प्रकाशित हुआ, जिसमें इस गीत को प्रमुख स्थान मिला. 1905 बंग-भंग आंदोलन के समय यह गीत स्वदेशी आंदोलन का प्रेरणास्रोत बन गया. 

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