राजस्थान के आगामी बजट से 'पॉपलिन नगरी' बालोतरा को काफी उम्मीदें, कपड़ा उद्योग में नए प्रयोगों पर रहेगी नजर

कपड़ा इंडस्ट्रीइज से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि सरकार इस पुराने उद्योग को संरक्षित करने के साथ नए उद्योग की संभावनाओं को लेकर सकारात्मक रुख अपनाए तो अन्य राज्यों जैसे गुजरात, तमिलनाडु और महाराष्ट्र की तर्ज पर बालोतरा देश में बड़ा कपड़ा हब बन सकता है.

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प्रतीकात्मक फोटो

प्रदेश की भाजपा सरकार जल्द ही अपना पहला बजट पेश करने वाली है. ऐसे में जनता के साथ उद्योग जगत को भी बजट से काफी उम्मीदें है. पॉपलिन नगरी के नाम से जाना जाने वाले बालोतरा कपड़ा उद्योग को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं. पर्यावरण सहित अन्य मुद्दों के नियमों में सरलीकरण की मांग हो या अन्य राज्यों की तरह सुविधाएं. बजट को लेकर उद्यमी काफी उत्साहित है.

बालोतरा जिले के आर्थिक धुरी यानी कहे रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले कपड़ा उद्योग को बीजेपी की प्रदेश सरकार के पहले बजट से काफी उम्मीदें हैं. बालोतरा,जसोल व बिठुजा में करीब 1000 कपड़ा इंडस्ट्रीइज है जहां कपड़े की रंगाई -छपाई का काम होता है. इस कपड़ा इंडस्ट्रीइज से तकरीबन 2 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध हो रहा है. वर्तमान में बालोतरा कपड़ा उद्योग को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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ट्रीटमेंट प्लांट्स से बढ़ रहा खर्चा 

कपड़ा इंडस्ट्रीइज से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि सरकार इस पुराने उद्योग को संरक्षित करने के साथ नए उद्योग की संभावनाओं को लेकर सकारात्मक रुख अपनाए तो अन्य राज्यों जैसे गुजरात, तमिलनाडु और महाराष्ट्र की तर्ज पर बालोतरा देश में बड़ा कपड़ा हब बन सकता है.

वर्तमान में बालोतरा कपड़ा उद्योग के संचालन के लिए बालोतरा वाटर पॉल्यूशन निवारण और रिसर्च ट्रस्ट बना हुआ है. जिससे करीब 600 इकाईयां जुड़ी हुई हैं. वहीं जसोल में भी इस ही की तरह एक ट्रस्ट है जो पर्यावरण संरक्षण के साथ कपड़ा उद्योग को लेकर काम कर रहा है. बालोतरा का कपड़ा उद्योग पानी आधारित यानी रंगाई और प्रिंटिंग का उद्योग है. वर्तमान में इस इंडस्ट्रीइज से निकलने वाले प्रदूषित पानी को ट्रीट करने के लिए केंद्र, राज्य व ट्रस्ट की सयुंक्त सहायता से 18 एमएलडी का ZLD प्लांट बना हुआ है. जिसमें प्रदूषित पानी को ट्रीट करके रीयूज करने की बाध्यता है.

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छोटी इंडस्ट्रीज पर संकट 

पर्यावरण संरक्षण के सख्त नियमों के कारण यह प्लांट नाकाफी है. बिठुजा में स्थित छोटी इंडस्ट्रीज के लिए 15 MLD के नए ZLD का प्रोजेक्ट भी बनाया गया है जिसमे केंद्र व राज्य सरकार की सहायता की आवश्यकता है.नए प्लांट नही बनने से नई कपड़ा इंडस्ट्रीइज संचालित नही हो सकती है ऐसे में इस बजट में इसकी स्वीकृति की उम्मीद है.

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अन्य राज्यों की तर्ज पर खत्म हों जीरो लिक्विड डिस्चार्ज प्लांट्स 

उद्योगपतियों के कहना है कि गुजरात,महाराष्ट्र में कपड़ा उद्योग को ZLD लगाने की आवश्यकता नहीं है बल्कि वहां कॉमन ट्रीट करके पानी को रिवर या समुद्र में छोड़ने की अनुमति है. बालोतरा में इसके उलट यहां ट्रीटेड पानी को भी खुले स्थानों में छोड़ने पर पाबंदी है. ऐसे में सरकार कोई ऐसा कदम उठाये जिससे उन्हें करोड़ों की लागत वाले ZLD (जीरो लिक्विड डिस्चार्ज) प्लांट लगाने की आवश्यकता नहीं हो.

वर्तमान में प्रदूषित पानी को उपचारित करने के बाद उसे RO करके रीयूज किया जा रहा है जिससे उनके प्रोडक्शन की लागत बढ़ रही है

ऐसे में अन्य राज्यों से वह मुकाबला नहीं कर पा रहे है. उद्यमियों के कहना है कि सरकार बालोतरा,पाली,जोधपुर,जसोल की इंडस्ट्रीइज को लेकर कोई ऐसी ठोस योजना बनाये ताकि पर्यावरण नियमो की भी पालना हो और उद्योग भी बेरोकटोक संचालित हो सके.

कपड़ा उद्योग में बिजली का संकट 

बालोतरा कपड़ा उद्योग को बिजली की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. उद्योगपतियों के कहना है कि बालोतरा कपड़ा उद्योग बिजली कंपनियों सबसे बड़ा उपभोक्ता है. लेकिन आज हमे पॉवर शेडिंग यानी पॉवर कट का सामना करना पड़ रहा है. उद्योग में आपातकाल स्थिति या ओवरलोड स्थिति में पॉवर कट से मशीनरी सहित प्रोडक्शन में भी नुकसान झेलना पड़ रहा है.