Kota: जानलेवा साबित हो रहा कोटा में कचरे का यह पहाड़, 16 करोड़ से ज्यादा बर्बाद; प्रशासन नहीं दिला पाया निजात

Rajasthan: निगम की प्रशासनिक इंटेलिजेंस और इंजीनियरिंग के बावजूद हालात यह कि 20 साल में 8 योजनाओं फेल हो चुकी हैं.

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Garbage problem in Kota: देशभर में मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए पहचान रखने वाला कोटा बड़ी समस्या से जूझ रहा है. यहां कचरे के पहाड़ हजारों लोगों के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं. नांता स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड से उड़ रहा यह जानलेवा धुंआ नासूर बन चुका है. शहर में करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी कचरा निस्तारण के प्रोजेक्ट की सफलता नजर नहीं आ रही है. जबकि निगम हर बार की तरह इस बार भी बड़े दावे कर रहा है. इधर, गर्मियां शुरू होते ही कोचिंग सिटी में कचरे के पहाड़ों की वजह से सांस लेना मुश्किल हो जाता है. अब ना तो कचरे के यह पहाड़ खत्म हो रहे हैं और ना ही इससे निपटने के लिए कोई स्थायी समाधान हो पाया है.

धराशायी हो गए नगर निगम के तमाम उपाय

एनडीटीवी की टीम जब इस टेंचिंग ग्राउंड पर पहुंची तो स्थिति भयावह नजर आई. उत्तर नगर निगम ने अब तक जो भी प्रयास किए, वो तमाम उपाय धराशायी हैं. निगम की प्रशासनिक इंटेलिजेंस और इंजीनियरिंग के बावजूद हालात यह कि 20 साल में 8 योजनाओं फेल हो चुकी हैं. कचरे से निजात पाने के लिए 16.50 करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च हो चुके हैं. इन सबके बावजूद 2 लाख से अधिक लोग रोज कचरे से उठने वाले जहरीले धुएं से परेशान हैं.

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एनजीटी के आदेश के बाद भी नहीं हुआ समाधान

ट्रेंचिंग ग्राउंड और उससे होने वाले प्रदूषण को लेकर एनजीटी भी सख्त आदेश दे चुका है. शहर के बीच आ चुके इस ग्राउंड को बंद करने की योजना थी, लेकिन निगम इसका विकल्प आज तक नहीं तलाश कर पाया. हालांकि कचरे का केमिकल ट्रीटमेंट भी किया, ताकि उसमें आग न लगे. वहीं, कचरे को पीछे तक फैलाने के लिए 50 लाख रुपए की लागत से सीसी रोड बनाई गई. बावजूद इसके निगम को हर बार असफलता ही हाथ लगी.

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पर्यावरण प्रेमी- सामाजिक संगठन लगातार उठा रहे आवाज

शहर की इस समस्या को लेकर कई सामाजिक संगठन भी आवाज चुके हैं. पर्यावरण प्रेमियों ने टेंचिंग ग्राउंड का समाधान पाने के लिए प्रशासन से आग्रह भी किया. लेकिन इसका कोई हल नहीं निकल पा रहा है, बल्कि कचरे का वह पहाड़ दिनों-दिन मुसीबत बनता जा रहा है.  

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