पुष्कर मेला: 1 करोड़ के भैंसे-घोड़े, ₹10000 में बिक रहे ऊंट; 'रेगिस्तान के जहाज' के भविष्य पर संकट

Pushkar Camel Fair 2025: लोक पशुपालक समिति के सचिव हनुवंत सिंह के अनुसार, खरीदारों को ऊंट को राज्य से बाहर ले जाने के लिए अभी भी एसडीएम की अनुमति, स्वास्थ्य प्रमाण पत्र और परिवहन का उद्देश्य बताना जरूरी है.

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करोड़ों के भैंसे-घोड़े, पर 'रेगिस्तान का जहाज' उदास! पुष्कर मेले में ऊंटों के व्यापार पर मंडराया अनिश्चितता का साया
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Rajasthan News: विश्व प्रसिद्ध पुष्कर पशु मेला इस बार पशुधन व्यापार के दो विरोधाभासी चेहरे दिखा रहा है. एक ओर मुर्रा नस्ल के भैंसे और शानदार घोड़े करोड़ों रुपये की बोली लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजस्थान की पहचान कहे जाने वाले ऊंटों को अनिश्चित बाजार और मात्र ₹10,000 से शुरू होने वाली कीमतों का सामना करना पड़ रहा है. मेले में करोड़ों के 'सितारों' के बीच, ऊंटों के परिवहन पर प्रतिबंध हटने के बावजूद बाजार में निराशा छाई हुई है, जिसका सीधा असर पशुपालकों की उम्मीदों पर पड़ा है.

करोड़ों के 'सुपरस्टार': बलबीर, बादल और नगीना

पुष्कर पशु मेले में इस साल बलबीर, बादल, नगीना और शहजादी जैसे पशु नए आकर्षण का केंद्र बने हैं, जिनकी कीमत ₹1 करोड़ से भी ऊपर है.

1. भैंसा बलबीर: 1 करोड़ की कीमत

मुर्रा भैंसा बलवीर.
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डीडवाना के डूंगाराम का 35 महीने का मुर्रा नस्ल का भैंसा 'बलबीर' इस मेले का सबसे महंगा पशु है, जिसकी कीमत ₹1 करोड़ लगाई गई है. 800 किलो वजनी और 5 फीट 8 इंच ऊंचा 'बलबीर' मुर्रा नस्ल का है, जो अपनी उच्च दुग्ध उपज और मजबूती के लिए जाना जाता है. डूंगाराम के मुताबिक, 'बलबीर' को घी, दूध, हरा चारा और विशेष प्रोटीन केक (खल) खिलाया जाता है, और इसके रखरखाव पर हर महीने ₹35,000 खर्च होता है. 'बलबीर' का उपयोग मुख्य रूप से प्रजनन (Breeding) के लिए किया जाता है और यह वर्तमान में महीने में ₹80,000 तक कमाता है. डूंगाराम को उम्मीद है कि 4 साल की उम्र के बाद इसकी आय तीन गुना तक बढ़ सकती है.

2. घोड़े और घोड़ियां: सोशल मीडिया सेंसेशन

चंडीगढ़ के ब्रीडर गैरी गिल अपने ढाई साल के घोड़े शाहबाज के साथ
Photo Credit: PTI

अजमेर के केकड़ी का घोड़ा 'बादल' अपनी ऊंचाई और आकर्षक रूप से सोशल मीडिया सेंसेशन बन गया है. इसके मालिक राहुल का दावा है कि इसे ₹15 लाख की लागत से एक बॉलीवुड फिल्म में काम करने का ऑफर मिला है, जिसमें ₹10 लाख एडवांस मिल चुके हैं. 'शहज़ादी' नाम की सफेद घोड़ी अपने डांस स्टेप्स से लोगों का दिल जीत रही है, जिसकी कीमत ₹51 लाख है. वहीं, पंजाब की 'नगीना' घोड़ी की कीमत ₹1 करोड़ से अधिक बताई जा रही है और वह अपने एयर कंडीशन वाले विशेष वाहन (Horse Float) में पुष्कर पहुंची है.

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केकड़ी के ब्रीडर राहुल जेतवाल अपने घोड़े बादल के साथ
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'रेगिस्तान के जहाज' का अनिश्चित भविष्य

मेले में लाखों-करोड़ों की कीमत पाने वाले घोड़ों और भैंसों के विपरीत, ऊंट अनिश्चित बाजार का सामना कर रहे हैं. ऊंटों की कीमतें ₹20,000 से लेकर ₹1 लाख तक हैं. पिछले साल परिवहन पर प्रतिबंध के कारण कुछ ऊंट केवल ₹1,500 में बिके थे, जिससे पशुपालकों को बड़ी राहत मिली थी, लेकिन यह बाजार अभी भी अस्थिर है.

इस बार पुष्कर मेले में करीब 5,000 ऊंट व्यापार के लिए आए हैं.

प्रतिबंध हटा, पर मुश्किलें जारी

पिछली वसुंधरा राजे सरकार द्वारा ऊंटों की घटती संख्या (2019 की जनगणना में लगभग 2 लाख) को देखते हुए राजस्थान से बाहर उनके परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि सरकार ने यह प्रतिबंध हटा दिया है, फिर भी परिवहन की कड़ी शर्तें ऊंट मालिकों की उम्मीदों को तोड़ रही हैं.

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जटिल परिवहन नियम

लोक पशुपालक समिति के सचिव हनुवंत सिंह के अनुसार, खरीदारों को ऊंट को राज्य से बाहर ले जाने के लिए अभी भी एसडीएम की अनुमति, स्वास्थ्य प्रमाण पत्र और परिवहन का उद्देश्य बताना जरूरी है. यूपी और बिहार से बहुत से खरीदार आए हैं, पर नियम सख्त हैं.

तस्करी का डर, सतर्कता जरूरी

हनुवंत सिंह ने यह भी चिंता जताई कि कुछ नर ऊंटों को वध (Slaughter) के लिए ले जाया जा सकता है, इसलिए सरकार को सतर्कता बरतनी होगी.

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विवाद और गिरफ्तारी

इस अनिश्चितता के बीच, दिल्ली जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर बेहरौर में बुधवार को एक वाहन को गौ रक्षक समूहों ने रोक लिया. इस वाहन में पुष्कर मेले से खरीदे गए 8 ऊंट फिरोजपुर ले जाए जा रहे थे. ड्राइवर जावेद को पशु क्रूरता के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया, और ऊंट जब्त कर लिए गए.

पशुपालन विभाग ने स्पष्ट किया है कि भले ही परिवहन पर प्रतिबंध हटा दिया गया हो, पशु मेले में संबंधित प्राधिकार से स्वास्थ्य प्रमाण पत्र और पशु को बाहर ले जाने के उद्देश्य का बयान देने के बाद ही परमिट जारी किया जाएगा.

'कीमतें फिर से गिरने का डर'

पाली जिले के चांदावाल गांव से ऊंट पालक किशनजी बताते हैं, 'मैंने अपना नर ऊंट ‘मोती', जो 4 साल का है, 35,000 रुपये में बेचा. यह अच्छी कीमत है. पहले ऊंट इतने दामों पर नहीं बिकते थे. लेकिन ऊंट व्यापार पर अब भी अनिश्चितता बनी हुई है. अगर परिवहन की अनुमति आसानी से नहीं दी गई, तो कीमतें फिर से गिर सकती हैं.'

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