Rajasthan News: राजस्थान में लेन-देन के मामले में पंचायती में पैसे देने की बात पर समझौता होने के बाद देनदार पक्ष पर अपहरण और बंधक बनाने का झूठा मुकदमा दर्ज करवाने का आरोप लगा. गुरुवार को राष्ट्रीय सरपंच एसोसिएशन के बैनर तले 52 पंचायतों के सरपंचों और जमाल के ग्रामीणों ने पुलिस अधीक्षक से मिलकर ज्ञापन सौंपा और उच्च स्तरीय जांच की मांग रखी. सरपंच एसोसिएशन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संतोष बेनीवाल ने बताया कि FIR No. 42/2024 में भारतीय दंड संहिता की धारा 365, 342 और 323 के तहत गोगामेड़ी थाना में दर्ज की गई थी. जिसमें भरवाना निवासी परिवादी विनोद कुमार जो शराब ठेके पर कार्यरत है उन्ही के द्वारा यह मामला दर्ज कराया गया था. प्रारंभिक जांच में तत्कालीन अनुसंधान अधिकारी ने जांच करते हुए जमाल और भरवाना गांव के लोगों के बयान लिए और 24 दिसंबर 2024 को यह रिपोर्ट झूठी और तथ्यहीन पाई गई.
अनुसंधान अधिकारी पर लगा आरोप
पुलिस अधीक्षक से मिले प्रतिनिधि मंडल ने आरोप लगाया कि अनुसंधान अधिकारी के स्थानांतरण के बाद नए थाना प्रभारी ने कथित रूप से राजनैतिक दबाव में आकर पंचायत से जुड़े लोगों को इस मामले में झूठा आरोपी बनाना शुरू कर दिया. एसोसिएशन पदाधिकारियों ने ये आरोप भी लगाया गया कि बिना किसी नई जांच या सबूत के, अनुसंधान अधिकारी जनप्रतिनिधियों के घरों पर दबिश दे रहे हैं और उन्हें गिरफ्तार करने का दबाव बना रहे हैं.
यह मामला केवल पैसे के लेन-देन का
सरपंचों और ग्रामवासियों का कहना है कि जिस घटना का जिक्र FIR में किया गया है, वह असल में हुई ही नहीं थी. बल्कि यह मामला केवल पैसे के लेन-देन का था, जिस पर पहले कई बार पंचायतें भी हो चुकी हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि पंचायतों में शामिल गणमान्य और जिम्मेदार लोगों को झूठे मामलों में फंसाया गया, तो इससे सामाजिक ताना-बाना बिगड़ेगा और भविष्य में कोई भी व्यक्ति पंचायत करने से कतराएगा.
जांच नहीं होने पर सीएम से मिलने की कही बात
सरपंच संघ ने कहा कि इलाके में इस घटनाक्रम को लेकर आमजन में रोष है. उन्होंने पुलिस अधीक्षक से अपील की है कि वे स्वयं इस मामले की निगरानी में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करवाएं, ताकि ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों का पुलिस प्रशासन पर विश्वास बना रहे. अगर अभी भी सही जांच नहीं हुई तो संघ मुख्यमंत्री से मिलेगा. ज्ञापन देने के दौरान सभी ने मांग की है कि सबूतों, गवाहों और सत्य के आधार पर मुकदमे की जांच हो, न कि राजनीतिक प्रभाव में आकर निर्दोष लोगों को मामले में प्रताड़ित किया जाए.
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