रिश्वतखोर कांस्टेबल को बचाने के लिए ACB के DIG ने ली 10 लाख की रिश्वत, 3 साल बाद ऐसे सामने आया मामला

ACB DIG ने हेड कांस्टेबल सरदार सिंह से उनके कांस्टेबल भाई प्रताप सिंह के माध्यम से मार्च 2022 में 9.5 लाख रुपये की रिश्वत ली थी.

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जयपुर:

Rajasthan ACB: राजस्थान के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) प्रदेश में भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने के लिए लगातार कार्रवाई कर रही है. लेकिन अब रिश्वत के मामले में राजस्थान के ACB में ही बड़ा खेल हुआ. जिसकी भनक किसी को नहीं लगी. लेकिन अब 3 साल बाद इस मामले में ACB ने कार्रवाई शुरू की है. जिसमें ACB के पूर्व DIG समेत हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल पर मामला दर्ज किया गया है. बताया जाता है कि ACB के पूर्व DIG और IPS अधिकारी विष्णु कांत ने कांस्टेबल से 10 लाख रुपये की रिश्वत ली थी.

ब्यूरो में बुधवार को दर्ज की गयी प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि विष्णु कांत जब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के उप महानिरीक्षक थे तो एसीबी ने हेड कांस्टेबल सरदार सिंह से उनके कांस्टेबल भाई प्रताप सिंह के माध्यम से मार्च 2022 में 9.5 लाख रुपये की रिश्वत ली थी.

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2021 में कांस्टेबल पर दर्ज हुआ था रिश्वतखोरी का मामला

साढ़े नौ लाख रुपये की यह कथित रिश्वत रिश्वतखोरी के एक अन्य मामले से सरदार सिंह का नाम हटाने के लिए ली गयी थी. रिश्वतखोरी के जिस मामले में सरदार सिंह से उनका नाम हटाने के लिए पैसे लिये गये थे उस मामले में उन्हें अक्टूबर 2021 में एक अन्य कांस्टेबल के साथ गिरफ्तार किया गया था. जयपुर के जवाहर सर्कल थाने में तैनात हेड कांस्टेबल सरदार सिंह और कांस्टेबल लोकेश को अक्टूबर 2021 में सत्यपाल पारीक की शिकायत के बाद ब्यूरो ने रिश्वत लेते हुए पकड़ा था.

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प्राथमिकी के अनुसार जांच अधिकारी ने कांस्टेबल लोकेश के खिलाफ आरोपों को सही पाया और अदालत में मुकदमा चलाने की सिफारिश की. लेकिन उन्होंने (जांच अधिकारी) ने हेड कांस्टेबल सरदार सिंह के खिलाफ सबूत न होने के कारण उनका नाम मामले से हटाने की सिफारिश की.

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DIG ने की थी कांस्टेबल का नाम केस हटाने की सिफारिश

प्राथमिकी के मुताबिक यह फ़ाइल तत्कालीन उप महानिरीक्षक विष्णु कांत को भेजी गई, जिन्होंने इसे राय के लिए उप निदेशक (अभियोजन) के पास भेज दिया. उप निदेशक (अभियोजन) ने फाइल देखने के बाद कहा कि हेड कांस्टेबल सरदार सिंह की संलिप्तता दिखाई दे रही है और जांच कार्यालय के साथ चर्चा के बाद निर्णय लिया जाना चाहिए. विष्णु कांत ने जांच अधिकारी से परामर्श किए बिना लोकेश के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने का फैसला किया और सरदार सिंह का नाम हटाने की सिफारिश की. इस बीच, सरदार सिंह ने अपने भाई एवं विष्णुकांत के बीच कथित बातचीत वाले ऑडियो क्लिप समेत कई ऑडियोक्लिप शिकायतकर्ता सत्यपाल पारीक को भेजी और कहा कि उनका नाम प्राथमिकी से हटा दिया गया है.

शिकायतकर्ता ने ओडियो क्लिप DGP को भेजा

शिकायतकर्ता ने सभी ऑडियो क्लिप डीजीपी को भेज दिये . डीजीपी ने उन्हें आगे की कार्रवाई के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भेज दिया. शुरुआती जांच के बाद ब्यूरो ने विष्णुकांत, सरदार सिंह और प्रताप सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया.

बुधवार को दर्ज प्राथमिकी में बताया गया है कि विष्णुकांत ने हेड कांस्टेबल सरदार सिंह का नाम हटाने के लिए 10 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी और उन्हें 9.5 लाख रुपये दिए गए थे. 2005 बैच के आईपीएस अधिकारी विष्णु कांत वर्तमान में पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) होम गार्ड के पद पर कार्यरत हैं.

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