खींवसर विधानसभा सीट पर कनिका बेनीवाल के पास कितनी चुनौती, वोटरों ने दिये हनुमान बेनीवाल के लिए चौंकाने वाले बयान

खींवसर विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रतन चौधरी, बीजेपी से रवंत राम डांगा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से कनिका बेनीवाल जो हनुमान बेनीवाल की पत्नी है. इन तीनों के बीच कड़ा त्रिकोणीय मुकाबला होने वाला है.

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Rajasthan Assembly By Election 2024: राजस्थान में विधानसभा उपचुनाव की नामांकन अब खत्म हो चुका है. सभी पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपना-अपना नामांकन करा लिया है. राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है. वहीं इन सात विधानसभा सीटों में खींवसर विधानसभा सीट (Khinvsar Assembly Seat) सबसे हॉट सीट मानी जा रही है. क्योंकि यहां मुकाबला त्रिकोणीय होने वाला है वह भी टक्कर का. यहां कांग्रेस-बीजेपी के अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रित पार्टी (RLP) के प्रत्याशी मैदान में हैं. यह सीट RLP के हनुमान बेनीवाल के सांसद बनने के बाद खाली हुआ है तो पार्टी के लिए जीत प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है.

खींवसर विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रतन चौधरी, बीजेपी से रवंत राम डांगा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से कनिका बेनीवाल जो हनुमान बेनीवाल की पत्नी है. इन तीनों के बीच कड़ा त्रिकोणीय मुकाबला होने वाला है.

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कनिका बेनीवाल की राह कितनी मुश्किल

हनुमान बेनीवाल खींवसर सीट पर अपना गढ़ बना चुके हैं. यही वजह है कि उन्होंने कनिका बेनीवाल को टिकट देकर अपने जीत का दावा किया है. हनुमान बेनीवाल खुद को जमीन से जुड़े नेता बताते हैं और उनकी फैन फॉलोइंग भी जबरदस्त है. लेकिन ग्राउंड की रिपोर्ट पर जो जनता और वोटरों के बयान सामने आए हैं उससे लगता है कि कनिका बेनीवाल की राह आसान नहीं होने वाली है. माना जाता है कि खींवसर की जनता निजी चेहरों पर वोट करती है. इन तीनों प्रत्याशियों में जनता ने बताया कि भाजपा से इस बार जो रेवंतराम डांगा प्रत्याशी है वह जनता की पहली पसंद है. क्योंकि वह लोकल खींवसर विधानसभा के ही रहने वाले हैं और और यही हमारे बीच खींवसर में ही रहते है. यहां से हर व्यक्ति उनकी निजी तौर पर जान पहचान है हमारे सारे कार्य भी करवाते हैं.

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अब तक रेवंत राम के साथ ही जीतते हैं हनुमान बेनीवाल

आरएलपी पार्टी से जो हनुमान बेनीवाल है उनका खुद का वोट खींवसर विधानसभा में नहीं लगता और ना ही वह खींवसर में रहते हैं. वह खुद अब नागौर रहने लग गए और एमपी बनकर पूरे भारत में घूमते रहते हैं इसलिए हमें अपने काम के लिए भी उनका इंतजार करना पड़ता है इसलिए हमें अब ऐसा विधायक नहीं चाहिए जो हर बार चुनाव करवा कर अपने ही परिवार को बढ़ावा दे रहा है, और केवल कागजों में ही प्रेस नोट जारी करके अपना काम बता रहे हैं. जबकि विकास तो केंद्र और राज्य सरकार के दोनों को पैसों से होता है. हर जगह अपने नाम और पट्टीका लगवाते हैं. जबकि हमारे गांव और धनिया में अभी भी कहीं ट्यूबेले बंद पड़ी है केवल उनका कागजों के आंकड़ों से बेनीवाल जी ने चालू बता रखा है.  हमारे गांव में तो लाइट भी नहीं है. हनुमान बेनीवाल हर बार जो चुनाव जीते हैं वह रेवंतराम डांगा के साथ से जीते थे. इस बार उनको जीतने में पसीना आ जाएगा और उन्होंने इतने साल तक जनता को बेवकूफ बना के रखा है.

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सीमेंट फैक्ट्री के विरोध के बाद भी शुरू हुआ

हमारे यहां एक सीमेंट की फैक्ट्री शुरू होने वाली थी लेकिन हमने उनका बहिष्कार किया तो बेनीवाल जी हमारे साथ में लगे और उन्होंने भी उसे फैक्ट्री का बहिष्कार किया. लेकिन जैसे ही बेनीवाल जी एमपी बने तो उन्होंने तुरंत इस फैक्ट्री को शुरू करवा दिया. उस फैक्ट्री में कोई भी लोकल व्यक्ति को कार्य के लिए नहीं रखा गया और बेनीवाल जी ने तब हमारा साथ नहीं दिया इसीलिए हम बेनीवाल जी के खिलाफ है और वोट नहीं देंगे. खींवसर के विकास की बात करते हैं तो खींवसर का विकास तो कांग्रेस और आरएलपी दोनों ने हीं नहीं करवाया. 

बहरहाल, वोटर हनुमान बेनीवाल के खिलाफ नजर आ रहे हैं. हालांकि अभी वोटिंग में काफी वक्त है जो 13 नवंबर को होना है. ऐसे में कनिका बेनीवाल को इन वोटरों की नाराजगी दूर करने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी.

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