Rajasthan Bypoll Results 2024: 'यही रात अंतिम, यही रात भारी', कल उपचुनाव के नतीजों के बाद राजस्थान की सियासत में आएगा भूचाल!

Rajasthan Up Chunav Result 2024: राजस्थान की खींवसर, सलूंबर, देवली-उनियारा, रामगढ़, दौसा, सलूंबर और चौरासी विधानसभा सीट पर सिर्फ उम्मीदवारों के भाग्य का ही फैसला नहीं होगा, बल्कि राजस्थान की सियासत की दशा और दिशा भी तय होगी.

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Election Result 2024

Rajasthan By Election Result: राजस्थान उपचुनाव के नतीजे शनिवार दोपहर होते-होते स्पष्ट हो जाएंगे. प्रदेश की 7 विधानसभा सीट खींवसर, देवली-उनियारा, रामगढ़, दौसा, सलूंबर और चौरासी में जबरदस्त घमासान देखने को मिला. इन सीटों पर सिर्फ चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के भाग्य का ही फैसला नहीं होगा, बल्कि राजस्थान की सियासत (Rajasthan Politics) की दशा और दिशा भी तय होगी.

करीब 11 महीने के भीतर ही चुनावी घमासान के चलते भजनलाल सरकार के लिए यह लिटमस टेस्ट की तरह है. इसके साथ ही बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के लिए भी यह पहली परीक्षा है. वहीं, बिना गठबंधन अकेले चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस के लिए भी यह इम्तिहान है. दूसरी ओर, सांसद बन चुके हनुमान बेनीवाल की पार्टी को विधानसभा में भी प्रतिनिधित्व का इंतजार है. अगर पार्टी की हार हुई तो विधानसभा में आरएलपी का एक भी सदस्य नहीं होगा.

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कल इन उम्मीदवारों की किस्मत का होगा फैसला

झुंझुनूं:- राजेंद्र भांबू (बीजेपी), अमित ओला (कांग्रेस), राजेंद्र गुढ़ा (निर्दलीय)

खींवसर:- रेवंत राम (बीजेपी), रतन चौधरी (कांग्रेस), कनिका बेनीवाल (RLP)

चौरासी:- कारीलाल ननोमा (बीजेपी), महेश रोत (कांग्रेस), अनिल कटारा (BAP)

सलूंबर:- शांता देवी (बीजेपी), रेशमा मीणा (कांग्रेस), जितेश कटारा (BAP)

देवली-उनियारा:- राजेंद्र गुर्जर (बीजेपी), केसी मीणा (कांग्रेस), नरेश मीणा (निर्दलीय)

दौसा:- जगमोहन मीणा (बीजेपी), दीनदयाल बैरवा (कांग्रेस)

रामगढ़:- सुखवंत सिंह (बीजेपी), आर्यन जुबेर खान (कांग्रेस)

हिसाब चुकता करने की तैयारी में ज्योति मिर्धा, बेनीवाल के पुराने साथी भी बने चुनौती

खींवसर के गढ़ में बेनीवाल ने पत्नी कनिका बेनीवाल के लिए पूरा जोर लगाया. लेकिन उनकी सहयोगी रही कांग्रेस ने डॉ. रतन चौधरी को मैदान में उतारकर चुनौती बढ़ाई. जबकि कभी उनके खास रहे रेवंतराम डांगा ही उनकी राह का कांटा बन गए. बेनीवाल की सियासी दुश्मन डॉ. ज्योति मिर्धा ने भी अपना पुराना हिसाब चुकाने के लिए डांगा को भरपूर सहयोग किया. इससे पहले लोकसभा चुनाव में मिर्धा और बेनीवाल की सीधी टक्कर हुई थी, जिसमें मिर्धा को फिर से शिकस्त मिली.

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मिर्धा को अब तक 3 लोकसभा और 1 विधानसभा चुनाव में बेनीवाल मात दे चुके हैं. ऐसे में इस बार मिर्धा अपना हिसाब चुकता करने के लिए डांगा के चुनाव प्रचार में उतर गई थीं.

बेनीवाल खुद भी जानते हैं कि इस बार उनकी राह आसान नहीं है. तभी उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान बयान दिया था कि अगर इस उपचुनाव में उनकी पार्टी हार जाती है तो अगले दिन हेडलाइन बनेगी- 'RLP राजस्थान से मिट गई.' ऐसा इसलिए क्योंकि साल 2023 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आरएलपी छोड़कर भाजपा में शामिल रेवंत राम डांगा ने बेनीवाल को कड़ी टक्कर दी थी, जिसके चलते आरएलपी सुप्रीमो को महज 2059 वोटों से जीत मिली.

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दौसा में भाई की जीत-हार से सबकुछ होगा तय, समरावता हिंसा ने बढ़ाई टेंशन

दौसा उपचुनाव का नतीजा महज इलेक्शन रिजल्ट ही नहीं होगा. बल्कि ये बीजेपी के दिग्गज नेता डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के लिए काफी अहम होगा. लोकसभा चुनाव में पूर्वी राजस्थान में बीजेपी की हार के बाद बीजेपी नेता ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, हालांकि यह त्यागपत्र मंजूर नहीं हुआ. बावजूद इसके सियासत काफी गर्म रही.

एक बार फिर भाई जगमोहन मीणा की जीत या हार पर डॉ. किरोड़ीलाल का राजनीतिक भविष्य भी तय होगा.

इसके अलावा 13 नवंबर को मतदान के दिन समरावता हिंसा के बाद हालात तनावपूर्ण बन गए थे. मीणा समाज के लोग नरेश मीणा की गिरफ्तारी से भी नाराज दिखाई दिए, जिसके बाद किरोड़ीलाल मीणा ने हालात संभालने की काफी कोशिश भी की.

सचिन पायलट के लिए भी अग्निपरीक्षा

देवली-उनियारा और दौसा में गुर्जर-मीणा वोट बैंक निर्णायक होने के साथ ही कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट की साख भी दांव पर है. सांसद मुरारी लाल मीणा की सीट रही दौसा सचिन पायलट का भी गढ़ माना जाता है, जिसके चलते इन दोनों नेताओं के लिए भी यह सीट काफी अहम है. उपचुनाव के दौरान सचिन पायलट और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के बीच बयानबाजी भी देखी जा चुकी है. ऐसे में चुनाव के नतीजे काफी हद तक पायलट की 'पॉलिटिकल इमेज' को भी प्रभावित करेंगे. 

रिजल्ट के बाद पता चलेगा- बीएपी में क्या सबकुछ ठीक है?

चौरासी विधानसभा सीट से भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) के राजकुमार रोत ने जीत हासिल की थी. इसके बाद लोकसभा चुनाव में बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर जीत हासिल करने के बाद यह सीट खाली हो गई है. ऐसे में राजकुमार रोत के लिए प्रतिष्ठा का विषय है कि चौरासी सीट को फिर से BAP के खाते में डालना. हालांकि इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों की नजर है. पहले बीटीपी और फिर बीएपी (BAP) से चुनाव जीत चुके रोत का यह गढ़ ढहाने के लिए बीजेपी ने भी सीमलवाड़ा प्रधान कारीलाल ननोमा के सहारे पूरा जोर लगाया. जबकि कांग्रेस ने सांसरपुर सरपंच महेश रोत को उतारा. बीएपी के लिए दोनों पार्टियों के अलावा बागी भी चुनौती बने. चिखली से बीएपी प्रधान के पति बदामीलाल ताबियाड़ ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं.

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