पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने रविवार को एक 'राष्ट्र- एक चुनाव' पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा को इतने दिनों तक उसकी याद क्यों नहीं आई. वहीं, भाजपा की परिवर्तन यात्रा पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा की परिवर्तन यात्रा पूरी तरह होगी फेल होगी. सीकर के लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक डोटासरा ने कहा कि बीजेपी अपने नेताओं को एकजुट नहीं कर पा रही है, जबकि जनता राजस्थान में एक बार फिर कांग्रेस को सत्ता में लाने को तैयार बैठी है.
राजस्थान सरकार के कामों का उल्लेख करते हुए डोटासरा ने कहा कि प्रदेश में भाजपा चुनाव किसी नेता के चेहरे पर नहीं लड़ रही है, इससिए भाजपा मोदी जी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है. उन्होंने कहा, अब मोदी जी का चेहरा जनता को भी नही भा रहा है, क्योंकि मोदी जी ने जो जनता से वादे किए थे, उसमें से एक भी वादे पर भी मोदी सरकार खरा नहीं उतरी है.
वहीं, 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' (One Nation-One Election) की संभावना पर विचार के लिए गठित समिति को देश में संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करने का एक प्रयास करार देते हुए शनिवार को कांग्रेस ने कहा कि राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को समिति का हिस्सा नहीं बनाना समझ से परे है. पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सवाल किया कि क्या खरगे को समिति से इसलिए बाहर रखा गया, क्योंकि वह भाजपा व आरएसएस के लिए सुविधाजनक नही हैं?
दूसरी ओर, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' के लिए बनी हाई पावर कमेटी का सदस्य बनने से ही इनकार कर दिया. यही नहीं, अधीर रंजन चौधरी ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लेकर गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी है. यह कमेटी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने की व्यवहार्यता की जांच करने के लिए बनी है.
उल्लेखनीय है 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' के लिए केंद्र द्वारा गठित समिति देश में एक साथ संसदीय और राज्य विधानसभा चुनाव कराने की संभावना की जांच करेगी. समिति संविधान, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और किसी भी अन्य प्रासंगिक नियमों में विशिष्ट संशोधनों की जांच करेगी और सिफारिश करेगी. अधिसूचना के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति यह भी जांच करेगी कि संविधान में संशोधनों के लिए राज्यों के भी समर्थन की जरूरत होगी या नहीं?