सदन में विपक्ष के धरने पर विधानसभा अध्यक्ष की कड़ी प्रतिक्रिया, कहा- यह शर्मनाक और निंदनीय हठधर्मिता

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने राज्य विधानसभा में नियमों और परम्पराओं के विपरीत विपक्ष की हठधर्मिता वाले व्यवहार को बेहद दुखद करार दिया.

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Rajasthan Politics: राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली समेत दर्जनों विधायक धरने पर बैठे हैं. कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर को निलंबित किये जाने के बाद विपक्ष सदन के अंदर ही धरना दे रहे हैं. हालांकि, धरना खत्म करने को लेकर सरकार के दो मंत्री उनसे बात करने पहुंचे थे और उनसे कहा कि मंगलवार को प्रश्न काल मुकेश भाकर को विधानसभा से दूर रहना होगा. इसके बाद मुकेश भाकर के निलंबन के खिलाफ प्रस्ताव लाया जा सकता है. लेकिन विपक्ष ने कहा कि सुबह सदन में सबसे पहले निलंबन रद्द करने पर प्रस्ताव लाया जाएगा. तब ये धरना खत्म होगा. लेकिन इस प्रस्ताव को विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने मानने से इनकार कर दिया.

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने राज्य विधानसभा में नियमों और परम्पराओं के विपरीत विपक्ष की हठधर्मिता वाले व्यवहार को बेहद दुखद करार दिया. उन्होंने कहा कि विधानसभा जैसे पवित्र व गरिमापूर्ण सदन में किसी सदस्य के द्वारा आसन की ओर अभद्र इशारों का प्रदर्शन शर्मनाक है. देवनानी ने विपक्ष द्वारा ऐसे सदस्य का पक्ष लेना बेहद निंदनीय है और ऐसे सदस्य का बचाव किया जाना भी अशोभनीय है.

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न्यायालय में विचाराधीन विषय उठाना नियम के विपरीत

देवनानी कहा कि अध्यक्ष द्वारा सदस्य का निलंबन किये जाने का कदम सदन की गरिमा की रक्षार्थ उठाया गया. विपक्ष ने लगातार आसन के निर्देशों की अवहेलना की और विपक्ष के सदस्यों का सोमवार को सदन में व्यवहार और नेता प्रतिपक्ष द्वारा ऐसे सदस्य का बचाव संसदीय परम्पराओं की अवहेलना की पराकाष्ठा है. उन्होंने कहा कि सदन में विपक्ष द्वारा उठाया गया विषय न्यायालय में विचाराधीन है. राजस्थान विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के तहत न्यायालय में विचाराधीन विषय पर सदन में चर्चा की अनुमति नहीं होती. न्यायालय में विचाराधीन विषयों को बार-बार सदन में उठाया जाना नियमों ही नहीं परम्पराओं के भी विपरीत होता है.

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राजस्थान विधानसभा में सोमवार को विधायकों के अनुभवों और नवाचारों पर विचार के दौरान विधि विभाग ‌द्वारा 12 जिलों में कुछ लोक अभियोजक और अपर लोक अभियोजकों की नियुक्ति के सन्दर्भ में 27 जुलाई को हुए आदेश में दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 24 के उल्लेख का विषय विपक्ष द्वारा व्यवस्था के प्रश्न के नाम से उठाया गया जो नियमों के विपरीत था.

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उन्होंने एक बयान में कहा कि राजस्थान विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के नियम 294 के तहत यह व्यवस्था का प्रश्न ही नहीं था.

बयान के अनुसार, सदन में जारी गतिरोध के दौरान विधायक मुकेश भाकर द्वारा आसन के प्रति अशोभनीय व्यवहार और हाथों के इशारे से अमर्यादित प्रदर्शन किया गया, जो विधानसभा में सन 1952 से लेकर अब तक के इतिहास में ऐसे किसी व्यवहार की नजीर नहीं है और विपक्षी सदस्यों का अध्यक्ष के आसन के समीप आने की परम्परा नहीं है.

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