बाड़मेर के छात्र पर फर्जी कंपनियों के जरिये 166 करोड़ रुपए घोटाले का आरोप, पिता बोले - 'उसकी कोचिंग फीस तो मैं देता हूं '  

आरोपी के पिता हेमाराम के पास एक ट्रैक्टर है. जिसे उसने बाड़मेर की एक बैंक से लोन लेकर खरीदा है और उसी ट्रैक्टर से पानी के टैंकर डाल कर ट्रैक्टर की किस्त भरता है. पिता के मुताबिक बेटा जयपुर में रहकर कोचिंग कर रहा है उसकी कोचिंग की फीस में घर से भेज रहा हूं. मेरे बेटे को फंसाया जा रहा है.

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Bramer News: महाराष्ट्र में फर्जी दस्तावेज के आधार पर तीन कंपनियां खोलकर करोड़ों रुपए के टैक्स चोरी करने के मामले में जीएसटी विभाग की टीम ने कार्रवाई करते हुए बाड़मेर के एक युवक को गिरफ्तार किया है. युवक बाड़मेर के मरटाला गाला महाबार का निवासी है. परिवार के अनुसार युवक जयपुर में रहकर कोचिंग कर रहा है. युवक ने महज डेढ़ साल में अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर 927 करोड़ रुपए का फर्जी लेनदेन कर करीब 166 करोड़ रुपए से ज्यादा की टैक्स चोरी को अंजाम दे दिया.

इस मामले में महाराष्ट्र के पुणे से आई जीएसटी से संबंधित मामलों में जांच कर रही (DGGI) जीएसटी खुफिया निदेशालय की टीम ने बाड़मेर से वीरेंद्र उर्फ कल्पेश कुमार और दिनेश कुमार को गिरफ्तार कर लिया है. जबकि तीसरे आरोपी कृष्ण कुमार की तलाश कर रही है.

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इस तरह से सामने आया पूरा मामला

जीएसटी से जुड़े मामलों को लेकर जांच करने वाली खुफिया महानिदेशालय (DGGI) ने इन दिनों विशेष अभियान चला रखा है.  इस अभियान में सामने आया की तीन फर्म मेसर्स एसके इंटरप्राइजेज, मेसर्स आरके इंटरप्राइजेज काम तो पुणे में करती हैं लेकिन उनका मूल पता गोवा है और महालक्ष्मी इंटरप्राइजेज का पता पुणे की किसी जगह का था.

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इसपर DGGI की टीम ने फर्मों के दिए गए मूल पते पर जाकर जांच की तो पाया कि इन फर्मों का दिए गए पते पर कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिसके बाद एजेंसी अलर्ट हुईं और तीनों फर्मों के रिकार्ड खंगालने शुरू किए तो सामने आया कि इन तीन फर्मों से 54 फर्मों के साथ करोड़ों का लेनदेन हो रहा है.  इनमें से मेसर्स एसके और आरके इंटरप्राइजेज फर्मों का लेनदेन में एक ही आईपी एड्रेस इस्तेमाल हो रहा है और फर्जी बिल काट कर लेनदेन किया जा रहा है. 

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बाड़मेर का वीरेंद्र पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड

पूरा घोटाला वीरेंद्र उर्फ कल्पेश कुमार और उसके दो दोस्त कृष्ण कुमार और दिनेश कुमार ने मिलकर किया है लेकिन पैसों का लेनदेन बाड़मेर के वीरेंद्र के यूनियन बैंक के खाते से हुआ है. ऐसे में इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड वीरेंद्र को माना जा रहा हैं और जिन आधार कार्ड और फर्जी दस्तावेज़ के आधार पर कंपनिया बनाई गई हैं वो कल्पेश कुमार के नाम हैं और होल्डर वीरेंद्र कुमार हैं. ऐसे में 13 सितंबर को DGGI पुणे की टीम वीरेंद्र और दिनेश कुमार गिरफ्तार कर पुणे लेकर गई है. जहां पर दोनों को न्यायालय में पेश कर ट्रांजिट रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है.

पिता बोले- उसकी फीस तो मैं दे रहा हूं, बेटे को फंसाया जा रहा 

आरोपी के पिता हेमाराम के पास एक ट्रैक्टर है. जिसे उसने बाड़मेर की एक बैंक से लोन लेकर खरीदा है और उसी ट्रैक्टर से पानी के टैंकर डाल कर ट्रैक्टर की किस्त भरता है. पिता के मुताबिक बेटा जयपुर में रहकर कोचिंग कर रहा है उसकी कोचिंग की फीस में घर से भेज रहा हूं उसपर लगे आरोप झूठे हैं अगर उसके पास इतने पैसे होते तो घर जरूर देता. 

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