The Rajasthan Coaching Centres (Control and Regulation) Bill-2025: राजस्थान सरकार इस सप्ताह विधानसभा में राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक, 2025 पेश करने की तैयारी में है, लेकिन इससे पहले ही राज्यभर के कोचिंग संस्थानों में हलचल तेज हो गई है. खासतौर पर कोटा, जयपुर और सीकर के कोचिंग सेंटर इस विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर विरोध की ख़बरें आ रही हैं. ख़ास तौर पर 16 साल से कम उम्र के छात्रों के प्रवेश पर रोक और अनिवार्य एप्टीट्यूड टेस्ट जैसे नियमों को लेकर संचालकों को डर है कि इससे नामांकन में भारी गिरावट आएगी और उनका कारोबार प्रभावित होगा.
16 साल से कम उम्र के छात्रों के प्रवेश पर रोक
कैबिनेट ने 8 मार्च को इस विधेयक को मंजूरी दी थी इसे छात्रों के हित में एक बड़ा कदम बताया गया था. लेकिन कोचिंग संचालकों का मानना है कि यह कानून उनकी पहले से संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है. दरअसल, केंद्र सरकार के निर्देशों के कारण 16 साल से कम उम्र के छात्रों के प्रवेश पर रोक लगाई गई थी, जिससे कोटा में छात्रों की संख्या 30% घट गई. यह करीब 40,000 छात्रों का नुकसान है, जिसका सीधा असर कोचिंग सेंटरों, हॉस्टलों और स्थानीय व्यापार पर पड़ा है. अगर यह प्रतिबंध जारी रहा तो कोचिंग इंडस्ट्री को नुकसान होगा.
पिछले साल कोटा के 3,000 हॉस्टलों में से 60% खाली रहे
फीस को नियंत्रित करने का प्रावधान
इसके अलावा कोचिंग संचालकों का मानना है कि यदि 16 साल से कम उम्र के छात्रों के लिए कोचिंग सेंटरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं, तो फिर ओलंपियाड, नेशनल टैलेंट सर्च एग्जामिनेशन (NTSE) और किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना (KVPY) जैसी परीक्षाओं का आयोजन क्यों किया जाता है? इस विधेयक में कोचिंग संस्थानों की फीस को नियंत्रित करने का भी प्रावधान है, जिससे संस्थान नाखुश हैं. कोचिंग संचालकों का कहना है कि यह नियम उनके लिए बेहतर शिक्षकों की भर्ती, डिजिटल टूल्स में निवेश और छात्रों को अतिरिक्त सहायता देने में बाधा बनेगा.
कोटा का कोचिंग कारोबार 70 फ़ीसदी तक खत्म हो गया है
छोटे और मझोले कोचिंग संस्थानों को नुकसान !
छोटे और मझोले कोचिंग संस्थान, जो इंटीग्रेटेड मॉडल (कोचिंग + हॉस्टल + भोजन सुविधा) पर काम करते हैं, इस कानून से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. कई संचालकों का कहना है कि यदि फीस पर सरकारी नियंत्रण लगाया गया तो छोटे संस्थानों का संचालन मुश्किल हो जाएगा और वे बंद होने की कगार पर पहुंच जाएंगे. कोचिंग संस्थानों के साथ-साथ हॉस्टल मालिक और कैटरिंग सेवा प्रदाता भी इस विधेयक से चिंतित हैं. कोटा हॉस्टल एसोसिएशन ने उच्च शिक्षा विभाग को एक पत्र लिखकर बताया है कि अगर इस विधेयक में संशोधन नहीं हुआ तो कोटा में रियल एस्टेट संकट खड़ा हो सकता है.
पिछले साल कोटा के 3,000 हॉस्टलों में से 60% खाली रहे
एसोसिएशन के मुताबिक पिछले साल कोटा के 3,000 हॉस्टलों में से 60% खाली रहे. अगर सरकार ने अपने नियमों में ढील नहीं दी तो यह आंकड़ा और बढ़ सकता है. लेकिन सरकार ने साफ संकेत दिए हैं कि विधेयक में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा. सरकार का मानना है कि यह विधेयक लंबे समय से तैयार किया जा रहा था और जनता से सुझाव लेने के बाद इसे अंतिम रूप दिया गया है. हमारा उद्देश्य छात्रों पर बढ़ते मानसिक तनाव को कम करना और कोचिंग सेक्टर को सुव्यवस्थित करना है.
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