Rajasthan: औलाद की चाहत में 12 साल में दंपति ने खूब जतन किए. मंदिरों देवालयों पर भी खूब माथा टेका. घर के चिराग की मन्नत माता रानी जोगणिया माता के दरबार में अर्जी लगाने के बाद पूरी हुई. मन्नत पूरी होने पर दंपति ने अपने घर से माता के दरबार तक पैदल चल कर आने और सपरिवार हाजरी लगाने संकल्प लिया.
12 साल बाद दंपति को हुआ बच्चा
12 साल बाद घर में किलकारी गूंजने पर दंपति और परिवार बच्चे के साथ रविवार शाम को पदयात्रा पर निकल गया. कड़क धूप और मासूम बच्चे को धूप को देखते हुए दंपति ने ट्रॉली बैग का सहारा लिया. ट्रॉली बैग में बच्चे साथ लेकर पदयात्रा करने का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. यह वीडियो भीलवाड़ा कोटा राजमार्ग का है. बताया जा रहा है कि मांडल विधानसभा क्षेत्र के बागौर कस्बे के पास किसी ग़ांव के रहने वाले दंपति आज (7 सितंबर) शाम तक माता के दरबार में पहुंचेगा.
भंडारे में प्रसाद खाने के बाद निकल गया दंपति
10 साल से भीलवाड़ा कोटा राजमार्ग पर माता रानी के श्रद्धालुओं के लिए भंडारा लगाने वाले लखन सोनी का कहना है रविवार शाम को एकदम पट्टी भंडारे में आकर विश्राम करने के लिए रुका. अल्पाहार के बाद जब दंपति वापस जाने लगा तो उसने देखा कि दंपति के पास टोली बैग में एक मासूम बच्चा भी है.
जोगणिया माता से बच्चे की मांगी थी मन्नत
दंपति ने बताया कि 12 साल से उनके बच्चा नहीं होने से वह काफी तनाव में थे. लोग तरह-तरह की बातें करते थे मगर उन्होंने भगवान पर विश्वास कायम रखा. 12 साल पहले उन्होंने भीलवाड़ा चित्तौड़ सीमा पर स्थित जोगणिया माता के दरबार में माथा टेका और बच्चा होने की मन्नत मांगी. माता के दरबार में दंपति में बच्चा होने पर घर से जोगणिया माता तक पदयात्रा करने का संकल्प लिया था.
सोशल मीडिया पर बच्चे का वीडियो हो रहा वायरल
मन्नत पूरी होने पर रविवार सुबह बागौर के पास स्थित गांव से दंपति पदयात्रा के लिए रवाना हुआ और शाम को भीलवाड़ा कोटा राजमार्ग पर सदर थाने के पास चल रहे भंडारे में विश्राम करने के लिए यह दंपति रुके थे. जहां समाजसेवियों ने ट्रॉली बैग में दंपति को बच्चा ले जाते देखा और उसका वीडियो बना लिया. यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.
12 साल से नहीं पहनी थी चप्पल
समाजसेवी लखन सोनी ने कहा कि माता रानी की प्रेरणा से मित्र पवन खटीक व राजू सोनी के साथ उन्होंने 10 साल पहले जोगणिया माता के रास्ते में भंडारे लगना शुरू किया था. 10 साल में उन्होंने कई बार माता-पिता को बच्चों को कंधे पर बिठाकर चुनरी या झोली बनाकर कंधे पर लटका कर जाते हुए तो देखा मगर ट्रॉली बैग में ऐसे ले जाते बच्चे को ले जाते हुए पहली बार देखा इसलिए वीडियो बना लिया. दंपति ने भंडारे के सेवादर समाजसेवी को कहा कि उन्होंने 12 साल से चप्पल भी छोड़ रखी थी.
प्राचीन शक्तिपीठ है जोगणिया माता
भीलवाड़ा-चित्तौड़गढ़ सीमा पर स्थित जोगणिया माता मंदिर में हर साल नवरात्र के महोत्सव पर लाखों श्रद्धालु पदयात्रा करते हैं. भीलवाड़ा जिले में ही माता रानी के दर्शन करने वाले लोगों की सेवा और उनका मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 110 से ज्यादा भंडारे हर साल लगाए जाते हैं.
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