Rajasthan News: राजस्थान का भीलवाड़ा जिला देश में 'छोटा नागपुर' के नाम से विख्यात है. संघ और भाजपा की प्रयोगशाला के रूप में कपड़ा नगरी भीलवाड़ा माना जाता है. लेकिन प्रदेश की सबसे सेफ सीट मानी जाने वाली भीलवाड़ा लोकसभा सीट पर देश व प्रदेश नेतृत्व निर्णय नहीं कर पा रहा है. पेच प्रत्याशी घोषित होने पर फंसा हुआ है. अब तक चुनाव में पहली प्रत्याशी सूची में भीलवाड़ा का नाम शुमार रहता आया है. मगर इस बार अभी भी मतदाताओं को प्रत्याशी घोषित होने का इंतजार करना पड़ रहा है. यह तय है कि संघ और भाजपा के अनुशासन के मामले में देश-प्रदेश को सीख देने वाले भीलवाड़ा संगठन की सांख भी दाव पर लगी हुई है. केवल राजनीतिक हलकों ही नहीं, अब चौपाल तक पर भीलवाड़ा का टिकट अटका होने को लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का दौर जारी है. लोकसभा चुनाव में प्रदेश में सबसे बड़ी 6 लाख 12000 मतों से जीत की सौगात देने वाले भीलवाड़ा का टिकट पहली बार इंतजार करवा रहा है.
अपने ही गढ़ में मुंह की खानी पड़ी
कुछ महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की अब तक अंदर खाने चल रही खींचतान खुलकर सामने आ गई थी. कुछ असंतुष्ट नेताओं के समूह ने विचार परिवार के नाम पर भीलवाड़ा से एक निर्दलीय को चुनाव मैदान में उतार दिया, जिससे न केवल भाजपा की किरकिरी हुई, बल्कि भाजपा को अपने ही गढ़ में मुंह की खानी पड़ी. पिछले चार चुनाव से भाजपा लगातार भीलवाड़ा सीट से जीत रही थी. निर्दलीय विधायक अशोक कोठारी के साथ लगने वाले व भाजपा से बगावत कर लगने वाले लोगों को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया. असंतुष्ट और विचार परिवार के लोगों को पार्टी में शामिल करने को लेकर लगातार प्रदेश संगठन पर विधायक अशोक कोठारी के नेतृत्व में दबाव बनाया जा रहा था. मगर निवर्तमान सांसद सुभाष बहेड़िया व पूर्व विधायक विट्ठलशंकर अवस्थी की आपत्ति पर हर बार बागियों का पार्टी में प्रवेश अटक गया. निर्दलीय विधायक अशोक कोठरी कई अनुसांगिक संगठनों में सक्रिय है. विधानसभा चुनाव में सुभाष बाहेड़िया ने खुलकर प्रत्याशी रहे विट्ठलशंकर अवस्थी का साथ दिया था. यही वजह है कि उनका विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है. संघ के भी कुछ पदाधिकारी ऐसे हैं जो भी वर्तमान सांसद सुभाष बाहेड़िया से नाराजगी रखे हुए हैं, यही वजह है कि सबसे बड़ी जीत प्रदेश में दिलाने वाले संसद का भी टिकट खटाई में नजर आ रहा है.
नेतृत्व नहीं चाहता खाई बढ़ाना
भाजपा का नेतृत्व भीलवाड़ा में बढ़ती संघ और भाजपा नेताओं की खाई को लेकर चिंतित है. यही वजह है कि भीलवाड़ा का टिकट करीब करीब फाइनल हो गया है, मगर होल्ड पर रखा गया है. भाजपा चाहते हुए भी सांसद सुभाष बाहेड़िया का टिकट काटने या वापस उन्हें ही टिकट देने की खुली घोषणा करने से बच रही है. दो बार लगातार सांसद रह चुके सुभाष बाहेड़िया, पूर्व में भाजपा जिला अध्यक्ष भी रह चुके हैं. एक बार विधायक का चुनाव लड़कर विधानसभा में भी भीलवाड़ा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. पैसे से सीए और उद्योगपति सांसद बहेड़िया संसद की विभिन्न समितियां में शामिल है.
टिकट के दावेदारों की लंबी कतार
भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से पार्टी में कई दवेदार रहे जिन्होंने अपनी दावेदार पेश की. गंभीर दावेदारों में र्तमान सांसद सुभाष बहेड़िया भाजपा प्रदेश महामंत्री दामोदर अग्रवाल व रविंद जाजू का नाम शामिल रहा. हाल ही में भाजपा में शामिल हुए भीलवाड़ा की प्रमुख औद्योगिक घराने बीएसएल के उद्योगपति रिजु झुनझुनवाला की देवदारी भी बताई जा रही है. विधानसभा उपचुनाव में बगावत का सबसे बड़ा खामियांजा दो नेताओं को उठाना पड़ रहा है. पहले हैं पूर्व जिलाअध्यक्ष व नगर विकास न्यास अध्यक्ष रहे लक्ष्मीनारायण डाड व पूर्व जिला अध्यक्ष लादूलाल तेली.
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