Rajasthan News: राजस्थान की सियासत में आजकल हर दिन कुछ नया हो रहा है. कांग्रेस की आंतरिक कलह के बाद अब सत्ताधारी बीजेपी के अंदर भी सबकुछ ठीक नहीं लग रहा. पार्टी की एक महत्वपूर्ण संवाद समन्वय बैठक में जो हुआ, उसने सबको चौंका दिया. एक तरफ थे वरिष्ठ मंत्री जवाहर सिंह बेढम और दूसरी तरफ युवा विधायक नौक्षम चौधरी. दोनों के बीच इस कदर बहस हुई कि माहौल गरमा गया. मामला इतना बढ़ा कि वरिष्ठ नेता सीपी जोशी को बीच बचाव करने आगे आना पड़ा.
क्यों बुलाई गई थी यह बैठक?
राजस्थान बीजेपी ने सत्ता और संगठन के बीच बेहतर तालमेल बनाने के लिए 25-26 अगस्त को एक महत्वपूर्ण संवाद समन्वय बैठक का आयोजन किया था. इन दो दिनों में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ और अन्य वरिष्ठ नेता पार्टी के सभी प्रमुख लोगों से संवाद करने वाले थे. इस बैठक में लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के साथ ही विधायक और जिलाध्यक्ष भी शामिल हुए थे.
बैठक बुलाने का मकसद क्या था?
इस बैठक का मुख्य मकसद आगामी लोकसभा चुनाव, राज्य सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन और आने वाले बजट को लेकर नेताओं से राय लेना था. आगामी बजट में अपने क्षेत्र के लिए कौन से बड़े काम शामिल कराने हैं, इस पर भी चर्चा होनी थी. इसके अलावा, आगामी पंचायतीराज और स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारियों पर भी बात की जानी थी.
मीटिंग में 'हाई वोल्टेज ड्रामा'
बैठक शांतिपूर्ण तरीके से चल रही थी, तभी मंत्री जवाहर सिंह बेढम और विधायक नौक्षम चौधरी के बीच तीखी बहस हो गई. इस बहस की जड़ कामां प्रधान चुनाव है. विधायक नौक्षम चौधरी ने पिछले दिनों प्रधान चुनाव को लेकर कुछ बयान दिए थे. सूत्रों के मुताबिक, नौक्षम ने आरोप लगाया था कि उनके क्षेत्र में प्रधान के चुनाव में कुछ बाहरी लोग दखल दे रहे हैं और उन्हें परेशान किया जा रहा है. नौक्षम का यह भी कहना था कि प्रधान चुनाव में कुछ सरकारी अधिकारी भी सही से काम नहीं कर रहे. नौक्षम के ये बयान सीधे तौर पर मंत्री जवाहर सिंह बेढम के काम पर सवाल खड़े कर रहे थे, क्योंकि वे इसी इलाके से आते हैं.
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मामले से जुड़े कुछ बड़े सवाल:-
Q1. मंत्री और विधायक के बीच बहस कहां हुई?
A. यह बहस संवाद 25 अगस्त को समन्वय बैठक के दौरान हुई, जिसे सीएम भजनलाल शर्मा ने बुलाया था.
Q2. बहस किन दो नेताओं के बीच हुई?
A. यह बहस मंत्री जवाहर सिंह बेढम और विधायक नौक्षम चौधरी के बीच हुई.
Q3. विवाद का मुख्य कारण क्या था?
A. विवाद का मुख्य कारण कामां प्रधान चुनाव को लेकर विधायक नौक्षम चौधरी के बयान थे.
Q4. दोनों नेताओं को किसने शांत कराया?
A. भाजपा के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी ने दोनों नेताओं को शांत कराया.
Q5. इस बैठक का उद्देश्य क्या था?
A. इस बैठक का उद्देश्य सरकार और संगठन के बीच तालमेल बनाना, आगामी बजट पर सुझाव लेना और पंचायतीराज चुनावों की तैयारियों पर चर्चा करना था.
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बहस की शुरुआत कैसे हुई?
बैठक में जब यही मुद्दा उठा, तो मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने नौक्षम के बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि 'निराधार आरोप लगाना ठीक नहीं है.' उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस तरह के बयानों से पार्टी की छवि खराब होती है. मंत्री की यह बात विधायक नौक्षम चौधरी को नागवार गुजरी.
'मैं ही तय करूंगी प्रधान'
नौक्षम ने तुरंत जवाबी हमला किया. उन्होंने साफ-साफ कहा कि वह भी सरकार का ही हिस्सा हैं और उनके क्षेत्र की समस्याओं को उठाना उनका अधिकार है. नौक्षम यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि 'कामां का प्रधान तो वह खुद ही तय करेंगी.' नौक्षम का यह बयान सीधे तौर पर मंत्री की सत्ता और वर्चस्व को चुनौती देने जैसा था.
सीपी जोशी ने संभाला मोर्चा
मीटिंग का माहौल गरमा चुका था. हर कोई हैरान था कि कैसे मंत्री और विधायक आपस में उलझ पड़े हैं. दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस चल रही थी. तभी, पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने मामले में हस्तक्षेप किया. जोशी ने अपनी सूझबूझ से दोनों नेताओं को शांत कराया. उन्होंने दोनों को समझाया कि इस तरह बहस करना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि पार्टी के भीतर मतभेदों को आपस में बैठकर सुलझाया जा सकता है.
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