Rajasthan: बीजेपी MLA गोपाल शर्मा की स्तरहीन भाषा, कांग्रेस ने स्पीकर को सौंपा विशेष अधिकार हनन प्रस्ताव 

कांग्रेस विधायक दल के अधिकांश सदस्यों ने गोपाल शर्मा की भाषा पर ऐतराज जताया है. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि बीजेपी के विधायक की भाषा इतनी अमर्यादित और स्तरहीन थी, कि उसे दोहराया भी नहीं जा सकता.

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Rajasthan News: कांग्रेस विधायक दल ने राजस्थान विधानसभा में बीजेपी के विधायक गोपाल शर्मा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लगाया है. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि, उन्होंने गोपाल शर्मा की अमर्यादित भाषा को लेकर एतराज जताया है और बीजेपी विधायक के खिलाफ स्पीकर को विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव भी सौंपा है. उन्होंने कहा कि अब स्पीकर को तय करना है कि, इस पर वे क्या फैसला करते हैं. मंगलवार को जबरन धर्मांतरण रोधी विधेयक पर चर्चा के दौरान गोपाल शर्मा ने कांग्रेस के विधायकों के सदन में धरने के दौरान की गतिविधियों को लेकर तंज कसा था. उसी को लेकर कांग्रेस ने ऐतराज जताते हुए  विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया है.

गोपाल शर्मा की भाषा पर जूली समेत कांग्रेस विधायकों को ऐतराज

कांग्रेस विधायक दल के अधिकांश सदस्यों ने गोपाल शर्मा की भाषा पर ऐतराज जताया है. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि बीजेपी के विधायक की भाषा इतनी अमर्यादित और स्तरहीन थी, कि उसे दोहराया भी नहीं जा सकता. वहीं कांग्रेस विधायक दल के सचेतक रफीक खान ने कहा कि गोपाल शर्मा ने न सिर्फ हल्की भाषा का इस्तेमाल किया, बल्कि उन पर और अमीन कागज़ी पर धर्मांतरण को लेकर टिप्पणियां भी की. रफीक खान ने कहा कि धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत अगर पहली कार्रवाई कोई होनी चाहिए तो वह गोपाल शर्मा पर होनी चाहिए.

रीटा चौधरी ने भी लगाया था अमर्यादित भाषा का आरोप

इस बीच झुंझुनू के मंडावा से आने वाली कांग्रेस की विधायक रीटा चौधरी ने भी गोपाल शर्मा के शब्दों पर ऐतराज जताया था. विधानसभा में बोलते हुए रीटा चौधरी ने स्पीकर वासुदेव देवनानी से मांग रखी की गोपाल शर्मा के आपत्तिजनक शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकलवाया जाए. इस पर अध्यक्ष ने उन्हें पूरा मामला और प्रोसिडिंग दिखावा लेने का आश्वासन दिया था.

अब विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर आगे क्या रहेगी प्रक्रिया?

हालांकि कांग्रेस ने गोपाल शर्मा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव तो दे दिया है, लेकिन फिलहाल अगले पांच महीने के लिए उन पर कोई बड़ा संकट आता नहीं दिख रहा. दरअसल विशेषाधिकार हनन का कोई भी मामला आने पर स्पीकर सदन में विधायकों के सामने रखते हैं और सदन की सहमति के बाद मामले को विशेषाधिकार समिति को भेजा जाता है. इसके बाद विशेषाधिकार समिति मामले की जांच करती है और अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौपंती है. इस रिपोर्ट के आधार पर ही सदस्य पर कोई कार्रवाई की जा सकती है.

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अब गोपाल शर्मा के पास क्या विकल्प हैं?

विधायक गोपाल शर्मा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव तो आया है, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्हें अपने शब्दों और भाषा को लेकर एहसास पहले ही हो गया था. दरअसल बुधवार को सदन के मानसून सत्र की आखिरी बैठक के दौरान जब हंगामे के चलते कार्यवाही स्थगित हुई, तो गोपाल शर्मा विपक्ष के विधायकों के बीच पहुंचे.

इस पर मंडावा विधायक रीटा चौधरी और लाडनू से विधायक मुकेश भाकर ने कुछ तल्ख अंदाज में गोपाल शर्मा की भाषा पर आपत्ति जताई और उन्हें कांग्रेस विधायकों के बीच से चले जाने के लिए भी कह दिया. अगर विधायक गोपाल शर्मा पर विशेष अधिकार हनन का मामला साबित हो जाता है तो उन्हें अपने आचरण के लिए सदन में माफी भी मांगनी पड़ सकती है. 

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क्या कहा था गोपाल शर्मा ने?

भाजपा विधायक के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव जिन शब्दों और भाषा को लेकर लाया गया है, वह घटनाक्रम मंगलवार का है. दरअसल मंगलवार को सदन में जबरन धर्म परिवर्तन विरोधी विधेयक लाया गया था. इस विधेयक पर चर्चा के दौरान गोपाल शर्मा ने कांग्रेस की तरफ से उठाए जा रहे सदन में लगे नए कैमरों और निजता के हनन के मामले पर तंज कसा था.

गोपाल शर्मा ने कहा था कि अगर कैमरे लगते हैं, तो विपक्ष के विधायकों को अपनी करतूत उजागर होने का डर रहेगा. उन्होंने कहा था कि सदन में रात को धरना दिए जाने के दौरान यहां क्या-क्या होता है? वह सब कैमरे से उजागर हो जाएगा?' इससे आगे भी उन्होंने कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया था, जिन्हें बाद में सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया. हालांकि इस मामले पर गोपाल शर्मा का पक्ष जानने के लिए उन्हें फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.

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