Rajasthan Budget session 2025: मान गया व‍िपक्ष, अब ब‍िना व‍िरोध के बजट पेश कर सकेंगी द‍िया कुमारी; लेक‍िन जूली ने रख दी ये शर्त 

Rajasthan Budget session 2025:  राजस्थान विधानसभा में बजट सत्र के दौरान विपक्ष और सरकार के बीच जारी गतिरोध अभी तक समाप्त नहीं हुआ है. फोन टैपिंग मामले को लेकर विपक्ष लगातार सरकार से जवाब मांग रहा है, जबकि सरकार इसे बजट पेश होने के बाद चर्चा के लिए टालने की कोशिश कर रही है.  

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व‍िधानसभा अध्‍यक्ष वासुदेव देवनानी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई.

Rajasthan Budget session 2025: व‍िधानसभा में जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, ज‍िसमें विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच लंबी चर्चा हुई,और गतिरोध खत्म करने के संभावित रास्ते तलाशे गए. बैठक के बाद संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि सरकार 20 फरवरी को प्रश्नकाल के बाद फोन टैपिंग के मुद्दे पर जवाब देने को तैयार है, और विपक्ष को इस प्रस्ताव पर सहमत होना चाहिए. दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक विधानसभा अध्यक्ष इस मुद्दे पर स्पष्ट व्यवस्था नहीं देते तब तक विपक्ष अपने रुख पर कायम रहेगा. 

फोन टैप‍िंंग पर सरकार को देना होगा जवाब  

टीकाराम जूली ने कहा कि हमारी मंशा है कि सदन में सकारात्मक माहौल बने और जनता के हित में बजट सुचारू रूप से पेश हो. लेकिन, जब तक सरकार फोन टैपिंग के मुद्दे पर जवाब देने को तैयार नहीं होती और विधानसभा अध्यक्ष इस संबंध में स्पष्ट निर्णय नहीं लेते, तब तक हमारा विरोध जारी रहेगा.  

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केवल संसदीय कार्यमंत्री के बयान से समाधान नहीं न‍िकलेगा 

विपक्ष सरकार के इस आश्वासन से संतुष्ट नहीं दिख रहा है. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने साफ कहा कि केवल संसदीय कार्यमंत्री के बयान से समाधान नहीं निकलेगा. यह मामला केवल सरकार के बयान से हल नहीं होगा, जब तक विधानसभा अध्यक्ष खुद इस पर स्पष्ट व्यवस्था नहीं देंगे, तब तक विपक्ष सदन में विरोध जारी रखेगा. 

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"सरकार फोन टैपिंग मामले को टालने की कोशिश कर रही"

विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार जानबूझकर फोन टैपिंग मामले को टालने की कोशिश कर रही है और जनता का ध्यान भटकाने के लिए इस पर बाद में चर्चा करने की बात कर रही है.  राजस्थान सरकार 19 फरवरी को बजट पेश करने वाली है, लेकिन विपक्ष के रुख को देखते हुए यह आशंका जताई जा रही है कि अगर सरकार फोन टैपिंग के मुद्दे पर तुरंत कोई ठोस आश्वासन नहीं देती, तो सदन की कार्यवाही बाधित हो सकती है.

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