Rajasthan by-election: राजस्थान में 7 सीटों पर विधानसभा उप चुनाव होने जा रहे हैं. जिसके लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं. कभी भी उपचुनाव की घोषणा हो सकती है. बीजेपी ने प्रदेश कोर कमेटी और दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निवास पर बैठक कर ली हैं. 3-3 उम्मीदवारों के नामों के पैनल तैयार किए जा रहे हैं. कुछ सीटों पर 1 या 2 नाम के भी पैनल हैं.
कांग्रेस को चार सीटें बचाने चुनौती
कांग्रेस इसलिए ज़्यादा चिंतत है, क्योंकि कांग्रेस को अपनी 4 सीटें रामगढ, दौसा, झुंझुनूं और देवली उनियारा सीटें बचानी हैं. जबकि अन्य 3 सीटों-खींवसर, चौरासी और सलूंबर पर भी कब्जा करने के लिए जिताऊ और टिकाऊ उम्मीदवार उतारने हैं. दूसरी तरफ बीजेपी को अपनी सिर्फ 1 सीट सलूंबर बचानी है, जो पिछली बार उसके पास थी. लेकिन साथ ही सत्ताधारी पार्टी होने और अपनी परफॉर्मेंस दिखाते हुए बाकी 6 सीटों पर भी जीत हासिल करके दिखानी है.
RLP और BAP भी उतारेगी अपने उम्मीदवार
इन बीच राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और भारत आदिवासी पार्टी भी मजबूती से मैदान में ताल ठोक रही हैं और अपनी एक-एक सीट बचाने के लिए एडी-चोटी का जोर लगा रही हैं. 7 सीटों पर उपचुनाव की क्या स्थिति बन रही है और बीजेपी कांग्रेस समेत अन्य दलों से कौन-कौन मजबूत टिकट दावेदार हैं. पेश है एक रिपोर्ट.....
1.दौसा सीट -
कांग्रेस विधायक रहे मुरारीलाल मीणा के सांसद बनने से खाली हुई है. कांग्रेस अपने गढ़ की इस सीट को बचाए रखना चाहती है. क्षेत्र में सचिन पायलट का खासा प्रभाव है. दूसरी और बीजेपी से किरोड़ी लाल मीणा की भी अच्छी पैठ है.
बीजेपी टिकट दावेदार
- जगमोहन मीणा-मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के भाई और आदिवासी चेहरा
- शंकर लाल शर्मा-पूर्व विधायक और ब्राह्मण चेहरा
- नंदलाल बंशीवाल- दौसा से 2 बार के पूर्व विधायक और दलित चेहरा, सिकराय विधायक विक्रम बंसीवाल इनके भतीजे हैं
कांग्रेस के टिकट दावेदार
- सविता मीणा-सांसद मुरारीलाल मीणा की पति , आदिवासी महिला चेहरा
- निहारिका मीणा--सांसद मुरारीलाल मीणा की बेटी, राजस्थान यूनिवर्सिटी से चुनाव लड़ चुकीं. आदिवासी महिला चेहरा, युवा
- जीआर खटाणा- पूर्व विधायक, सचिन पायलट के करीबी.
- नरेश मीणा- राजस्थान यूनिवर्सिटी के पूर्व महासचिव, युवा और आदिवासी चेहरा,
- बारां की छाबड़ा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके, सचिन पायलट खेमे के नजदीकी.
- संदीप शर्मा- ब्राह्मण चेहरा, युवा नेता, पायलट खेमे के नजदीकी. क्षेत्र और संगठन में लंबे समय से सक्रिय.
2.देवली- उनियारा सीट
यहां से कांग्रेस विधायक रहे हरीश मीणा के सांसद बन जाने से दौसा खाली हुई है. इस सीट पर भी कांग्रेस पार्टी का अच्छा खासा प्रभाव है. कांग्रेस अपनी सीट को बचाने की हर संभव कोशिश करेगी. बीजेपी यहां मजबूत प्रत्याशी उतारकर जीतने की कोशिश करेगी.
बीजेपी के टिकट दावेदार
- राजेन्द्र गुर्जर-पूर्व विधायक, पिछली बार भी टिकट दावेदार रहे. गुर्जर नेता.
- विजय बैंसला- कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र, पिछली बार विधानसभा चुनाव हारे. गुर्जर नेता हैं.
- प्रभुलाल सैनी- पूर्व मंत्री रह चुके, बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष हैं. यहां से विधायक रह चुके, मूल रूप से देवली-उनियारा निवासी हैं. माली- ओबीसी समाज से हैं.
- विक्रम गुर्जर- लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हुए थे, गुर्जर चेहरा.
कांग्रेस के टिकट दावेदार
- नमोनारायण मीणा-पूर्व केंद्रीय मंत्री, सांसद बन चुके और पिछली बार के विधायक हरीश मीणा के भाई, कद्दावर और उम्रदराज मीणा नेता.
- रामनारायण मीणा-पूर्व विधायक रह चुके,मीणा आदिवासी चेहरा.
- धीरज गुर्जर- पूर्व विधायक, युवा नेता, सचिन पायलट और गहलोत दोनों से तालमेल, प्रियंका गांधी के नजदीकी, AICC के राष्ट्रीय सचिव रहे.
- नरेश मीणा- देवली- उनियारा सीट पर भी टिकट दावेदारी, राजस्थान यूनिवर्सिटी के पूर्व महासचिव, युवा और आदिवासी चेहरा, बारां की छाबड़ा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके, सचिन पायलट खेमे के नजदीकी.
3.सलूम्बर सीट
उदयपुर की सलूम्बर सीट बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा के निधन के कारण खाली हुई है. उपचुनाव वाली 7 सीटों में से केवल सलूम्बर ही बीजेपी के पास थी. ऐसे में बीजेपी के सामने सीट बचाने की बड़ी चुनौती है. यहां सहानुभूति फैक्टर और सत्ताधारी दल का साथ क्षेत्र में काम कर सकता है.
बीजेपी के टिकट दावेदार
- अविनाश मीणा- दिवंगत पूर्व विधायक अमृतलाल मीणा के बेटे हैं, सहानुभूति सेक्टर के कारण बड़ा वोट बैंक साथ आ सकता है.
- नरेंद्र मीणा- अविनाश मीणा के चुनाव नहीं लड़ने की स्थिति में उम्मीदवार मजबूत, लंबे समय से टिकट मांग रहे हैं.
अन्य टिकट दावेदार
- सेमारी पंचायत समिति प्रधान दुर्गाप्रसाद मीणा, बीजेपी एसटी मोर्चा उपाध्यक्ष सोनल मीणा और युवा नेता जय मीणा भी मांग रहे टिकट.
कांग्रेस के टिकट दावेदार
- रघुवीर मीणा- 4 बार पूर्व विधायक रहे, उदयपुर लोकसभा से पूर्व सांसद, CWC सदस्य रहे, इस सीट पर विधानसभा चुनाव हार चुके. पत्नी बसंती मीणा भी सक्रिय.
- बसंती मीणा- रघुवीर मीणा की पत्नी, कांग्रेस और क्षेत्र में लगातार सक्रिय. महिला और नया चेहरा.
4.रामगढ़ सीट
अलवर की रामगढ़ सीट कांग्रेस विधायक जुबेर खान के निधन से खाली हुई है. 3 बार ज्ञान देव आहूजा और 4 बार जुबैर खान विधायक रहे. करीब 3 दशक से यहां दो ही परिवारों का राज रहा है. अब भाजपा राज में कांग्रेस के लिए यह सीट बचाना चुनौती है. यहां हिंदू- मुस्लिम सामाजिक समीकरण चुनाव में हावी रहते हैं.
बीजेपी से टिकट दावेदार
- ज्ञानदेव आहूजा- पूर्व विधायक, बीजेपी के वरिष्ठ नेता, निष्ठावान बीजेपी कार्यकर्ता, संघ के करीबी. विवादित बयानों से चर्चित रहे.
- जय आहूजा- पूर्व विधायक ज्ञान देव आहूजा के बेटे, बीजेपी ने पिछली बार भी विधानसभा चुनाव लड़वाया था. तीसरे नंबर पर रहे थे.
- बनवारी लाल सिंघल- पूर्व विधायक, केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव के करीबी, बीजेपी के सक्रिय नेता.
- सुखवंत सिंह- पिछला विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा, दूसरे नंबर पर रहे थे, अबकी बार बीजेपी से टिकट दावेदारी है.
कांग्रेस के टिकट दावेदार
- साफिया ज़ुबैर खान- दिवंगत पूर्व विधायक जुबेर खान की पत्नी, 2018 में पूर्व कांग्रेस विधायक रह चुकीं. क्षेत्र में सहानुभूति लहर का फायदा मिल सकता है, क्षेत्र की राजनीति और जनता के बीच सक्रिय हैं.
5.झुंझुनूं सीट
कांग्रेस विधायक बृजेंद्र ओला के सांसद बनने से सीट खाली हुई. यह परंपरागत रूप से कांग्रेस की सीट मानी जाती रही है. कांग्रेस के सामने सीट पर विजय का सिलसिला बरकरार रखना और बीजेपी के सामने कांग्रेस का गढ़ ढहाना चुनौती है.
बीजेपी के टिकट दावेदार
- राजेन्द्र भाम्बू- पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़ चुके, 42000 से ज्यादा वोट हासिल किए थे. भाजपा प्रत्याशी को 57000 वोट मिले थे. भाजपा प्रत्याशी की हार के बड़े कारण रहे. अबकी बार बीजेपी गलती सुधार कर सकती है.
- बबलू चौधरी- पिछली बार भाजपा प्रत्याशी रहे,चुनाव में हार हुई, फिर से टिकट की दावेदारी है.
- बनवारी लाल सैनी- माली- ओबीसी समाज से हैं, जाट उम्मीदवार के खिलाफ. ओबीसी- माली वोट बैंक और सामान्य वर्ग के वोटर्स को खींच सकते हैं.
अन्य दावेदार
- ज़िला प्रमुख हर्षिणी कुलहरी, विश्वम्भर पूनिया, उदयपुरवाटी से पिछला विधनसभा चुनाव हारे पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी भी टिकट दावेदार.
कांग्रेस टिकट दावेदार
- ओला परिवार- बृजेंद्र ओला की पत्नी और पूर्व ज़िला प्रमुख राजबाला ओला, पुत्र अमित ओला, पुत्रवधू आकांक्षा ओला की दावेदारी, झुंझुनूं सीट दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला के परिवार का गढ़ है.
- दिनेश सुंडा- कांग्रेस जिला अध्यक्ष दिनेश सुंडा भी टिकट दावेदार, ओला विरोधी गुट के नेता भी सुंडा का नाम आगे बढ़ा रहे, बृजेंद्र ओला के सचिन पायलट के करीबी होने से दूसरा गुट कर रहा मजबूत सिफारिश.
6.खींवसर सीट
RLP विधायक रहे हनुमान बेनीवाल के सांसद बनने से सीट खाली हुई. त्रिकोणीय मुकाबले के संकेत हैं, क्योंकि अब तक कोई गठबंधन नहीं हुआ है.
आरएलपी टिकट दावेदार
- नारायण बेनीवाल-पूर्व विधायक, हनुमान बेनीवाल के भाई.
- कनिका बेनीवाल- हनुमान बेनीवाल की पत्नी, महिला नेता, युवा चेहरा.
बीजेपी टिकट दावेदार-
- रेवंतराम डांगा- पिछले विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल को कड़ी टक्कर दी. केवल 2069 वोटों के अंतर से चुनाव हारे.
- हापुराम चौधरी- क्षेत्र में संगठन में लंबे समय से सक्रिय, टिकट की दावेदारी, नया चेहरा.
- ज्योति मिर्धा-पूर्व सांसद, बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष, पिछले चुनाव में हनुमान बेनीवाल से 7000 वोटों से पीछे रहीं थीं. कांग्रेस के कद्दावर मिर्धा परिवार से बीजेपी में आई हैं.
कांग्रेस टिकट दावेदार
- रघुवेन्द्र मिर्धा- पूर्व मंत्री और नागौर विधायक हरेंद्र मिर्धा के बेटे, प्रदेश कांग्रेस के सचिव हैं, कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे रामनिवास मिर्धा के पोते हैं.
- बिंदु चौधरी- पूर्व जिला प्रमुख रही हैं. भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आई हैं. युवा और महिला चेहरा हैं.
7.चौरासी सीट
BAP के विधायक रहे राजकुमार रोत के सांसद बनने से सीट खाली हुई. आदिवासी क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार. यहां कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों अपनी खोई हुई जमीन तलाशने में जुटी हैं.
भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के टिकट दावेदार
- पोपटलाल खोखरिया- राजकुमार रोत के बाद BAP का सबसे चर्चित और सक्रिय चेहरा, पत्नी झोथरी पंचायत समिति की प्रधान हैं, आदिवासियों में मजबूत पकड़.
- चिखली क्षेत्र के अनिल और दिनेश भी टिकट दावेदार, दोनों आदिवासी नेता सक्रिय कार्यकर्ता हैं.
बीजेपी के टिकट दावेदार
- सुशील कटारा- पूर्व विधायक, बीजेपी संगठन और संघ दोनों में मजबूत पकड़, लगातार दो विधानसभा चुनाव क्षेत्र से हार चुके.
- महेन्द्रजीत सिंह मालवीय- पूर्व मंत्री रहे, कांग्रेस से बीजेपी में आए हैं. आदिवासियों में अच्छी पकड़ है. बांसवाड़ा से लोकसभा चुनाव हारे हैं.
- महेंद्र बरजोड़-चिखली के पूर्व प्रधान, बीजेपी से कांग्रेस में आए हैं.
- नानूराम परमार- सीमलवाड़ा से बीजेपी के पूर्व प्रधान, बीजेपी संगठन और कार्यकर्ताओं में पकड़.
कांग्रेस के टिकट दावेदार
ताराचंद भगोरा-पूर्व सांसद रहे हैं. आदिवासियों में अच्छी पकड़ है. बेटे रूपचंद भगोरा और महेंद्र भगोरा भी क्षेत्र में सक्रिय हैं.