Rajasthan By Election: कौन बनेगा खींवसर का 'सुपर चौधरी'? बेनीवाल-मदेरणा की लड़ाई बदल सकती है उपचुनाव के समीकरण!

Rajasthan By Election: हनुमान बेनीवाल अपने राजनीतिक जीवन का अब तक का सबसे कठिन चुनाव लड़ रहे हैं. ये उपचुनाव उनके लिए प्रदेश में पार्टी का अस्तित्व बचाने की लड़ाई है. ऐसे में दिव्या मदेरणा और बेनीवाल के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है, जो खींवसर में सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रही है.

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हनुमान बेनीवाल और दिव्या मदेरणा.

Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों के बीच हनुमान बेनीवाल और दिव्या मदेरणा की जुबानी जंग सबका ध्यान अपनी ओर खींच रही है. दोनों नेता सार्वजनिक सभाओं में एक दूसरे पर तंज कस रहे हैं, आरोप लगा रहे हैं, और एक-दूसरे की पोल खोल रहे हैं. इसे देख जनता भी अपने-अपने नेता के समर्थन में आवाज बुलंद करने लगी है. बात चाहे गली-नुक्कड़ पर होने वाली सभाओं की करें, या सोशल मीडिया पर चल रहे ट्रेंड की, हर जगह इन दोनों नेताओं की सियासी लड़ाई मुद्दा बनी हुई है, जो कहीं न कहीं उपचुनाव के नतीजों को भी कुछ हद तक प्रभावित कर सकती है.

मदेरणा के बयान से शुरू हुई सियासत

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सचिव और ओसियां की पूर्व विधायक दिव्या मदेरणा ने 3 नवंबर को खींवसर के पास लोहावट में हनुमान बेनीवाल का नाम लिए बगैर उन पर तंज कसा. उन्होंने कहा, 'नागौर में इस बार उनकी हालत खराब है और वह सुबह चार-चार बजे तक लोगों के पैर पकड़ रहे हैं. पिछली बार वो 1800-2000 वोटों से जीते थे. वे कहते थे कि दिव्या को मैंने जीता दिया और अबकी बार दिव्या को मैं हरा दूंगा. क्यों भाई क्या मैं समाज की बेटी नहीं हूं, मेरा क्या कसूर है? लोगों का विकास करने के लिए मेरे दादा-पिता ने अपनी जिंदगी खपा दी. फिर मैंने ऐसा क्या गुनाह कर दिया जो उन्होंने कहा कि मैं दिव्या को हराउंगा? अब उनकी लोगों के पैर पकड़ने की नौबत आ गई है.'

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बेनीवाल ने पलटवार में दिया जोरदार जवाब

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो और नागौर से इंडिया गठबंधन के सांसद हनुमान बेनीवाल ने 6 नवंबर की शाम एक जनसभा को संबोधित करते दिव्या के बयान का जवाब दिया. उन्होंने कहा, 'मैं तो दुश्मनों की भी मदद करता हूं. मैं अपनी चुनाव-क्षेत्र में सुबह 4 बजे घूमूं या 6 बजे घूमूं, किसी को क्या तकलीफ है? चुनाव मैं लड़ रहा हूं. अपने घर से चुनाव लड़ रहा हूं. लड़ाई जोरदार लड़ूंगा. तुम घूमो ना कांग्रेस प्रत्याशी के साथ. किसने रोका है. मगर तुम बीजेपी को वोट दिलवा रही हो. शर्म नहीं आती. डूब के मर जाओ कुएं में. इतनी बात सुनने के बाद कोई इंसान रहता है क्या? इनके दादा-पापा ने जोधपुर-नागौर को बर्बाद करके छोड़ दिया.'

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'अफसोस हो रहा कि मैं जिंदा कैसे हूं'

7 नवंबर की सुबह हनुमान बेनीवाल के पलटवार वाला वीडियो शेयर करते हुए दिव्या मदेरणा ने एक्स पर लिखा, 'क्या मुझे कुएं में डूब कर मर जाना चाहिए? सार्वजनिक सभा में मेरे ही समाज के चुने हुए एक सांसद मेरे मरने की कामना कर रहे हैं. उन्हें बेहद अफसोस हो रहा है कि मैं जिंदा ही कैसे हूं. मैं भी समाज की बेटी हूं, बहन बेटी सबकी सांझी होती है. इसलिए संपूर्ण किसान वर्ग से पूछना चाहती हूं कि मैंने ऐसा क्या गुनाह किया कि मुझे कुएं में गिरकर मर जाना चाहिए? मैंने पूरी ईमानदारी व श्रद्धा से ओसियां व राजस्थान के किसान वर्ग की हमेशा आवाज़ बुलंद की, क्या यही मेरा गुनाह है? विकट पारिवारिक परिस्थिति में भी मैंने हार नहीं मानी, मैं घर नहीं बैठी, मैंने मेहनत की और जनता से संवाद व जुड़ाव रखा और कारवां बनता चला गया. मैंने संघर्ष किया और यह संदेश देने की कोशिश कि किसान वर्ग की बेटियां भी बखूबी राजनीतिक लड़ाइयां लड़ सकती है. मैं राजस्थान के हर किसान से पूछना चाहती हूं कि क्या मुझे मर जाना चाहिए?'

'मैं का जिसको अहंकार आ जाए वो...'

दिव्या मदेरणा ने 8 नवंबर को अपने एक भाषण का वीडियो भी एक्स पर रिट्वीट किया है, जिसमें वे हनुमान बेनीवाल को अहंकारी बता रही है. मदेरणा ने कहा, 'मैं का जिसको अहंकार आ जाएगा, वो कभी किसी क्षेत्र में सफल नहीं हो सकता, राजनीति में तो कतई सफल नहीं हो सकता. मैंने किया, जाटों के लिए मैं करता हूं, मैंने इनको जीता दिया, मैंने बीकानेर में मदद कर दी, और मदद ऐसी करी कि जाटों से जाटों को लड़ाकर 90 प्रतिशत वोट कटवा दिए. ऐसा मैं अगर आपको अच्छा लगता तो ये विध्वंसकारी मैं है. सोच लीजिएगा कि अगर ऐसा मैं आपको पंसद है तो आप शून्य की ओर जा रहे हैं.'

राजस्थान उपचुनाव में दिखेगा असर

हनुमान बेनीवाल अपने राजनीतिक जीवन का अब तक का सबसे कठिन चुनाव लड़ रहे हैं. इस चुनाव को जीतना उनके लिए बेहद जरूरी है,  इसीलिए उन्होंने मैदान में उनकी धर्मपत्नी कनिका बेनीवाल को उतारा है. राजस्थान की राजनीति की तीसरी शक्ति बनने की ख्वाहिश पाले बेनीवाल को डर है कि कहीं प्रदेश में उनकी पार्टी का अस्तित्व खत्म न हो जाए. ऐसा न हो जाए कि विधानसभा में उनका एक भी विधायक न हो. यह बेबसी उनके बयानों में कई बार दिखी है. तभी उन्होंने कहा कि उपचुनाव के नतीजों से कांग्रेस-बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. मगर आरएलडी अगर चुनाव हार गई तो विधानसभा में साफ हो जाएगी. शायद इसीलिए वे अपने बयानों से जनता को मनाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन मदेरणा के हमले से पूरा चुनाव दोनों नेताओं की लड़ाई पर केंद्रित हो गया. उपचुनावों में सबसे ज्यादा लावा खींवसर से ही निकल रहा है. अब जनता को तय करना है कि उन्हें किसे अपना 'सुपर चौधरी' चुनना है.

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