Rajasthan: RAS में पास हुए अभर्थियों की जातिवार लिस्ट सोशल मीडिया पर डाली, RPSC ने दर्ज करवाया मुक़दमा 

पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 319(2) (प्रतिरूपण द्वारा जाली दस्तावेज बनाना), धारा 336(2) (जाली दस्तावेज तैयार करना), धारा 336(4) (इरादतन प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना), धारा 356(2) (अपमानजनक लेख से प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना) और धारा 352 (लोकशांति भंग करने के उद्देश्य से अफवाह फैलाना) के तहत मामला दर्ज किया है.

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सोशल मीडिया पर एक बार फिर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. कुछ समाजकंटक तत्वों द्वारा राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के नाम से आरएएस भर्ती-2023 के परिणाम में जातिवार चयनित अभ्यर्थियों की संख्या दर्शाते हुए एक फर्जी पोस्ट प्रसारित की गई. इस जाली पोस्ट में आयोग सचिव के अधिकृत हस्ताक्षर भी दर्शाए गए, जिससे यह असली प्रतीत हो रही थी. आयोग सचिव रामनिवास मेहता ने तत्काल स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि आयोग ने कभी भी किसी भर्ती परीक्षा के परिणाम में जातिवार आंकड़े जारी नहीं किए हैं. उन्होंने इसे पूर्णतः भ्रामक और जाली पोस्ट बताते हुए संबंधित व्यक्तियों को चेतावनी दी कि वे इसे तुरंत हटा लें, अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी.

आरपीएससी सचिव बनकर फर्जी पोस्ट डालने पर एफआईआर दर्ज

आयोग की चेतावनी के बावजूद जब फर्जी पोस्ट सोशल मीडिया पर प्रसारित होती रही, तो आरपीएससी सचिव रामनिवास मेहता ने सिविल लाइंस थाने में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई. शिकायत में उन्होंने बताया कि 16 अक्टूबर को किसी अज्ञात व्यक्ति ने उनके नाम से कूटरचित दस्तावेज जारी कर सोशल मीडिया पर वायरल किया, जिससे आयोग की विश्वसनीयता और साख को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया. उन्होंने स्पष्ट किया कि आयोग द्वारा ऐसा कोई दस्तावेज जारी नहीं किया गया है और यह पोस्ट पूरी तरह मनगढ़ंत और फर्जी है.

फर्जीवाड़े पर होगी सख्त कार्रवाई, कई धाराओं में मामला दर्ज

इस गंभीर मामले में पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 319(2) (प्रतिरूपण द्वारा जाली दस्तावेज बनाना), धारा 336(2) (जाली दस्तावेज तैयार करना), धारा 336(4) (इरादतन प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना), धारा 356(2) (अपमानजनक लेख से प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना) और धारा 352 (लोकशांति भंग करने के उद्देश्य से अफवाह फैलाना) के तहत मामला दर्ज किया है. इन धाराओं में दो से पांच वर्ष तक के कारावास का प्रावधान है. पुलिस का कहना है कि यह प्रकरण न केवल जालसाजी का है, बल्कि इसमें लोक शांति भंग करने और प्रशासनिक संस्थान की विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाने की मंशा भी झलकती है.

एफआईआर दर्ज, एएसआई चाँद सिंह को मिली जांच की जिम्मेदारी

सिविल लाइंस थाना पुलिस ने एफआईआर संख्या 0301 दिनांक 24/10/2025 के तहत प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. थाना प्रभारी शंभू सिंह ने बताया कि यह एक गंभीर साइबर अपराध है और इसकी गहन जांच के आदेश दिए गए हैं. मामले की जांच का जिम्मा एएसआई चाँद सिंह को सौंपा गया है, जो तकनीकी माध्यमों से पोस्ट के स्रोत और आरोपी की पहचान में जुटे हैं. पुलिस ने कहा कि फर्जी सूचना फैलाने वालों पर उदाहरणात्मक कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में कोई व्यक्ति इस तरह की हरकत करने से पहले दस बार सोचे.

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