Rajasthan- चंबल के बांधों को मरम्मत की दरकार, 44.26 करोड़ का टेंडर पास, फिर क्यों शुरू नहीं हुआ काम?

Rajasthan:चंबल नदी पर बने चारों बांधों पर कंट्रोल रूम स्थापित किए जाएंगे. जल संसाधन विभाग ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं.

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Rajasthan: राजस्थान में जल्द ही मानसून आने वाला है, ऐसे में प्रदेश के सभी बांधों की मौजूदा स्थिति और मजबूती की एक बार फिर परीक्षा होने जा रही है. इसको लेकर जल्द ही चंबल नदी पर बने चारों बांधों पर कंट्रोल रूम स्थापित किए जाएंगे. जल संसाधन विभाग ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. चंबल नदी पर बने बांधों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन आने वाले दिनों में पानी की आवक को लेकर बेहद सतर्क हो गया है.

लगातार की जा रही है मॉनिटरिंग

वहीं अगर मानसून मेहरबान रहेगा तो नदी के चारों बांधों से होने वाली पानी की आवक खतरे के निशान पर आते ही क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए. इसे लेकर प्रशासन की तरफ से लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. इसी के साथ चंबल नदी पर बने सबसे बड़े बांध गांधी सागर महाराणा प्रताप सागर जवाहर सागर और कोटा बैराज के स्टाफ को समय रहते अलर्ट कर दिया गया है.  मानसून मेहरबान रहा तो चंबल नदी के चारों बांधों से पानी की आवक खतरे के निशान तक पहुंचने पर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, इस पर प्रशासन लगातार नजर रख रहा है. साथ ही चंबल नदी पर बने सबसे बड़े बांधों गांधी सागर, महाराणा प्रताप सागर, जवाहर सागर और कोटा बैराज के कर्मचारियों को समय रहते अलर्ट कर दिया गया है.

यह है चंबल नदी पर बांधों की मौजूदा स्थिति

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जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता भारत रतन गौड़ ने बताया कि चंबल नदी पर बने चार बांधों में गांधी सागर सबसे बड़ा बांध है. इसकी भराव क्षमता 1312 फीट है. वर्तमान में इसमें 1293.80 लेवल तक पानी है. राणा प्रताप सागर की भराव क्षमता 1157 फीट है, इसमें 1140.71 लेवल तक पानी है. जवाहर सागर बांध, जिसकी क्षमता 980 फीट है। यहां जलस्तर 974.40 है. इसके साथ ही चंबल नदी पर बना अंतिम बांध, जो कोटा शहर में है. इसकी भराव क्षमता 854 फीट के मुकाबले वर्तमान में जलस्तर 853 फीट है.

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तीनों बांधों पर हैं किए जा रहे हैं पुख्ता इंतजाम

अधीक्षण अभियंता ने जानकारी देते हुए आगे बताया कि नदी पर बने तीनों बांधों से पानी की निकासी को देखते हुए कोटा बैराज बांध पर भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. अधीक्षण अभियंता गौड़ ने बताया कि जितनी पानी की निकासी होनी है, उसके हिसाब से निचली बस्तियों में अलर्ट जारी करने का रोड तैयार किया गया है. अभी तक सबसे ज्यादा पानी की निकासी वर्ष 2019 में हुई थी. उस समय सबसे ज्यादा 7 लाख 8 हजार 50 क्यूसेक पानी की निकासी हुई थी. वहीं अब और ज्यादा पानी की निकासी की संभावना के चलते विभाग की ओर से हर साल सभी पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं. भारत रतन गौड़ अपने अनुभव से बताते हैं कि इस साल भी अच्छी बारिश की उम्मीद है, बांधों से भी बड़ी मात्रा में पानी की निकासी हो सकती है.

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