Rajasthan Politics: हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान होने से बढ़ी राजस्थान सीएम की चिंता! जानें पूरा मामला

असल में फरवरी में समझौते के बाद राजस्थान सरकार की ओर से इस संबंध में सक्रियता दिखाने के लिए कई दफा हरियाणा सरकार को लिखा गया. लेकिन इस प्रोजेक्ट में गति नहीं आ पाई.

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Rajasthan News: पड़ोसी राज्य हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों (Haryana Election Date) के ऐलान ने राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) की परेशानियों को बढ़ा दिया है. इसकी वजह यमुना जल समझौते (Yamuna Water Agreement) का प्रोजेक्ट आचार संहिता (Code of Conduct) की भेंट चढ़ना है. हरियाणा और राजस्थान को यमुना जल समझौते के तहत संयुक्त DPR बनानी थी, लेकिन हरियाणा में अभी तक टास्क फोर्स (Task Force) का भी गठन नहीं हुआ है.

फरवरी में हुआ था समझौता

भजनलाल सरकार ने फरवरी में प्रदेश के तीन जिलों में यमुना का पानी लाने के लिए हरियाणा के साथ दिल्ली में MoU साइन किया था. इस समझौते के तहत राजस्थान के शेखावाटी इलाके के झुंझुनू, सीकर और चूरू जिलों को 577 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना तय हुआ था. समझौते के बाद राजस्थान सरकार ने इस दिशा में काफी तेजी दिखाई थी. राजस्थान के जल संसाधन विभाग ने मई के आखिर में DPR बना ली थी, लेकिन हरियाणा में इस दिशा में अभी तक कोई काम नहीं शुरू हो पाया है. 

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सरकार बदलने पर चिंता

राजस्थान की परेशानी ये है कि कहीं हरियाणा के साथ ये समझौता राजनीतिक उठापटक की भेंट नहीं चढ़ जाए. अगर हरियाणा में भाजपा की सरकार फिर से बनती है तो समझौते पर आगे बढ़ने की संभावना है. लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने पर यह समझौता खटाई में पड़ सकता है.

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कई बार लिखने के बाद भी कोई एक्शन नहीं

असल में फरवरी में समझौते के बाद राजस्थान सरकार की ओर से इस संबंध में सक्रियता दिखाने के लिए कई दफा हरियाणा सरकार को लिखा गया. लेकिन इस प्रोजेक्ट में गति नहीं आ पाई. उस वक्त हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के एक बयान से इस समझौते पर बहुत अधिक सकारात्मक संभावनाएं नहीं नजर आई थी. विधानसभा में खट्टर ने कहा था कि राजस्थान को पानी देना इस बात पर निर्भर करेगा कि हरियाणा में बरसात का कितना अतिरिक्त पानी आता होता है. हरियाणा की क्षमता 24000 क्यूसेक की है अतिरिक्त पानी आने पर ही राजस्थान को पानी दिया जा सकता है सकता है.

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पहले भी हुए कई प्रयास

ऐसा नहीं है कि राजस्थान ने यमुना जल समझौते के लिए इसी सरकार में पहली बार प्रयास किए हैं. इससे पहले 2003 में हरियाणा सरकार को DPR भेजी गई थी. उसके बाद 2017 और फिर 2021 में भी हरियाणा को संशोधित DPR भेजी गई थी. लेकिन हरियाणा सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया था.

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