Coaching Bill: कोटा के कोचिंग सेंटरों ने विधेयक की सराहना की; छोटे संस्थानों ने इसे बताया- 'डेथ वारंट'

Rajasthan Coaching Center Bill: राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक- 2025 में कोचिंग संस्थानों में न्यूनतम प्रवेश आयु 16 वर्ष पर प्रतिबंध को हटा दिया है.

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Rajasthan Coaching Center Control and Regulation Bill 2025: राजस्थान विधानसभा में बुधवार को कोचिंग सेंटर संबंधी पेश विधेयक की कोटा कोचिंग संचालकों ने सराहना की. उन्होंने इसे "संरचित शिक्षण वातावरण" की दिशा में एक कदम और छात्रों के वित्तीय और मानसिक शोषण को रोकने के लिए समय की आवश्यकता बताया. हालांकि, छोटे कोचिंग संस्थानों के संघ 'हाड़ौती संभाग कोचिंग समिति' ने विधेयक को 'डेथ वारंट' कहा और इसमें संशोधन की मांग की. बता दें कि सीएम भजनलाल शर्मा की सरकार ने राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक- 2025 पेश किया. इसमें कोचिंग संस्थानों में न्यूनतम प्रवेश आयु 16 वर्ष पर प्रतिबंध को हटा दिया है. जबकि बैच अलग करने, बायोमेट्रिक उपस्थिति और प्रवेश के लिए टेस्ट समेत कई अन्य नियमों भी ढील दी गई है.  

'कोटा केयर्स' पहल ने महत्वपूर्ण सुधार पेश किए- कोचिंग संचालक

विधेयक की सराहना करते हुए एलन कैरियर इंस्टीट्यूट के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने कहा, "हम उन पहल का स्वागत करते हैं, जो छात्रों के लिए एक संरचित और सहायक शिक्षण वातावरण में योगदान करते हैं. राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक, 2025 उस दिशा में एक कदम है. यह कोचिंग सिस्टम के भीतर पारदर्शिता, निष्पक्ष प्रथाओं और मानसिक स्वास्थ्य सहायता को मजबूत करता है." उन्होंने कहा कि कोटा जिला प्रशासन और कोटा स्टूडेंट्स वेलफेयर सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से शुरू की गई 'कोटा केयर्स' पहल ने पहले ही छात्र आवास, सुरक्षा और परामर्श में महत्वपूर्ण सुधार पेश किए हैं.

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नवीन माहेश्वरी ने आगे कहा, "यह विधेयक छात्र कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है और हम छात्रों के लिए सकारात्मक और तनाव मुक्त सीखने का अनुभव सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के लिए समर्पित हैं."

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"छात्रों- अभिभावकों के शोषण को रोकने के लिए प्रांसगिक"

करियर पॉइंट कोचिंग इंस्टीट्यूट और करियर पॉइंट यूनिवर्सिटी के संस्थापक निदेशक प्रमोद माहेश्वरी ने छात्रों और उनके अभिभावकों के "शोषण" को रोकने के लिए वर्तमान संदर्भ में विधेयक को सबसे प्रासंगिक बताया. प्रमोद माहेश्वरी ने कहा, "राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक, 2025 वर्तमान संदर्भ में बहुत प्रासंगिक है, यह समय की मांग है. क्योंकि कोचिंग संस्थान जिस तरह के वादे कर रहे हैं, मैं व्यक्तिगत रूप से पाता हूं कि उनमें परीक्षा पास करने की क्षमता नहीं है." 

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केंद्र के दिशा-निर्देशों से राज्य के विधेयक में छूट के बारे में प्रमोद माहेश्वरी ने कहा कि कोचिंग संस्थानों को छात्रों के साथ अनुकूल तरीके से काम करने के लिए उचित मात्रा में लचीलेपन की आवश्यकता है. हालांकि, वे इस बात से सहमत नहीं है कि कोचिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु सीमा हटाने से छात्रों के प्रवेश की संख्या में वृद्धि होगी, जो पिछले साल कोटा में घटकर लगभग 40 प्रतिशत रह गई थी. 

कोटा ऑटो चालक संघ के अध्यक्ष भूपेंद्र सक्सेना ने भी विशेष रूप से प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु सीमा हटाने और छूट समेत विधेयक प्रावधानों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि कोटा में कोचिंग संस्थानों और छात्रावासों में छात्रों के नामांकन की संख्या पिछले शैक्षणिक सत्र में कम हो गई थी, अब अप्रैल से शुरू होने वाले नए सत्र में बढ़ने की संभावना है. कोटा की महिला ऑटो चालक गीता शर्मा ने कहा कि पिछले साल कोचिंग छात्रों की संख्या में कमी से ऑटो चालकों की मासिक आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. अगर यह विधेयक उनके लिए अनुकूल माहौल बनाने में मदद करता है तो यह उनके लिए अच्छा होगा.

छोटे संस्थान बोले- उच्च तकनीक वाले सेंटर के लिए तैयार किया गया विधेयक

छोटे कोचिंग संस्थानों के संगठन हाड़ौती संभाग कोचिंग समिति के पदाधिकारी और सदस्य विधेयक के खिलाफ अपना विरोध जताने के लिए जिला कलेक्ट्रेट में एकत्र हुए और विधेयक में संशोधन की मांग करते हुए मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा. उन्होंने कहा कि विधेयक के प्रावधान हजारों छात्रों को करियर और प्रवेश परीक्षाओं के लिए कोचिंग प्रदान करने वाले उच्च तकनीक वाले कोचिंग संस्थानों के लिए तैयार किए गए हैं. 

इस वजह से छोटे कोचिंग सेटर्स कर रहे हैं विरोध

पदाधिकारियों का कहना है कि कक्षा 6 से 12 तक के लिए शैक्षणिक ट्यूटोरियल प्रदान करने वाले छोटे कोचिंग संस्थानों को समान प्रावधानों और नियमों के साथ एक ही श्रेणी में रखा गया है. कोटा जिला अध्यक्ष सोनिया राठौर ने कहा कि यह उनके लिए बिल्कुल भी उचित और व्यावहारिक नहीं है. 

समिति के महासचिव दिनेश विजयवर्गीय ने कहा, "हम विधेयक का विरोध नहीं कर रहे हैं, क्योंकि कुछ नियामक तंत्र समय की मांग है. हम केवल छोटे कोचिंग संस्थानों के मद्देनजर मौजूदा प्रावधानों में संशोधन की मांग कर रहे हैं." 

समिति के नेताओं ने कहा कि मौजूदा प्रावधानों के साथ, यह विधेयक कई लोगों के लिए 'मौत के वारंट' की तरह है, जो सरकारी नौकरी हासिल करने में विफल होने के बाद आजीविका के लिए ट्यूटोरियल कक्षाएं चला रहे हैं.

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