Rajasthan Congress: कांग्रेस के संगठन सृजन के बाद गुटबाजी पर लगेगी लगाम? लिस्ट जारी होने के बाद हलचल तेज

Congress List: हाईकमान के निर्देश पर हर जिले में नियुक्त पर्यवेक्षकों ने पंचायत स्तर तक संवाद किया. इसके बाद 6 नामों का पैनल तैयार किया गया था.

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शनिवार (22 नवंबर) देर रात राजस्थान कांग्रेस के 45 जिलाध्यक्षों की लिस्ट का इंतजार खत्म हुआ. कांग्रेस ने एक नए प्रयोग के तहत सूची जारी की है, जिसमें कई नाम चौंकाने वाले रहे. संगठन सृजन अभियान का उद्देश्य कांग्रेस को लंबे समय से खोखला कर रही गुटबाजी को खत्म करना है. इसके लिए ही कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर ये नया प्रयोग शुरू किया गया. हर जिले में नियुक्त पर्यवेक्षकों ने पंचायत स्तर तक संवाद किया और रिपोर्ट तैयार कर हाईकमान को भेजी. इस रिपोर्ट के आधार पर ही नए अध्यक्षों के नाम पर मुहर लगी.  

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के हाई कमान की यह कवायद कितनी सफल हो पाती है. वही, इस अभियान के तहत कई जगहों पर कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने आई. अजमेर, कोटा समेत कई शहरों में गुटबाजी का प्रभाव देखने को मिला. 

क्या है कांग्रेस का संगठन सृजन अभियान?

कांग्रेस के इस राष्ट्रीय अभियान की शुरूआत दिसंबर 2024 में कांग्रेस के कर्नाटक अधिवेशन से हुई. अधिवेशन में पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए अभियान चलाने का फैसला हुआ. कांग्रेस ने 2025 के साल को 'संगठन का साल' घोषित किया. इसके तहत ही कांग्रेस ने संगठन सृजन अभियान की शुरूआत की. इस अभियान को गुजरात से शुरू किया गया. इसके बाद मध्यप्रदेश और हरियाणा में भी अभियान के तहत जिला कार्यकारिणी की नियुक्तियां की गई.

6 नामों के पैनल के बाद हुआ फैसला

अभियान के तहत कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व द्वारा हर जिले के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए. पर्यवेक्षक हर जिले के ब्लॉक स्तर और पंचायत स्तर के कार्यकर्ताओं से संवाद करने पहुंचे. वहां से फीडबैक लेने के बाद इन्होंने 6 नाम का एक पैनल तैयार किया. यह 6 नाम का पैनल कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल के पास पहुंचे. वहां पर्यवेक्षकों और राजस्थान के वरिष्ठ नेताओं से फीडबैक लेने के बाद, तीन नाम का पैनल एआईसीसी की कोर कमेटी के पास पहुंचा. 

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अभियान के वक्त आए थे विवाद 

अभियान के वक्त कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक्स पर पोस्ट कर अभियान में नेताओं के दखल पर नाराजगी जताई थी. उन्होंने लिखा था कि संगठन सृजन अभियान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का एक नायाब प्रयोग है. इसमें जिले के सभी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की राय लेकर जिला अध्यक्ष चुना जाएगा. 

उनका कहना था, "कई जगह पर किसी नेता को जिला अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव या किसी सीनियर लीडर को जिला अध्यक्ष बनाने के लिए अधिकृत करने का प्रस्ताव पास करने की खबरें आई हैं, जो उचित नहीं है. किसी भी सीनियर लीडर द्वारा अपने प्रभाव का इस्तेमाल या कार्यकर्ताओं द्वारा प्रस्ताव पास करना हाईकमान की भावना के अनुरूप नहीं है." गहलोत ने मीडिया से बातचीत के दौरान भी कहा था कि अभियान के तहत जो लोग भी नियुक्त किए जाएंगे. सभी को उनका स्वागत करना चाहिए.

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जयपुर शहर समेत इन तीन जिलों में फंसे पेंच

फिलहाल अभियान के तहत 45 जिलाध्यक्षों की सूची जारी हो चुकी है. वहीं, जयपुर शहर के लिए मुख्य रूप से सुनील शर्मा और पुष्पेंद्र भारद्वाज के बीच मामला फंसा हुआ है. वर्तमान अध्यक्ष आर आर तिवाड़ी भी दावेदारों में शामिल बता चुके हैं. इस लिहाज से जयपुर शहर की सीट पर ब्राह्मण चेहरों के बीच पेंच फंसा हुआ है. पुष्पेंद्र भारद्वाज विधानसभा चुनाव में सांगानेर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे हैं. जबकि ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी के को-फाउंडर सुनील शर्मा को कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया था. लेकिन उनके जयपुर डायलॉग नाम की संस्थान से जुड़े होने के विवाद के बाद टिकट काट दिया गया था. ऐसे में उनके अध्यक्ष पद की दावेदारी को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. 

इन जिलों में भी फंसा पेंच

इसके अलावा राजसमंद, प्रतापगढ़, बारां और झालावाड़ में भी मामला फंसा है. इसके अलावा राजसमंद से आदित्य प्रताप सिंह, देवकीनंदन गुर्जर काका, हरिसिंह राठौड़ और प्रतापगढ़ से दिग्विजय सिंह, इंद्रा मीणा, नितिन जैन, भानु प्रताप सिंह, ओमप्रकाश ओझा और उदय अहीर के नाम पर चर्चा प्रमुखता से चल रहे हैं.

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