राजस्थान में डेंगू का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. बूंदी जिले में फिर दो मरीजों की मौत होने के बाद स्वास्थ्य महकमे में हडकम्प मच गया है. बूूंदी जिले में अब तक 3 मरीजों की डेंगू से मौत हो चुकी है. जबकि अस्पताल में 40 से अधिक डेंगू से संबंधित मरीजों का इलाज जारी है. जिनमें से करीब 18 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है.
रिपोर्ट के मुताबिक जिन मरीजों की मौत हुई है, उन्हें स्वास्थ्य विभाग डेंगू संदिग्ध मान रहा है. विभाग का कहना है कि इन सभी मरीजों का डेंगू कार्ड पॉजिटिव था, लेकिन इनकी एलाइजा रिपोर्ट कार्ड की पुष्टि करने के लिए विभाग ने टीम रवाना करवा दी है. जिन इलाकों में मौत हुई है उन इलाकों में सर्वे और फॉगिंग भी करवाई जा रही है.
लगातार बढ़ रहे हैं डेंगू से मौत के मामले
जानकारी के अनुसार जिले में अब तक डेंगू से 3 मौतें हो चुकी हैं, इनमें एक नमाना, एक देई और एक जमीतपुरा क्षेत्र में हुई मौत शामिल है. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 18 रोगी डेंगू से पीड़ित हैं, जबकि हकीकत में 60 से ज्यादा लोग डेंगू से पीड़ित हो चुके हैं. जिले के जमीतपुरा में 7 साल की मासूम की मौत हो गई. परिजनों ने बताया कि 5 दिन पहले उसे तेज बुखार आने पर बूंदी के निजी हॉस्पिटल में 3 दिन तक भर्ती रखा और फिर कोटा रेफर कर दिया गया था.
कोटा के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराने पर डॉक्टरों ने बच्ची को डेंगू के लक्षण बताए थे. इलाज के दौरान मासूम की मौत हो गई. परिजन नियाज मोहम्मद और इसरा आलिन पुत्री इरफान खान को भी तेज बुखार है. जबकि जिले के देई इलाके में भी डेंगू मरीज की इसी तरह मौत हुई है. तबीयत खराब होने से उसे भी कोटा रेफर किया गया था, जहां उसकी मौत हो गई. इससे पूर्व नमाना इलाके में एक महिला की भी मौत हुई थी.
जिले में डेंगू के जांच करवाने में आ रही है समस्या
डिप्टी सीएमएचओ कमलेश शर्मा ने बताया कि बूंदी अस्पताल में एलाइजा टेस्ट मशीन खराब है, जिसकी वजह से अस्पताल में केवल डेंगू टेस्ट कार्ड करवा कर डेंगू की पुष्टि हो रही है. सैंपलों को 35 किलोमीटर दूर कोटा भेजा जा रहा है. इस वजह से ज्यादातर मरीज कोटा के अस्पतालों में भर्ती हैं.
गौरतलब है डेंगू के लिए एलाइजा टेस्ट आईसीएमआर द्वारा मान्यता प्राप्त है, जबकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा एंटिजन रेपिड टेस्ट को कोई मान्यता नहीं है और निजी लैब संचालक स्पष्ट रिपोर्ट भी नहीं दे सकते. नियम है कि निजी लैब को डेंगू की जांच करने के बाद एक सैंपल सरकारी अस्पताल को भी देना है, लेकिन ज्यादातर निजी लैब सैंपल नहीं देती हैं.
बताया जाता है लैब द्वारा अभी तक एक भी सैंपल नहीं दिया गया है. जबकि सभी निजी लैब में डेंगू की जांच की जा रही है. सरकारी लैब में एलाइजा टेस्ट किया जाता है. इसके बाद ही स्वास्थ्य विभाग डेंगू के मरीज की पुष्टि करता है.