Rajasthan: अमरुद की बागवानी से हुआ मोहभंग, अब भरतपुर के किसान क्यों अपना रहे हैं नींबू की बागवानी ? 

भरतपुर के वैर के रहने वाले किसान श्याम सिंह ने बताया कि उन्होंने 28 -29 साल में उन्होंने 25 बीघा में अमरूद की बागवानी की, लेकिन अच्छा मूल्य महीने से पांच साल पहले नींबू की बागवानी एक एकड़ भूमि में शुरू किया.

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Bharatpur News: राजस्थान के भरतपुर ज़िले के वैर उपखंड में हजारों एकड़ भूमि में अमरूद की बागवानी की जाती है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यहां के किसानों का अमरूद की बागवानी के प्रति कम रुझान देखने को मिल रहा है. किसान अब नींबू की बागवानी पर विशेष ध्यान दे रहे है.किसानों का मानना है कि अमरूद की बजाय नींबू की बागवानी से उन्हें दुगना लाभ हो रहा है .

वैर उपखंड के गांव मोरदा निवासी किसान गंभीर सिंह ने बताया कि उनके द्वारा पिछले 28 सालों से 25 बीघा भूमि में अमरूद की बागवानी की जा रही है. लेकिन अमरूद की बागवानी में रुचि कम होने से नींबू की बागवानी करना शुरू कर दिया है. अमरूद की बागवानी से अच्छा मुनाफा होता था लेकिन कुछ सालों से किसान को अच्छा बाजार मूल्य नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा अमरूद का फल पेड़ से टूटने के बाद 24 घंटे में खराब हो जाता है.

अमरुद के लिए नहीं फूड प्रेसिंग केंद्र नहीं

तीसरा मुख्य कारण है कि यहां किसानों के लिए फूड प्रेसिंग केंद्र नहीं है. यही कारण है कि लोग अमरूद की बागवानी छोड़ नींबू की बागवानी की ओर ध्यान दें रहे है. नींबू के प्रति रुझान होने की वजह है कि इसका बाजार मूल्य अच्छा रहता है साथ ही पेड़ से टूटने के बाद एक सप्ताह तक रखा जा सकता है।

अब नींबू की बागवानी से हो रहा दोगुना फायदा 

किसान श्याम सिंह ने बताया कि उनके 25 बीघा भूमि में अमरूद की बागवानी है. उन्होंने सन 1996 में उद्यान विभाग के अधिकारियों की प्रेरणा के बाद पथरीली जमीन को कृषि योग्य भूमि बनाकर एक एकड़ भूमि में 60 पेड़ों से अमरूद की बागवानी की शुरुआत की. धीरे धीरे 28 -29 साल में उन्होंने 25 बीघा में अमरूद की बागवानी की, लेकिन अच्छा मूल्य महीने से पांच साल पहले नींबू की बागवानी एक एकड़ भूमि में शुरू किया.

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एक एकड़ भूमि में 5 लाख रुपए का मुनाफा हुआ है. यह अमरूद की बागवानी की बजाय अच्छा है. इसमें मुनाफा देख अन्य किसानों के साथ हमने भी करीब 5 एकड़ भूमि में नींबू की बागवानी की शुरुआत की.

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