Election Results Analysis: राजस्थान में कांग्रेस की 11 सीटों पर जीत का श्रेय किसे? पायलट, डोटासरा या गहलोत

कांग्रेस ने राजस्थान में Lok Sabha Election में अपनी पूरी ताकत झोंकी थी. हालांकि, कांग्रेस के अंदर तीन नाम ऐसे हैं जिसे लेकर कांग्रेस के अंदर श्रेय की बात की जा रही है.

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Lok Sabha Election Results 2024

Rajasthan Lok Sabha Election Results 2024: राजस्थान में लोकसभा चुनाव 2024 का रिजल्ट बेहद चौंकानेवाला है. यहां बीजेपी के 'मिशन 25' को  बड़ा झटका लगा है. जबकि कांग्रेस जो दो चुनाव से लगातार राजस्थान में खाता भी नहीं खोल पा रही थी. इस बार 11 सीटों पर कब्जा जमाया है. राजस्थान की सियासत में यह सबसे बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है. कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकी थी. हालांकि, कांग्रेस के अंदर तीन नाम ऐसे हैं जिसे लेकर कांग्रेस के अंदर श्रेय की बात की जा रही है. इसमें सचिन पायलट, गोविंद सिंह डोटासरा और अशोक गहलोत का नाम आ रहा है.

राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा हैं और यह पहली बार है जब उनके प्रदेश अध्यक्ष होते हुए लोकसभा चुनाव हुआ है. हालांकि, विधानसभा चुनाव भी उनकी ही अध्यक्षता में लड़ा गया था. लेकिन राजस्थान में कांग्रेस को 8 सीट और गठबंधन को 3 सीट यानी 11 सीट जीतना काफी मायने रखता है. वहीं सचिन पायलट ने भी जिस तरह से कांग्रेस को जीताने के लिए मुहिम छेड़ी वह काबिले तारीफ थी. जबकि अशोक गहलोत ने भी काफी कैंपेन किये और बीजेपी के निशाने पर सीधे गहलोत रहे.

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डोटासरा को श्रेय क्यों

लोकसभा चुनाव 2024 में गोविंद सिंह डोटासरा का श्रेय इसलिए क्योंकि उन्होंने पार्टी और गठबंधन का पूरा कमान उन्होंने ने ही संभाला था. जबकि उन्होंने झुंझुनूं, चूरू, सीकर, श्रीगंगानगर और जैसलमेर-बाड़मेर जैसे सीटों पर खूब काम किया.

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जिसका नतीजा है कि इन पाचों सीटों पर कांग्रेस और गठबंधन की जीत हुई है. झुंझुनूं में बृजेंद्र ओला, चूरू में राहुल कस्वां, सीकर में अमराराम CPI(M), श्रीगंगानगर में कुलदीप इंदोरा और बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर उमेदा राम बेनीवाल को जीत हासिल हुई है. 

पायलट को श्रेय क्यों

सचिन पायलट कांग्रेस का वह चेहरा हैं जिस पर युवा पूरा भरोसा करती है. हालांकि विधानसभा चुनाव में हार होना अलग फैक्टर थी. लेकिन लोकसभा चुनाव में सचिन पायलट ने कांग्रेस को जीताने के लिए अलग से काम किया. सचिन पायलट की बात करें तो उन्होंने दौसा, टोंक, जयपुर ग्रामीण और भरतपुर सीट पर काफी काम किया. उन्होंने क्षेत्र का दौरा लगातार किया. शायद यही वजह रही कि कांग्रेस दौसा, टोंक और भरतपुर सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रही. जबकि जयपुर ग्रामीण सीट पर हार का सामना करना पड़ा.

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हालांकि, जयपुर ग्रामी सीट पर कांग्रेस की हार पर सचिन पायलट ने सवाल खड़े किये हैं. उन्होंने कहा है कि

जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में हुए कांटे के मुकाबले में जिस प्रकार से प्रशासन द्वारा दबाव में कार्य किया गया है. वह कई सवाल खड़े करता है. काउंटिंग की प्रक्रिया संदेह के घेरे में है और इसकी शिकायत निर्वाचन आयोग को प्रत्याशी एवं पार्टी द्वारा की जा रही है. उन्होंने कहा पोस्टल बैलेट की काउंटिंग पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं और परिणाम रोकना कई संदेह उत्पन्न करता है. मैं चुनाव आयोग से मांग करता हूं कि इस सीट पर पारदर्शिता के साथ पुनः काउंटिंग की जाए.

गहलोत को श्रेय क्यों

अशोक गहलोत राजस्थान की राजनीति और कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा चेहरा रहे हैं. अशोक गहलोत की बात करें तो जातीय समीकरण में उनका बड़ा हाथ रहा. वहीं गठबंधन के लिए भी उन्होंने काफी कवायद की. माना जाता है कि बांसवाड़ा सीट पर भारत आदिवासी पार्टी के साथ गठबंधन का श्रेय उन्हें जाता है. हालांकि, अशोक गहलोत ने जालोर सीट से अपने बेटे वैभव गहलोत को टिकट दिलाया था. लेकिन गहलोत अपने बेटे को जीताने में कामयबा नहीं हो सके. वहीं, एक बात यह भी साफ है कि अशोक गहलोत हमेशा बीजेपी के निशाने पर रहे और उन्होंने इसका जवाब देने में भी वह चूके नहीं.

गहलोत राजस्थान के बुनियादी मुद्दों को लेकर हमेशा मुखर रहे. साथ ही बीजेपी को इन मुद्दों पर हमेशा घेरते दिखे थे. वहीं उन्हें यूपी के अमेठी सीट की जिम्मेदारी दी गई थी. जिस पर उन्होंने बखूबी काम किया और स्मृति ईरानी को शिकस्त देने में वह कामयाब रहे.

बहरहाल, कांग्रेस की जीत के लिए कई नेताओं ने काम किया. जिसमें विपक्ष नेता टीकाराम जूली का नाम भी आता है. इसके अलावा राहुल गांधी की यात्रा भी कांग्रेस को काफी फायदा पहुंचाया है. वहीं जल, जमीन और आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस लगातार अपनी आवाज उठा रही थी.

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