Rajasthan Elections 2023: आज राजस्थान की राजनीति के केंद्र पहुंचेंगे PM मोदी, आने वाले दिनों में मायावती-योगी बढ़ाएंगे सियासी पारा

अगले तीन दिनों के भीतर ही नागौर जिले में तीन बड़े नेताओं के दौरे होने वाले हैं. जिनमें मोदी, मायावती और उत्तर प्रदेश CM योगी आदित्यनाथ शामिल हैं.

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Rajasthan Elections 2023: विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ ही राज्य में चुनाव प्रचार अपने चरम पर पहुंच गया है. सभी पार्टियों ने इस चुनाव प्रचार में अपनी जी जान झोंक दी है. सभी पार्टियों के स्टार प्रचारक अपनी-अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिए चुनावी प्रचार में जुटे हुए हैं. साथ ही प्रदेश के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर जनता से अपने पक्ष में मतदान की अपील कर रहे हैं.

वहीं नागौर जिले की विधानसभा सीटों पर सभी पार्टियों का सबसे अधिक फोकस है. अगले तीन दिनों के भीतर ही नागौर जिले में तीन बड़े नेताओं के दौरे होने वाले हैं. आज 18 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागौर जिले के दौरे पर आ रहे हैं. जहां से वे नागौर से भाजपा प्रत्याशी और पूर्व सांसद रही डॉ. ज्योति मिर्धा के समर्थन में आमसभा को संबोधित करेंगे. इसी तरह 20 नवंबर को बसपा (BSP) सुप्रीमो मायावती लाडनू के दौरे पर आएंगी. जहां वह बसपा के प्रत्याशी नियाज मोहम्मद खान के समर्थन में जनसभा को संबोधित करेंगी. इसी प्रकार 22 नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ डीडवाना आएंगे और भाजपा प्रत्याशी जितेंद्र सिंह जोधा के समर्थन में आम सभा को संबोधित करेंगे.

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जबकि इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह 7 नवंबर को नागौर जिले की तीन विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने नावा विधानसभा के कुचामन के साथ ही मकराना और परबतसर में जनसभाओं को संबोधित कर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की थी. जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत डेगाना में रैली कर चुके हैं. इससे पहले भी मुख्यमंत्री डीडवाना का दौरा कर चुके थे.

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नागौर जिला राजस्थान की राजनीति का केंद्र बिंदु माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि नागौर जिले से ही प्रदेश की राजनीति की दिशा तय होती है. नागौर की जनता जिस पार्टी के पक्ष में अपना मतदान करती है. राजस्थान में उसी पार्टी की सरकार बनती है. 

इसी के ध्यान में रखते हुए सभी बड़े नेताओं का फोकस नागौर जिले पर ही है. इसलिए सभी बड़े नेता नागौर की जनता को लुभाने के प्रयास में है. हालांकि जनता का क्या मूड रहता है और वह किसके पक्ष में मतदान करेगी इसका तो खुलासा 3 दिसंबर को मतगणना के दिन ही होगा. लेकिन इतना तय है कि नागौर जिले की राजनीति प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से प्रभावी दखल रखने में कामयाब होगी. 

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नागौर का चुनावी गणित

राजनीतिक प्रदेशों पर नजर डालें तो नागौर जिले ने 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 9 सीटें दी थी. लेकिन 2018 के चुनाव में परिणाम बदल गए और भाजपा मात्र 2 सीटों पर ही सीमित गई. वहीं कांग्रेस के खाते में 6 और आरएलपी के खाते में 2 सीटें आई. इसलिए अबकी बार भी प्रत्येक पार्टी का नागौर जिले पर पूरा फोकस है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इन स्टार प्रचारकों के दौरे के बाद नागौर जिले की जनता किस पार्टी के पक्ष में मतदान करती है. 

जाट राजनीति का मुख्य केंद्र

नागौर जिला प्रदेश की राजनीति की धुरी आज से नहीं, बल्कि दशकों से माना जाता है. नागौर में नाथूराम मिर्धा और रामनिवास मिर्धा जैसे कद्दावर नेता हुए हैं. जो न केवल राजस्थान बल्कि देश की सियासत में भी बड़ा दखल रखते थे. आज भी मिर्धा परिवार राजनीति में सक्रिय है. इस बार दोनों पार्टियों से मिर्धा परिवार के चार सदस्य चुनावी मैदान में है. वही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल भी नागौर के सांसद है. हनुमान बेनीवाल खुद प्रदेश की राजनीति के बड़े खिलाड़ी है. और कई जिलों की राजनीति को प्रभावित करते हैं. बल्कि भाजपा और कांग्रेस का सियासी गणित भी बिगाड़ चुके हैं.

नागौर, डीडवाना, खींवसर बनी हॉट सीट

नागौर जिले में नागौर, डीडवाना और खींवसर हॉट सीट बन गई है. डीडवाना में भाजपा सरकार में कद्दावर मंत्री रहे और वसुंधरा राजे के करीबी रहे यूनुस खान निर्दलीय चुनाव में मैदान में उतर चुके हैं. जिससे डीडवाना का चुनावी समीकरण पूरी तरह से बदल चुका है. वहीं खींवसर में आरएलपी एक बड़ी ताकत है. जिसे पटकनी देने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों जद्दोजहद कर रही है. जबकि लाडनूं और नावां में भी दोनों पार्टियों में सीधा मुकाबला है.