राजस्थान में 450 हिंदी मीडियम स्कूल के बाद इंग्लिश मीडियम को बंद करने की तैयारी, डिप्टी सीएम ने की बैठक

इंग्लिश मीडियम स्कूल को लेकर एक उप समिति का गठन किया गया है जिसकी अध्यक्षता डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा कर रहे हैं. इसी उप समिति की बैठक मंगलवार (21 जनवरी) को की गई.

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Rajasthan English Medium School Closed: राजस्थान में हाल ही में राज्य सरकार ने एक फैसले के तहत प्रदेश में बड़ी संख्या में हिंदी मीडियम स्कूलों को बंद किया गया. प्रदेश के कई जिलों में करीब 10 दिन में 450 से सरकारी हिंदी मीडियम स्कूलों पर ताला लगा दिया गया है. इसमें जयपुर, आमेर, पाली, हनुमानगढ़, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर और ब्यावर जैसे जिले शामिल हैं. इन स्कूलों में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल शामिल हैं. वहीं अब सरकार महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल को बंद करने की तैयारी कर रही है. इसके लिए डिप्टी सीएम की अध्यक्षता में एक उप समिति का गठन किया गया है.

इंग्लिश मीडियम स्कूल को लेकर एक उप समिति का गठन किया गया है जिसकी अध्यक्षता डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा कर रहे हैं. इसी उप समिति की बैठक मंगलवार (21 जनवरी) को की गई.

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घट सकती है अंग्रेजी मीडियम स्कूल की संख्या

डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में उप समिति की बैठक सचिवालय में की गई. प्रेमचंद बैरवा के चेंबर में हुई बैठक में शिक्षा मंत्री मदन दिलावल, चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर और मंत्री सुमित गोदारा मौजूद रहे. इस बैठक में इंग्लिश मीडियम स्कूल को लेकर चर्चा की गई है. बताया जा रहा है कि इस बैठक में चर्चा की गई है कि नामांकन और इन्फ्रास्ट्रक्चर कमी वाली इंग्लिश मीडियम स्कूलों को फिर से हिंदी मीडियम स्कूल में बदला जा सकता है. बैठक के बाद डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने बताया है कि पहली बैठक में केवल शिक्षा विभाग के अफ़सरों ने प्रेजेंटेशन दिया है. अगली बैठक में कमेटी रिव्यू रिपोर्ट देखेगी.

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अब आगे कमेटी की बैठक में महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा.

हिंदी मीडियम स्कूल बंद करने को लेकर सरकार ने दिया था जवाब

हिंदी मीडियम स्कूलों को बंद करने के बारे में राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा था कि इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या कम होने के कारण इन्हें बंद किया गया है. कुछ को दूसरों के साथ मर्ज किया गया है. प्रदेश में स्थिति यह थी कि एक ही कैंपस में तीन स्कूल चल रहे थे, जिनमें पढ़ने वाले छात्रों की संख्या नगण्य थी. ऐसे में तीनों को एक में मर्ज किया गया है, ताकि शिक्षकों और सुविधाओं की उचित व्यवस्था हो सके. 

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