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Rajasthan: सांप के काटने से हुई थी पति की मौत, 5 साल बाद पत्नी को मिलेगा 20 लाख का बीमा क्लेम

Nagaur News Today: नागौर उपभोक्ता आयोग ने एसबीआई जनरल इंश्योरेंस को सांप काटने से मरने वाले किसान की पत्नी को बीमा राशि के रूप में 20.57 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है.

Rajasthan: सांप के काटने से हुई थी पति की मौत, 5 साल बाद पत्नी को मिलेगा 20 लाख का बीमा क्लेम
प्रतीकात्मक तस्वीर

Rajasthan Farmer News: राजस्थान के नागौर जिले में एक किसान की सांप के काटने से मौत का मामला सामने आया था, जिसको लेकर किसान के परिवार ने कोर्ट में मुआवजे की गुहार लगाई थी, जिस पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए बड़ा फैसला सुनाया है. उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने किसान को बीमा राशि के तौर पर 20 लाख रुपए देने का फैसला सुनाया है.मामला जिले के डेहरू गांव निवासी छोगी देवी के किसान पति हुकमाराम का है.

 इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ की थी अपील

दरअसल, पति की असामयिक मृत्यु के बाद छोगी देवी ने बीमा राशि दिलाने के लिए एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ अपील की थी, लेकिन कंपनी ने 'मृत्यु के कारण' पर सवाल उठाकर दावे को लंबित रखा. जिस पर सुनवाई करते हुए देहरू गांव निवासी छोगी देवी को उसके पति हुकमाराम की बीमा राशि के रूप में 20 लाख रुपए तथा अतिरिक्त मुआवजा सहित कुल 20.57 लाख रुपए देने के आदेश दिए गए हैं.

क्या है मामला?

छोगी देवी ने बताया कि उनके पति हुकमाराम ने एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से जीवन बीमा कराया था. जिसमें हर महीने 1 हजार रुपए जमा होते थे. छोगी देवी ने आगे बताया कि उनके पति ने उन्हें इस बीमा राशि का नॉमिनी बनाया था. इसलिए 5 साल पहले जब उनके पति की सांप के काटने से मौत हो गई, तो उन्होंने इस पॉलिसी का दावा करना चाहा.लेकिन कंपनी ने 'मृत्यु के कारण' पर सवाल उठाकर इसे लंबित रखा.

बीमा कंपनी का तर्क ठुकराया गया

बीमा कंपनी ने आयोग में यह कहते हुए बचाव किया कि मौत का कारण सर्पदंश प्रमाणित नहीं है और सरकारी अस्पताल ने भी इसकी पुष्टि से इनकार कर दिया था. मगर छोगी देवी की ओर से पेश किए गए सरपंच प्रमाण-पत्र, अस्पताल की पर्ची, शपथ-पत्र और अन्य दस्तावेजों को आयोग ने भरोसेमंद माना और बीमा कंपनी की आपत्ति को सिरे से खारिज कर दिया.

आयोग ने दिया 20.57 लाख देने का आदेश

नागौर उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष दीनदयाल प्रजापत और सदस्य प्रदीप कुमार शर्मा ने स्पष्ट कहा कि बीमा कंपनी और उपभोक्ता के बीच सेवा अनुबंध का सीधा संबंध है. बीमाधारी की मृत्यु बीमा अवधि में हुई, लिहाजा बीमा राशि का भुगतान रोका नहीं जा सकता.

एक महीने बीमा कंपनी को देना होगा सारा पैसा

आयोग ने आदेश दिए कि बीमा कंपनी छोगी देवी को बीमा पॉलिसी के 20 लाख रुपये, मानसिक और शारीरिक क्षति के 50 हजार रुपये और साथ ही मुकदमा खर्च के 7 हजार रुपये यानी कुल 20.57 लाख रुपये एक माह के भीतर अदा करेंगी. अगर तय समय पर भुगतान नहीं होता है, तो छोगी देवी को पूरी राशि पर 9% सालाना ब्याज भी दिया जाएगा, जिसकी गणना परिवाद दर्ज होने की तारीख 29 अप्रैल 2022 से की जाएगी.

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