पूर्व DGP यूआर साहू की गाड़ी को रस्सों से खींचकर दी गई विदाई, जानें क्यों निभाई जाती है यह परंपरा और कैसे हुई शुरुआत

विदाई समारोह के दौरान एक विशेष दृश्य देखने को मिला, जब साहू को एक पुलिस वाहन में बैठाकर, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और जवानों ने रस्सों से खींचते हुए मुख्यालय के गेट तक छोड़ा.

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Utkal Ranjan Sahu Farewell

Utkal Ranjan Sahu Farewell: राजस्थान पुलिस के पूर्व DGP उत्कल रंजन साहू (UR Sahu) ने VRS ले लिया है. वहीं अब उनकी जगह पर रवि प्रकाश मेहरड़ा को डीजीपी का चार्ज दे दिया गया. जबकि उत्कल रंजन साहू के रिटायर्ड होते ही उन्हें राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की जिम्मेदारी दी गई है. उन्हें आरपीएससी के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया है. बुधवार (11 जून) को उत्कल रंजन साहू को पुलिस मुख्यालय में परंपरागत तरीके से विदाई दी गई. हालांकि यह परंपरा थोड़ा अजीब है क्योंकि उनकी गाड़ी को रस्सों से खींचकर विदाई दी गई.

विदाई समारोह के दौरान एक विशेष दृश्य देखने को मिला, जब साहू को एक पुलिस वाहन में बैठाकर, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और जवानों ने रस्सों से खींचते हुए मुख्यालय के गेट तक छोड़ा. यह कोई साधारण दृश्य नहीं था बल्कि राजस्थान सहित कई राज्यों में पुलिस विभाग में वर्षों से चली आ रही एक सम्मानजनक परंपरा है.

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रस्सों से गाड़ी खींचने की परंपरा क्यों निभाई जाती है?

यह परंपरा उस अधिकारी के प्रति पुलिस बल का सामूहिक सम्मान प्रकट करती है जिसने लंबे समय तक सेवा दी. रस्सों से गाड़ी खींचना केवल एक प्रतीकात्मक कार्य नहीं बल्कि अधिकारी की विदाई में सहयोगियों द्वारा दिया गया आभार और सम्मान है. इस विदाई रस्म में वरिष्ठ से लेकर कनिष्ठ अधिकारी तक एक साथ भाग लेते हैं, जो यह दर्शाता है कि पुलिस बल केवल एक संगठन नहीं, बल्कि एक परिवार है. डीजीपी का अपने अधिकारियों और विभाग से वर्षों का जुड़ाव रहता है. यह रस्म उस जुड़ाव की सार्वजनिक अभिव्यक्ति होती है. यह रस्म एक औपचारिक विदाई समारोह का हिस्सा है, जिसमें पुलिस विभाग अपने शीर्ष अधिकारी को विदाई देकर उनके समर्पित कार्यकाल को सम्मानपूर्वक याद करता है. इस रस्म के ज़रिए अधिकारी को आगे के जीवन के लिए शुभकामनाएं दी जाती हैं.

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इस परंपरा की शुरुआत कैसे हुई?

इस रस्म की ऐतिहासिक उत्पत्ति को लेकर कोई स्पष्ट दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं, परंतु माना जाता है कि यह ब्रिटिश औपनिवेशिक काल की कुछ सैन्य परंपराओं से प्रेरित है. उस समय वरिष्ठ अधिकारियों की बग्घी को सम्मान स्वरूप सैनिक खींचते थे. समय के साथ यह परंपरा आधुनिक रूप में पुलिस विभागों में बनी रही. वर्तमान में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में यह विदाई रस्म अब भी गर्व और सम्मान से निभाई जाती है.

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