राजस्थान सरकार ने पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना का नाम बदला, अब होगा यह नाम

Ramjal Setu Link: इस लिंक परियोजना में चंबल एवं इसकी सहायक नदियों कुन्नू, कूल, पार्वती, कालीसिंध एवं मेज का अधिशेष वर्षा जल बनास, मोरेल, बाणगंगा, रूपारेल, पर्वतनी व गंभीर नदी बेसिनों में भेजा जाएगा.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins

Parvati-Kali Sindh-Chambal Link Project: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राज्य में संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना (पीकेसी) का नाम बदलकर बुधवार को रामजल सेतु लिंक परियोजना कर दिया. पिछले साल 17 दिसंबर को संशोधित पीकेसी परियोजना के मेमोरेंडम ऑफ असोसिएशन (एमओए) के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पार्वती, कालीसिंध और चंबल नदियों का जल राम सेतु जल संकल्प कलश में डाला गया था.

भजनलाल शर्मा ने बुधवार को मुख्यमंत्री निवास पर रामजल सेतु लिंक परियोजना का नामकरण करने के बाद इसका पोस्टर भी जारी किया.

''भगवान श्रीराम ने सत्य की जीत के लिए समुद्र को जोड़ा''

उन्होंने एक बयान में कहा कि पिछले साल आज ही के दिन 500 साल के लंबे इंतजार के बाद भगवान श्रीराम अयोध्या में जन्मभूमि पर भव्य मंदिर में विराजमान हुए थे. भगवान श्रीराम ने सत्य की जीत के लिए समुद्र पर पुल बनाकर एक छोर को दूसरे छोर से जोड़ा था. शर्मा ने कहा कि उनसे प्रेरणा लेते हुए नदियों को जोड़ने की यह महत्वाकांक्षी परियोजना प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राजस्थान और मध्य प्रदेश को समृद्ध बनाने के लिए लाई गई है.

कई नदियां आपस में जुड़ेंगी 

उन्होंने कहा पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के नदियों को जोड़ने के सपने को साकार करते हुए राम सेतु जल परियोजना के पूरा होने पर राज्य की 40 प्रतिशत आबादी को पेयजल एवं सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा. इस लिंक परियोजना में चंबल एवं इसकी सहायक नदियों कुन्नू, कूल, पार्वती, कालीसिंध एवं मेज का अधिशेष वर्षा जल बनास, मोरेल, बाणगंगा, रूपारेल, पर्वतनी व गंभीर नदी बेसिनों में भेजा जाएगा.

Advertisement