राजस्थान का यह सरकारी टीचर रात में जाता है 16 किलोमीटर दूर गांव, बच्चे पढ़ रहे हैं या नहीं करते हैं खुद चेक

सरकारी शिक्षकों को लेकर हमेशा उनकी लापरवाही की खबरें आती है. लेकिन राजस्थान का एक ऐसा सरकारी शिक्षक है जो बच्चों की शिक्षा के लिए काफी सजग हैं.

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Rajasthan Government Teacher: गुरु का स्थान भारतीय संस्कृति में सर्वोच्च है क्योंकि गुरु के लिए शास्त्रों में कहा गया है, "गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय." लेकिन वर्तमान दौर में सरकारी शिक्षकों की लापरवाही और कारनामे सामने आते रहते हैं. हालांकि इनके बीच राजस्थान के एक सरकारी शिक्षक इन सभी से उलट है. जो गुरु की परिभाषा को सच साबित करते हैं. लापरवाही के दौर में शिक्षक ने अलग मिसाल कायम की है. वह बच्चों की शिक्षा के प्रति इतने सजग हैं कि रात को 16 किलोमीटर दूर गांव में जाकर वह बच्चों की पढ़ाई को देखते हैं कि वह पढ़ रहे हैं या नहीं.

हम बात कर रहे हैं राजस्थान के करौली जिले के शिक्षक शांतनु पाराशर की जो आज एक मिसाल पेश कर रहे हैं. उनके प्रयासों ने न केवल गांव के बच्चों की शिक्षा को एक नई दिशा दी है, बल्कि शिक्षक होने के असली मायने भी समझाए हैं.

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बच्चों के जीवन में रोशनी बनकर आए शांतनु पाराशर

शांतनु पाराशर वर्ष 2010 में वरिष्ठ शिक्षक के रूप में करौली के हजारीपुर गांव के राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय में नियुक्त हुए. उन्होंने महसूस किया कि ग्रामीण पृष्ठभूमि और संसाधनों की कमी के कारण बच्चों में पढ़ाई के प्रति उत्साह नहीं रहता. इसे बदलने के लिए उन्होंने दिन में पढ़ाने के साथ-साथ रात में बच्चों के घर जाकर उनकी पढ़ाई सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी उठाई. परीक्षा के समय तो वह विशेष रूप से बच्चों के संपर्क में रहते हैं ताकि बच्चों को यह विश्वास हो कि उनके गुरु जी हमेशा उनके साथ हैं.

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विद्यालय में बढ़ती बच्चों की संख्या और उत्कृष्ट परिणाम

जब शांतनु पाराशर ने विद्यालय में काम शुरू किया, तब केवल 156 बच्चे थे. लेकिन उनके नवाचारों और प्रयासों के कारण बच्चों और अभिभावकों में शिक्षा के प्रति रुचि जागी. वर्तमान में विद्यालय में बच्चों की संख्या और परिणाम दोनों ने नए आयाम छू लिए हैं. शांतनु पाराशर के मार्गदर्शन में विद्यालय का परिणाम लगातार शत-प्रतिशत बना हुआ है.

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35 बच्चों को गोद लेकर दी नई दिशा

शांतनु पाराशर ने अब तक 35 आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को गोद लिया है. वह उनकी शिक्षण सामग्री, किताबें, और जरूरत की अन्य चीजें स्वयं उपलब्ध कराते हैं. उनके इस कदम ने न केवल बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाया है, बल्कि उन्हें जीवन में कुछ बड़ा करने की प्रेरणा दी है.

टाइम टेबल और व्यक्तिगत ध्यान

शांतनु पाराशर के अनुसार, बच्चों की सफलता के लिए योजनाबद्ध अध्ययन बेहद जरूरी है. वह बच्चों का टाइम टेबल बनाते हैं और नियमित रूप से यह सुनिश्चित करते हैं कि बच्चे घर पर पढ़ाई कर रहे हैं या नहीं. उनके इस प्रयास से बच्चों की पढ़ाई का स्तर और परिणाम दोनों बेहतर हुए हैं.

कोरोना काल में बच्चों को हवाई यात्रा का सपना

कोरोना काल में जब बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई, तब शांतनु पाराशर ने एक अनूठी घोषणा की. उन्होंने बच्चों को 85% अंक लाने पर हवाई यात्रा कराने का वादा किया. हालांकि, महामारी के कारण यह संभव नहीं हो सका, लेकिन उन्होंने भरोसा दिलाया कि भविष्य में वह इस सपने को जरूर पूरा करेंगे.

पर्यावरण संरक्षण और राष्ट्रप्रेम का संदेश

शिक्षा के साथ-साथ शांतनु पाराशर बच्चों में पर्यावरण संरक्षण और देशभक्ति का भाव भी जागृत करते हैं. वह समय-समय पर विशेष अभियान चलाकर बच्चों को इन मूल्यों की शिक्षा देते हैं.

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