राजस्थान हाईकोर्ट ने फिल्म जॉली एलएलबी-3 प्रकरण में बड़ा फैसला सुनाते हुए अजमेर जिले के तीन मामलों को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि केवल शंका के आधार पर किसी के विरुद्ध आरोप नहीं चलाया जा सकता, जब तक कि उसके समर्थन में ठोस और कानूनी साक्ष्य प्रस्तुत न किए जाएं. यह फैसला अजमेर जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और एडवोकेट महेन्द्र सिंह राठौड़ के पक्ष में आया है, जिनके खिलाफ 2024 में केस दर्ज हुआ था.
छवि धूमिल करने का था आरोप
यह मामला फिल्म 'जॉली एलएलबी-3' की शूटिंग से जुड़ा है, जिसमें आरोप था कि फिल्म यूनिट ने अजमेर जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में बिना पूर्व अनुमति के शूटिंग की थी और इसमें जज वकीलों की छवि धूमिल की गई. जिला बार एसोसिएशन की ओर से पूर्व अध्यक्ष राठौड़ ने यह मामला उठाया और बाद में 10 मई 2024 को क्लॉक टॉवर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था. उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म की शूटिंग के दौरान न्यायिक प्रक्रिया और पेशे से जुड़े नियमों की अवहेलना हुई और इसके जरिए जनता के बीच वकीलों और न्यायपालिका को लेकर गलत संदेश दिया गया.
अनुमति लेकर हुई थी शूटिंंग
इस मामले में हाईकोर्ट ने पाया कि फिल्म यूनिट ने विधिवत प्रशासन से अनुमति लेकर ही शूटिंग की थी. 25 लाख रुपये का भुगतान भी सरकार को किया गया था और इसके पीछे कोई गलत मंशा नहीं थी. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि कानून के दायरे में रहकर की गई किसी भी गतिविधि को केवल संदेह के आधार पर अपराध नहीं माना जा सकता.
तीनों आरोप में कोई ठोस सबूत नहीं
हाईकोर्ट ने तीनों मामलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इनमें कोई भी ठोस सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि जानबूझकर छवि धूमिल करने की मंशा थी. साथ ही कहा गया कि जजों और वकीलों की छवि पर फिल्म का कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं दिखा.
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