Fire In Ajmer Hotel: अजमेर शहर के दिल कहे जाने वाले डिग्गी चौक स्थित होटल नाज में 1 मई को जो आग लगी, उसने सिर्फ इमारत नहीं जलाई, बल्कि छह मासूम जिंदगियों को हमेशा के लिए खामोश कर दिया. इस भीषण हादसे में 3 पुरुष, 2 महिलाएं और 1 मासूम बालक की मौत हो गई. आग की लपटों में घिरे लोगों की चीखें, मदद के लिए उठते हाथ—यह मंजर इतना भयावह था कि जिसने भी देखा, उसका दिल कांप गया.
अब इस दुखद हादसे की जांच में सामने आया है कि होटल प्रबंधन की घोर लापरवाही ही इस दर्दनाक त्रासदी की जड़ है. होटल संचालक और प्रबंधक ने न तो सुरक्षा के आवश्यक उपाय किए थे, न ही फायर लाइसेंस लिया था. न फायर फाइटर, न अलार्म, न आपातकालीन निकास, ऐसे में जब आग लगी, तो होटल में फंसे लोग जिंदा जल गए.
सुरक्षा नियमों को किया नजरअंदाज
जांच में यह भी सामने आया कि होटल मालिक को सुरक्षा नियमों की जानकारी होने के बावजूद उसने उन्हें नजरअंदाज किया. यह लापरवाही नहीं, सीधा-सीधा अपराध है, जो छह परिवारों को जिंदगीभर का घाव दे गया.
दो लोग किये गए गिरफ्तार
पुलिस अधीक्षक वंदिता राणा के निर्देशन में गठित विशेष टीम ने घटना की गंभीरता को समझते हुए होटल संचालक राजेंद्र कुमार माली और प्रबंधक श्रीकांत पांडे को गिरफ्तार कर लिया है. उन पर भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 125, 125क, 125ख व 105 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इस हादसे ने न केवल शहर को हिला दिया, बल्कि यह भी सवाल खड़ा कर दिया है—क्या हम सुरक्षित हैं? कब तक जिम्मेदार लोग ऐसी लापरवाही से मासूम जानों को दांव पर लगाते रहेंगे? यह केवल कानूनी नहीं, मानवीय जिम्मेदारी भी है, जिसे अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
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