Rajasthan News: राजस्थान सरकार ने इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार को नए नाम और बदली हुई शर्तों के साथ फिर शुरू किया है. यह पुरस्कार छात्राओं को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया जाता था. अब यह योजना पद्माक्षी पुरस्कार योजना के नाम से लागू की जाएगी. योजना में पुरानी स्कूटी योजना को समाप्त कर दिया गया है. सरकार के बालिका शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार, सत्र 2025-26 से लागू इस नई योजना में कक्षा 8, 10 और 12 में उच्च स्थान प्राप्त करने वाली छात्राओं को 25 हजार, 50 हजार और 75 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.
योजना में नहीं मिलेगी स्कूटी
पहले इस योजना में राज्य और जिला स्तर पर टॉप करने वाली छात्राओं को नकद पुरस्कार के साथ एक स्कूटी भी दी जाती थी जिसे अब समाप्त कर दिया गया है. साथ ही पहले मिलने वाली एक लाख रुपये तक की प्रोत्साहन राशि को भी घटा दिया गया है. नई योजना के तहत राजस्थान की मूल निवासी अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, अल्पसंख्यक, बीपीएल या दिव्यांग श्रेणी की छात्राएं पात्र होंगी.
यह पुरस्कार माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 8, 10 और 12 (कला, विज्ञान और वाणिज्य), संस्कृत शिक्षा विभाग की प्रवेशिका और वरिष्ठ उपाध्याय परीक्षाओं तथा स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल की विज्ञान वर्ग की 12वीं की छात्राओं को मिलेगा. स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल की छात्राओं को यह पुरस्कार तभी मिलेगा जब उन्होंने 9 CGPA से अधिक अंक अर्जित किए हों. इस योजना का संचालन और समस्त व्यय राजस्थान बालिका शिक्षा फाउंडेशन द्वारा किया जाएगा.
2008 में कांग्रेस सरकार ने शुरू की थी योजना
पुरस्कार स्वरूप छात्राओं को नकद राशि के साथ प्रशस्ति-पत्र भी प्रदान किया जाएगा. सरकारी और निजी मान्यता प्राप्त विद्यालयों की छात्राएं इस योजना के दायरे में आएंगी, हालांकि स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल की छात्राएं योजना के कुछ प्रावधानों से बाहर रहेंगी. बता दें कि इस योजना की शुरुआत वर्ष 2008 में कांग्रेस सरकार के समय हुई थी. भाजपा सरकार ने 2017-18 में इसका नाम बदलकर पद्माक्षी पुरस्कार योजना कर दिया था.
बाद में 2019 में कांग्रेस सरकार ने इसे ‘इंदिरा प्रियदर्शिनी अवॉर्ड' के नाम से फिर से शुरू किया. उस समय यह पुरस्कार इंदिरा गांधी की जयंती 19 नवंबर को जिला मुख्यालयों पर आयोजित समारोहों में प्रदान किए जाते थे. अब फिर से भाजपा सरकार ने योजना का नाम बदलते हुए इसे बसंत पंचमी के अवसर पर आयोजित करने का निर्णय लिया है.
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