राजस्थान की इस लाइब्रेरी में है दुर्लभ किताबों का खजाना, पंडित मदन मोहन मालवीय के हस्ताक्षर हैं मौजूद

Rajasthan: झालावाड़ के किला परिसर के पास बना हरिश्चंद्र पुस्तकालय दुर्लभ पुस्तकों का खजाना है. इसमें श्रीमद्भागवत गीता सहित 4000 से अधिक पुस्तकें हैं.

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Jhalawar Harishchandra library

Jhalawar: झालावाड़ के गढ़ परिसर के पास राजपरिवार द्वारा 19वीं सदी की शुरुआत में स्थापित हरिश्चंद्र लाइब्रेरी अपने आप में कई खासियतें समेटे हुए है. रियासतकालीन विशाल भवन में स्थापित यह लाइब्रेरी दुर्लभ पुस्तकों का खजाना मानी जाती है.

 1913 से पहले की है यह लाइब्रेरी

इस राजकीय हरिश्चंद्र लाइब्रेरी की स्थापना 1913 से पहले राजपरिवार द्वारा की गई थी. लेकिन उससे पहले इसका नाम कैम्बाल लाइब्रेरी हुआ करता था. लेकिन इतिहासकारों के अनुसार, आज़ादी के बाद इसका नाम बदलकर हरिश्चंद्र डिस्ट्रिक्ट लाइब्रेरी कर दिया गया. कई मशहूर हस्तियां इसका हिस्सा रहीं. लाइब्रेरी की विजिटर बुक में इसका ज़िक्र भी है.

Pt. Madan Mohan Malviya Signature
Photo Credit: NDTV

लाइब्रेरी से पुराना है पंडित मदन मोहन मालवीय का रिश्ता

लाइब्रेरी की विजिटर बुक में कई मशहूर हस्तियों के कमेंट और हस्ताक्षर मौजूद हैं. इससे पता चलता है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय जैसी कई विश्व प्रसिद्ध हस्तियां भी यहां आ चुकी हैं. पंडित मालवीय के हस्ताक्षर और उनकी टिप्पणियां आज भी लाइब्रेरी की विजिटर बुक के पेज नंबर 11 पर मौजूद हैं, जिन्हें पढ़ा जा सकता है.

4000 से अधिक दुर्लभ किताबें है मौजूद

इसके अलावा यहां करीब 4000 ऐसी दुर्लभ किताबें रखी गई हैं जो इस दौर में मिलना बड़ी बात है. 1835 में लिखी गई एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिया भी लाइब्रेरी में मौजूद है. इसके अलावा श्रीमद्भागवत गीता के सभी सात संस्करण, चारों वेद, मैक्समूलर और वंश भास्कर के मूल ग्रंथ भी मौजूद हैं. इसके अलावा इस लाइब्रेरी में कई विश्व प्रसिद्ध दुर्लभ साहित्य भी रखे गए हैं.

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वर्तमान में ररखाव का आभाव झेल रहा पुस्तकालय

वहीं इन दुर्लभ पुस्तकों के खजाने से भरा झालावाड़ जिले का यह सबसे बड़ा पुस्तकालय वर्तमान में रख-रखाव की कमी से जूझ रहा है. सरकार और प्रशासन की ओर से ध्यान न दिए जाने के कारण यहां कई कमियां बनी हुई हैं. यहां कई पद भी खाली हैं, जिसके कारण यहां चीजें मुश्किल हो जाती हैं.

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