ईरान में फंसे राजस्थान-मध्य प्रदेश के किसानों के करोड़ो रुपये, जानें क्यों गिर रहे धान के दाम

Iran-Israel Conflict: खाड़ी देशों में चल रहे युद्ध और ईरान-इजरायल संघर्ष का सीधा असर भारत के धान उत्पादक क्षेत्रों, खासकर राजस्थान के हाड़ौती और मध्य प्रदेश पर पड़ा है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
मंडी में धान की तस्वीर

PaddyPrices Falling: खाड़ी देशों के युद्ध का असर राजस्थान के हाड़ौती और मध्य प्रदेश में भी देखा जा रहा है. धान उत्पादन के बड़े क्षेत्र हाड़ौती और कोटा से लगता हुआ मध्य प्रदेश का अधिकांश इलाका धान उत्पादक एरिया है. यहां पर बड़ी मात्रा में खरीफ की फसल के रूप में धान का उत्पादन किया जाता है. इस बार दोनों ही राज्यों के किसानों को हजारों रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान उठाना पड़ रहा है. कृषि उपज मंडियों में धान के दाम काफी कम हैं. बीते साल से 30 फीसदी दाम कम किसानों को मिल रहे हैं. इसकी बड़ी वजह खाड़ी देशों में युद्ध के हालातों के चलते निर्यातकों की कम रुचि और निर्यात न के बराबर होना है. ऐसे में हालात यह है कि प्रति बीघा किसानों को 15 से 20 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है.

ईरान में भारतीय किसानों के फंसे करोड़ों रुपये

धान के निर्यात और धन व्यवसाय से जुड़े विशेषज्ञ प्रकाश चंद जैन पालीवाल बताते हैं कि यह नुकसान हर किस्म की धान की फसल में हो रहा है, 1000 से 1500 रुपये तक कम दाम मिल रहे हैं. इस साल ड्यूटी फ्री होने के बावजूद माल निर्यात नहीं हो रहा है. खाड़ी युद्ध और खासकर ईरान पर इजरायल के हमले की वजह से चावल का निर्यात नहीं हो रहा है.

Advertisement

भारत का 50 लाख टन सेला चावल ईरान में जाता है. इसमें से 80 फीसदी चावल हाड़ौती और उससे लगते हुए मध्य प्रदेश के एरिया में ही उत्पादित होता है. एक्सपोर्टरों का करोड़ों रुपये का भुगतान भी ईरान में अटका हुआ है. इसके चलते एक्सपोर्टर माल भेजने में की स्थिति में भी नहीं हैं. 

Advertisement

किसान हो रहे हैं निराश

बारां  जिले के किशनगंज से कोटा मंडी में धान बेचने आये किसान वीरेन्द्र सिंह बताते हैं कि पिछले साल धान 3500 में बेचा था जो इस साल 2700 प्रति क्विंटल रह गया हो गया, किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. बूंदी जिले के तीरथ गांव से मंडी श्रीनाथ मीणा बताते हैं कि पिछले साल 4400 में धान बिका था 2800 प्रति क्विंटल बिका है उसमें भी धान की क्वालिटी को लेकर किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

Advertisement

किसान कह रहे हैं कि डीएपी के दम तो लगातार बढ़ते चले जा रहे हैं लेकिन हमारी फसल के दामों में कमी हो रही है, सरकार को किसानों की मदद करना चाहिये ,ऐसे हालातो में किसान कैसे फसल करेगा अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करेगा. 

कोटा मंडी पर भी देखा जा रहा है असर

इस साल धान का निर्यात नहीं होने से कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी में भी धान की आवक कम हो रही है. व्यापारी बताते हैं कि साल 2023 में जहां पर अप्रैल से लेकर दिसंबर तक 3.53 करोड़ क्विंटल की आवक थी लेकिन इस बार साल 2024 में यह आवक 2.67 करोड़ क्विंटल रही गई.

इसके चलते मंडी का रेवेन्यू भी धान में कम रहा है. व्यापारियों का कहना है कि कोटा मंडी में अच्छे धाम मिलते हैं, इसीलिए यहां पर मध्य प्रदेश के धान उत्पादक किसान माल बेचने आते हैं, लेकिन इस बार दाम सभी जगह कम थे, इसलिए किसानों ने भी मंडी का रुख कम किया.

ये भी पढ़ें- IITian Baba News: हर्षा रिछारिया के बाद IITian बाबा ने भी क्यों छोड़ा महाकुंभ, जानें पूरा मामला

Topics mentioned in this article