Rajasthan: जयपुर में अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ बड़ा क्रैकडाउन, 100 से ज़्यादा संदिग्ध हिरासत में लिए गए 

जयपुर के एडिशनल कमिश्नर डॉ. रामेश्वर सिंह ने कहा कि सभी को अलवर के डिटेंशन सेंटर में भेजा जाएगा. यह कार्रवाई जयपुर के हसनपुरा, दौलपुरा और भांकरोटा इलाके बने संदिग्धों के ठिकानों पर की गई है.

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राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा

Rajasthan News: बीते 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद राजस्थान में बांग्लादेशी नागरिकों को उनके देश भेजने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. इसके लिए भजनलाल सरकार ने अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को चिह्नित कर रही है. अब तक बांग्लादेशियों के ख़िलाफ़ सर्च ऑपरेशन में 100 से ज्यादा संदिग्ध पकड़े गए हैं. यह ऑपरेशन गुरुवार सुबह 4 से 8 बजे तक चलाया गया है, जिसमें 35 लोगों के दस्तावेज फर्जी मिले हैं. इन सभी को हिरासत में लेकर दस्तावेज, कॉल डिटेल व लेनदेन की जांच की जा रही है. 

50 बांग्लादेशी नागरिकों को किया डिपोर्ट 

एडिशनल कमिश्नर डॉ. रामेश्वर सिंह ने कहा कि सभी को अलवर के डिटेंशन सेंटर में भेजा जाएगा. सिंह ने कहा कि यह कार्रवाई जयपुर के हसनपुरा, दौलपुरा और भांकरोटा इलाके बने संदिग्धों के ठिकानों पर की गई है. इसके बाद सीबीआई के जरिए पत्राचार कर डिपोर्टेशन की तैयारी की जायेगी. उन्होंने कहा कि फर्जी दस्तावेज बनवाने वालों की भी पहचान शुरू कर दी गई है, इनपर जल्द होगी कड़ी कार्रवाई की जाएगी. अब तक विशेष अभियान के तहत अब तक 50 बांग्लादेशी नागरिकों को डिपोर्ट किया जा चुका है. 

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अभियान चलाने के निर्देश

बुधवार को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित हाई लेवट मीटिंग में सीएम भजनलाल ने राजस्थान में रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ अभियान चलाने के निर्देश दिए थे . उन्होंने स्पष्ट किया था कि राज्य की सुरक्षा, और सामाजिक समरसता को प्रभावित करने वाले ऐसे तत्वों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि चिन्हित अवैध बाग्लादेशियों को चिन्हित कर उन्हें जल्द से जल्द डिपोर्ट किया जाए. बैठक में गृह विभाग, पुलिस, खुफिया एजेंसियों और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि अभियान के तहत संदिग्ध बस्तियों में विशेष तलाशी और सत्यापन अभियान चलाया जाए.

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'निर्दोष को परेशान न किया जाए'

उन्होंने यह भी कहा कि इस काम में स्थानीय नागरिकों की भी सहभागिता सुनिश्चित की जाए, ताकि किसी निर्दोष व्यक्ति को परेशान न किया जाए और अवैध तत्वों की पहचान में सहूलियत हो. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट किया कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर ‘जीरो टॉलरेंस' की नीति अपनाएगी और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा.

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