Baran News: राजस्थान के बारां ज़िले में प्रशासन ने गांव में पीने के पानी की समस्या के बारे में NDTV की ख़बर के बाद कार्रवाई की है. बारां के कलक्टर रोहिताश्व सिंह तोमर ने छिपौल गांव में पेयजल की समस्या को प्रमुखता से सामने लाने के लिए एनडीटीवी की सराहना की है. उन्होंने इस खबर को गंभीरता से लेते हुए बताया कि गांव में बोरवेल की सुविधा के लिए आदेश जारी कर बजट पास कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि अगले 15 दिन में बोरिंग लगाकर टंकी बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जिसके बाद अब गांव वालों को बोरवेल से मीठा पानी मिल सकेगा.
जिला कलेक्टर ने कहा, ''NDTV चैनल के माध्यम से संज्ञान में आया था कि छिपौल गांव की एक सहरिया बस्ती में कुछ परिवार पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहे थे. वहां हैंडपंप की व्यवस्था तो की गई थी, लेकिन जल स्तर नीचे चले जाने और भूमि के पथरीले होने के कारण वे फेल हो गए थे. वर्तमान में वहां कोई स्थायी जल व्यवस्था नहीं थी. चूंकि इन परिवारों को जल जीवन मिशन के तहत परवन अकावत में शामिल किया गया है, इसलिए हर घर में नल से जल पहुंचाने में थोड़ा समय लग रहा था. NDTV के माध्यम से यह मामला प्रमुखता से सामने आया.''
उन्होंने कहा, ''NDTV की खबर पर त्वरित एक्शन लेते हुए जिला परिषद की टीम मौके पर पहुंची. टीम ने वहां एक कार्य योजना बनाई, जिसके तहत थोड़ी दूरी पर स्थित एक जलस्रोत से गांव तक लगभग 700 मीटर की पाइपलाइन बिछाई जाएगी. साथ ही, एक छोटी पानी की टंकी बनाई जाएगी, जिससे बस्ती में नियमित जल आपूर्ति संभव हो सकेगी.''
छिपौल गांव के लोग गंदा और मटमैला पानी पीने को मजबूर
यह मामला बारां जिले के शाहाबाद उपखंड के देवरी इलाके की ग्राम पंचायत बीलखेड़ा माल के छिपौल गांव का है. यहां आज भी कोई पेयजल सुविधा उपलब्ध नहीं है. यहां के लोग पास से बहने वाली कुन्नू नदी का गंदा एवं मटमैला पानी पीने को मजबूर हैं. छिपौल गांव में लगभग तीस परिवार रहते हैं और यह राष्ट्रीय राजमार्ग-27 से महज चार से पांच किलोमीटर दूर है. इसकी रिपोर्ट NDTV राजस्थान ने की थी.
ग्रामीणों का कहना है कि केवल गर्मी में ही नहीं, बल्कि पूरे साल उन्हें यही हालात झेलने पड़ते हैं. बारिश के दौरान नदी उफान पर आ जाती है, तब उन्हें डेढ़ किलोमीटर दूर सरदारों के खेतों पर बने कुओं से पानी लाना पड़ता है, जो काफी जोखिम भरा होता है.
सालों से नहीं बदली छिपौल गांव की तस्वीर
छिपौल गांव की कहानी इस बात का एक उदाहरण है कि भले ही आज 5G तकनीक और आर्थिक तरक्की के क्षेत्र में ऊंचाइयों को छू रहा हो, परंतु यह विकास बेमानी हो जाता है जब दूरदराज के गांवों में रहने वाले लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते हैं. बारां जिले के कई इलाकों में गरीबों के मुक़द्दर में साफ़ पेयजल नहीं है. यह स्थिति हमारे विकास मॉडल पर भी सवाल खड़े करती है, जिसमें तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य होने के बावजूद लोग जीवन की मूलभूत आवश्यकता के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
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