Jaisalmer News: 35 हजार बीघा ओरण बचाने के लिए गांव-गांव से निकल रही पदयात्रा, MLA के घर पहुंचेंगे सैंकड़ों लोग  

ओरण बचाओ पदयात्रा मनिहारा तला से शुरू होकर देगराय ओरण, देवीकोट, छोड़, सांगाणा, आकल फांटा, डाबला से होते हुए 29 जुलाई को सुबह जैसलमेर शहर पहुंचेगी. इस दौरान 60-70 किमी का सफर पैदल तय किया जाएगा.

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Rajasthan News: जैसलमेर जिले के प्राचीन ओरणों को संरक्षित रखने और उन्हें राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने को लेकर जिले के कई गांवों से पर्यावरण प्रेमी, वन्यजीव प्रेमी और पशुपालकों द्वारा पैदल यात्रा निकालकर 2 दिन में लगभग 60-70 किमी की पदयात्रा निकली जा रही है. जैसलमेर में विधायक छोटू सिंह भाटी के निवास पर उन्हें ज्ञापन सौपेंगे. धोरों कि धरती में लाखों बीघा ओरण बचाने की जद्दोजहद लगातार जारी है.

जिले के ओरण क्षेत्र को रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग को लेकर जिलेभर के पर्यावरण प्रेमी प्रयासरत हैं. इसी कड़ी में टीम ओरण के सदस्यों ने अपनी मांग को लेकर सांवता गांव के मनिहारा तला से जैसलमेर तक पदयात्रा कर रहे हैं,जिसकी शुरुआत आज हो गई है.

ओरण भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग

ओरण बचाओ टीम के सुमेर सिंह सांवता ने बताया कि हमने देगराय ओरण के मणीयारा तला से आज सुबह 7.30 बजे पदयात्रा शुरू की है. ये पदयात्रा 60-70 किमी का सफर तय करके सोमवार को जैसलमेर विधायक छोटू सिंह भाटी के घर जाएगी.जहां  जैसलमेर विधायक को टीम ओरण द्वारा ओरण भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा जाएगा. इस पदयात्रा में ओरण बचाओ टीम के सदस्य व अन्य ग्रामीण भी हिस्सा ले रहे हैं.

ओरण बचाओ पदयात्रा मनिहारा तला से शुरू होकर देगराय ओरण, देवीकोट, छोड़, सांगाणा, आकल फांटा, डाबला से होते हुए 29 जुलाई को सुबह जैसलमेर शहर पहुंचेगी. इस दौरान 60-70 किमी का सफर पैदल तय किया जाएगा. उन्होंने बताया कि बीच में आने वाले गांवों के ग्रामीणों को भी ओरण को लेकर जागरूक करने का काम किया जाएगा.

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'सरकार को जगाने का काम'

सुमेर सिंह सांवता ने बताया कि जिले में ओरण बचाने के लिए टीम लगातार पदयात्रा करके सरकार को जगाने का काम कर रही है. एक बार फिर ओरण को बचाने के लिए पदयात्रा का आयोजन किया जा रहा है.आपको बता दें कि पिछले लंबे वक्त से टीम ओरण इस मुहीम को लेकर काम कर रही है. पिछली गहलोत सरकार के वक्त तत्कालीन विधायक के प्रयास से करीब 35 हजार बीघा ओरण की जमीन रेवन्यु रिकॉर्ड में दर्ज भी करवाई गई है.

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