Rajasthan ACB Action: पटवारी ने 11 हजार की रिश्वत मांगी, किसान ने 1064 पर ACB से कर दी शिकायत; ट्रैप फेल होने के बावजूद हुई FIR

यह कार्रवाई स्पष्ट संदेश देती है कि भ्रष्टाचार के मामलों में, रंगे हाथों पकड़े जाने के अलावा, पुख्ता सबूतों के आधार पर रिश्वत मांगने के आरोप में भी कार्रवाई की जा सकती है.

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राजस्थान: 11,000 की रिश्वत मांगना पड़ा भारी, ट्रैप फेल होने पर भी फंसा दूधवा नांगल का पटवारी! (प्रतीकात्मक तस्वीर)
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Rajasthan News: भ्रष्टाचार के खिलाफ राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की कार्रवाई लगातार जारी है. इसी क्रम में, झुंझुनूं जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां दूधवा नांगल (Doodhwa Nangal) के पटवारी अशोक कुमार (Patwari Ashok Kumar) को केवल रिश्वत की मांग करना ही महंगा पड़ गया है. चौंकाने वाली बात यह है कि शुरुआती ट्रैप असफल होने के बावजूद ACB ने मुख्यालय के निर्देश पर पटवारी के खिलाफ न सिर्फ केस (Case) दर्ज किया, बल्कि उसे कानून के शिकंजे में कस दिया है.

ACB के हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत

पूरा मामला खातेदारी की जमीन के सीमा ज्ञान रिपोर्ट (Seema Gyan Report) से जुड़ा हुआ है. शिमला गांव के रहने वाले परिवादी नेतराम ने अपनी खातेदारी जमीन का सीमा ज्ञान कराया था. इस रिपोर्ट को जारी करने के बदले में, दूधवा नांगल का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे बसई पटवारी अशोक कुमार ने उनसे रिश्वत की मांग कर दी. अधिकारी की इस अनुचित मांग से परेशान होकर, किसान नेतराम ने हिम्मत दिखाई और सीधे एसीबी की हेल्पलाइन नंबर 1064 पर फोन करके शिकायत दर्ज कराई. एसीबी की टीम ने शिकायत पर तुरंत संज्ञान लिया. 

सत्यापन में फंसा पटवारी

एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) नरेंद्र पूनिया ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि परिवादी नेतराम ने फोन पर बताया कि पटवारी अशोक कुमार उनसे रिपोर्ट देने के बदले में 11,000 रुपये की रिश्वत की मांग कर रहा है. शिकायत मिलने के बाद, एसीबी ने पूरी गोपनीयता के साथ अपनी कार्रवाई शुरू की. सबसे पहले एसीबी ने एक सिपाही भेजकर परिवादी नेतराम से लिखित में शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद 30 अक्टूबर को शिकायत का गोपनीय तरीके से सत्यापन (Verification) कराया गया. इस सत्यापन के दौरान, पटवारी अशोक कुमार ने अपनी मांग को 11 हजार से घटाकर 7,000 रुपये पर रिपोर्ट देने के लिए सहमति जताई.

अचानक फेल हो गया ट्रैप

सत्यापन के अगले ही दिन यानी 31 अक्टूबर को, एसीबी की टीम ने रिश्वतखोर पटवारी को रंगे हाथों पकड़ने के लिए जाल बिछाया. हालांकि, यहां एक अप्रत्याशित मोड़ आया. ट्रैप के दौरान, पटवारी अशोक कुमार को परिवादी नेतराम पर किसी तरह का शक हो गया. पटवारी ने चतुराई दिखाते हुए नेतराम से कहा कि वह अभी पैसे न दे, बल्कि 'रुपये बाद में दे देना.' पटवारी के इस बयान के कारण पटवारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने की कार्रवाई सफल नहीं हो पाई.

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मुख्यालय के निर्देश पर FIR

हालांकि ट्रैप फेल होने का मतलब यह नहीं था कि पटवारी बच गया. एसीबी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए, पटवारी अशोक कुमार के खिलाफ रिश्वत मांगने के सबूतों के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की और उसे जयपुर स्थित एसीबी मुख्यालय (Headquarter) भेज दिया. एसीबी मुख्यालय ने इस मामले में एक सख्त रुख अपनाया. उन्होंने साफ निर्देश दिए कि केवल रिश्वत की मांग करना भी गंभीर अपराध है. 

एएसपी नरेंद्र पूनिया के अनुसार, 'मुख्यालय से प्रकरण दर्ज करने के निर्देश मिलने के बाद, पटवारी अशोक कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) की संबंधित धाराओं के तहत रिश्वत मांगने का मामला दर्ज कर लिया गया है.'

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यह कार्रवाई स्पष्ट संदेश देती है कि भ्रष्टाचार के मामलों में, रंगे हाथों पकड़े जाने के अलावा, पुख्ता सबूतों के आधार पर रिश्वत मांगने के आरोप में भी कार्रवाई की जा सकती है. पटवारी अशोक कुमार को अब न सिर्फ अपनी नौकरी गंवानी पड़ सकती है, बल्कि उसे कानूनी प्रक्रिया का सामना भी करना होगा.

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