Jaisalmer News: विलुप्त हो चुका 'द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' राजस्थान का राज्य पक्षी है जिसे गोडावण के नाम से जाना जाता है. वे बहुत शर्मिले होते है. वही राजस्थान का राज्य पशु ऊंट जो काफी हद तक समान प्रकृति का है और इन दोनों के साथ ही बेर का पेड़ जो राजस्थान की संस्कृति में अपना अलग महत्व रखता है उसे 'बोरडी' कहते हैं. इन तीनों को एक साथ देखना किसी दुर्लभ दृश्य से कम नहीं है. राजस्थान में मानसून के दिनों में इन सब चीजों को एक तस्वीर में कैद करना किसी सपने जैसा लगता है. लेकिन इस सपने को वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर राधेश्याम विश्नोई ने अपने कैमरे में कैद किया है.
सुहाने मौसम में दिखी दुर्लभ वाइल्डलाइफ तस्वीर
जैसलमेर की पोकरण के धोलिया क्षेत्र में मानसून के दौरान हल्की बारिश के बाद मौसम सुहाना हो गया है. इस दौरान जंगल में वन्यजीवों के कई अंतरंगे नजारे देखने को मिल रहे हैं. लेकिन दो दिन पहले पर्यावरण प्रेमी और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर राधेश्याम विश्नोई ने कुछ ऐसा देखा जो बेहद दुर्लभ था और वे इसे कैमरे में कैद करने से खुद को रोक नहीं पाए. उन्होंने धोलिया गांव के पास जंगल में सुहाने मौसम में बेर के पेड़ के नीचे दो ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और एक ऊंट को एक साथ देखा.इस नजारे को वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर राधेश्याम ने अपने कैमरे में कैद कर लिया.
मदमस्त ऊंट के पास दो गोडावण का एक साथ
गोडावण यानी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की ऐसी तस्वीरें काफी दुर्लभ हैं. आमतौर पर बारिश का मौसम राज्य पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के प्रजनन का मौसम होता है. इनका प्रजनन काल अप्रैल से सितंबर के बीच होता है. यह पक्षी काफी शर्मिले स्वभाव के होते है. लेकिन इसके बावजूद बिल्कुल विपरीत स्वभाव वाले मदमस्त ऊंट के पास दो गोडावण का एक साथ होना वो भी एक बेर के पेड़ के साथ. इनकी यह तस्वीर अपने आप में राजस्थान की संस्कृति को दर्शाती है, क्योंकि राजस्थान में बेर के पेड़, ऊंट और गोडावण तीनों का विशेष महत्व है.
गोडावण
विश्वभर में केवल राजस्थान के जैसलमेर में ही सर्वाधिक गोडावण बचे है. इनके संरक्षण पर राजस्थान में करोड़ों रुपए खर्च किए है. 150 - 200 की तादात में बचे इन गोडावण को राजस्थान के राज्य पक्षी का दर्जा प्राप्त. यह राजस्थान के लिए विरासत से कम नहीं है.
ऊंट
रेगिस्तान का जहाज कहा जाना वाला राज्य पशु ऊंट जिससे राजस्थान की पहचान है .
बेर का पेड़
बेर का पेड़ रेगिस्तान के इको सिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कई पशु-पक्षी,कीट पतंगे इसका सेवन करते है. इतना ही नहीं राजस्थान के तमाम ओरणों में भी अधिकाश जगह बेर के पेड़ है, जिसे 'बोरडी' कहा जाता है. इससे कई धार्मिक मान्यताए भी जुड़ी है. राजस्थान की संस्कृति में यह काफी महत्वपूर्ण है.